Indian Railways : अब तेज गति से दौड़ेंगी ट्रेनें, नहीं कांपेंगे कोच, आधुनिक स्लीपर डालने का काम पूरा

Moradabad Railway Division ट्रेनों को तेज गति से चलाने के लिए ज‍ितने जरूर आधुनिक व मजबूत कोच की आवश्यकता होती है उससे अधिक जरूरी रेलवे लाइन रेलवे लाइन के नीचे लगने वाले स्लीपर पंड्रोल क्लिप की भी होती है।

By Narendra KumarEdited By: Publish:Mon, 31 May 2021 03:58 PM (IST) Updated:Mon, 31 May 2021 03:58 PM (IST)
Indian Railways : अब तेज गति से दौड़ेंगी ट्रेनें, नहीं कांपेंगे कोच, आधुनिक स्लीपर डालने का काम पूरा
बाइड स्लीपर डालने का लक्ष्‍य निर्धारित किया गया है।

मुरादाबाद [प्रदीप चौरसिया]। पटरी पर तेज गति से ट्रेनों के दौड़ने के बाद भी कोच नहीं कांपेगा। मुरादाबाद रेल मंडल में 130 किलोमीटर तक आधुनिक स्लीपर डालने का काम किया जा चुका है। चालू वित्तीय वर्ष में बाइड स्लीपर डालने का लक्ष्‍य निर्धारित किया गया है।

ट्रेनों को तेज गति से चलाने के लिए ज‍ितने जरूर आधुनिक व मजबूत कोच की आवश्यकता होती है, उससे अधिक जरूरी रेलवे लाइन, रेलवे लाइन के नीचे लगने वाले स्लीपर, पंड्रोल क्लिप की भी होती है। तेज गति से ट्रेन चलने पर कोच कांपे नहीं इसके लिए रेलवे लाइन के नीचे पत्थर होता है। रेलवे ने देश से सभी प्रमुख रेल मार्ग पर तेज गति से ट्रेनों को चलाने की योजना तैयार की है। उसी के आधार पर रेलवे लाइन में सुधार का काम किया जा रहा है। इस मामले में मुरादाबाद रेल मंडल बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। पिछले साल कोरोना महामारी के बाद भी मंडल रेल प्रशासन ने दूसरे मंडल से उच्च क्षमता वाली रेलवे लाइन, आधुनिक स्लीपर मंगाया और मैन पावर के साथ मशीनों को बदलने का काम किया। वित्तीय वर्ष 2020-21 में रेल मंडल में मशीन के द्वारा 130 किलोमीटर पुराने स्लीपर के स्थान पर आधुनिक बाइड स्लीपर डालने का काम किया गया। बाइड स्लीपर की खासियत है कि यह पुराने स्लीपर से 40 फीसद अधिक भारी होता है। स्लीपर की चौड़ाई भी अधिक होती है। रेललाइन को स्लीपर से पकड़ बनाए रखने के लिए पंड्रोल क्लिप लगाने की व्यवस्था की जाती है। बाइड स्लीपर में क्लिप लगाने की स्थान की चौड़ाई 6 मिलीमीटर से बढ़ाकर 10 मिलीमीटर कर दी गई है। इससे हैवी पंड्रोल क्लिप लगाया जाता है। 6 एमएम में पंड्रोल क्लिप आठ सौ किलोग्राम की भार को सहन करता है। जबकि दस एमएम की पंड्रोल क्लिप 14 सौ किलोमीटर का भार सहन कर सकता है। आधुनिक स्लीपर लगाने के बाद पत्थर कम लगता है। पुराने सिस्टम में एक मीटर पर 2.5 क्यूबिक मीटर डालना पड़ता है। जबकि बाइड स्लीपर में दो क्यूबिक मीटर डालना पड़ता है। आधुनिक स्लीपर, पंड्रोल क्लिप डालने के बाद 160 की गति से दौड़ने के बाद स्लीपर अपना स्थान नहीं छोड़ता है। जिससे तेज गति से ट्रेन चलने पर कोच नहीं कांपता है। चालू वित्तीय वर्ष में दो सौ किलोमीटर आधुनिक स्लीपर डालने के लिए अप्रैल में मांग के विपरीत तीन सौ फीसद स्लीपर व 250 फीसद पत्थर की आपूर्ति की गई है। भारतीय रेलवे में मुरादाबाद रेल मंडल बाइड स्लीपर लगाने में आगे रहा है। 

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