ओखला का 100 वर्ष पुराना वट वृक्ष होगा गौतमबुद्ध नगर की विरासत का प्रतीक, वन विभाग ने शुरू की पहल
वन विभाग जिले की विरासत को संवारने का काम शुरू कर दिया है। ओखला का 100 वर्ष पुराना वट वृक्ष गौतमबुद्ध नगर की विरासत का प्रतीक होगा। इसके साथ ही शासन स्तर से ऐतिहासिक पौराणिक और धार्मिक महत्व रखने वाली वन संपदा को चिह्नित करने की कवायद जारी है। गौतमबुद्ध नगर में 100 वर्ष से पुराने तीन पेड़ चिह्नित किए गए हैं।
HighLights
- वन विभाग वर्षाें पुराने पेड़ों के संरक्षण और संवर्द्धन पर देगा जोर
- अच्छेजा में दो व ओखला में एक 100 वर्ष पुराने पीपल और बरगद के पेड़ चिह्नित
मुनीश शर्मा, नोएडा। ओखला पक्षी विहार में 100 वर्ष पुराना बरगद यानि वट वृक्ष गौतमबुद्ध नगर की विरासत का प्रतीक होगा। वन विभाग जिले की विरासत को संवारने और इतिहास में एक और पन्ना जोड़ने की पहल पर काम कर रहा है।
ओखला में विरासत वृक्ष वाटिका बनाने की कवायद शुरू कर दी है। गांव अच्छेजा और ओखला में एक 100 वर्ष से पुराने तीन पेड़ चिह्नित किए गए हैं। वर्षाें पुरानों पेडों का संरक्षण करने के लिए वाटिका बनाने की पहल की जा रही है।
तीन पेड़ चिह्नित किए गए
डीएफओ प्रमोद श्रीवास्तव ने बताया कि इनमें ओखला पक्षी विहार में बरगद का एक पेड़ और अच्छेजा में बरगद व पीपल के दो पेड़ शामिल हैं।
तीनों पेड़ों का संरक्षण और संवर्धन किया जा रहा है। शुरुआत में ओखला में विरासत वृक्ष वाटिका बनाने की पहल की जा रही है। अन्य दो जगहों पर विरासत वाटिका बनाने की दिशा में काम किया जा रहा है।
हालांकि तीनों जगहों पर वन विभाग से इतर गांव के लोग भी पुरातन पेड़ों का संरक्षण कर रहे हैं। गांव के लोग परंपरागत रूप से बरगद की पूजा कर रहे हैं। पर्यावरण संरक्षण में योगदान देने तथा सांस्कृतिक व भावनात्मक रूप से जुड़े होने के कारण पेड़ों की सुरक्षा व देखरेख कर रहे हैं।
यह हैं विरासत पेड़
पेड़ का नाम उम्र स्थान
बरगद 100 वर्ष मारीपत रेलवे स्टेशन, गांव अच्छेजा
पीपल 100 वर्ष मारीपत रेलवे स्टेशन, गांव अच्छेजा
बरगद 100 वर्ष ओखला पक्षी विहार
जिले में 1250 विरासत पेड़
दादरी रेंज की रेंजर अधिकारी अनामिका ने बताया कि अच्छेजा और ओखला पक्षी विहार के अलावा जिले में विरासत पेड़ों की संख्या 1250 है। ओखला की विरासत वाटिका में 2500 पौधे लगाए जाने की योजना है। वाटिका के सभी पेड़ पौधों की टैगिंग भी कराई जाएगी।
इसके साथ ही सभी महत्वपूर्ण पेड़ों और पौधों पर एक प्लेट लगाई जाएगी। प्लेट पर उसका प्रचलित, अंग्रेजी और वानस्पतिक नाम अंकित रहेगा। इसका मकसद विरासत पेड़ को सरंक्षण देना और उसके आसपास हरित क्षेत्र विकसित करने की पहल है। जिससे विरासत पेड़ के संरक्षण को लेकर सभी जागरूक हो सके और अन्य जगहों पर भी विरासत वृक्ष वाटिका बनाने जैसे कदम उठाए जा सकें।