बिल्डरों का प्लॉट आवंटन निरस्त करने से यमुना प्राधिकरण ने पीछे खींचे कदम, सामने आई ये वजह

Yamuna Authority ने बिल्डरों का प्लॉट आवंटन निरस्त करने से अपने कदम पीछे खींच लिए हैं। पहले प्राधिकरण ने सुपरटेक और सन वर्ल्ड के प्लॉट की आंशिक लीजडीड रद्द करने का फैसला लिया था। लेकिन बिल्डरों की याचिका न्यायालय में विचाराधीन है। बकाया भुगतान न करने प्राधिकरण ने सन वर्ल्ड इंफ्रास्ट्रक्चर व सुपरटेक टाउनशिप का प्लॉट आवंटन निरस्त करने का फैसला लिया था।

By Arvind Mishra Edited By: Abhishek Tiwari Publish:Wed, 03 Jul 2024 11:11 AM (IST) Updated:Wed, 03 Jul 2024 11:11 AM (IST)
बिल्डरों का प्लॉट आवंटन निरस्त करने से यमुना प्राधिकरण ने पीछे खींचे कदम, सामने आई ये वजह
सुपरटेक व सन वर्ल्ड के भूखंड की आंशिक लीजडीड रद करने का फैसला हुआ था।

HighLights

  • प्लॉट की आंशिक लीजडीड रद्द करने का हुआ था फैसला
  • इलाहाबाद हाई कोर्ट में विचाराधीन हैं बिल्डरों की याचिका

जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा। यमुना प्राधिकरण ने सुपरटेक बिल्डर के सेक्टर 22 डी स्थित प्लॉट व सन वर्ल्ड को आवंटित प्लॉट की आंशिक लीजडीड रद्द करने के बोर्ड के फैसले से अपने कदम वापस खींच लिए हैं। दोनों बिल्डरों की ओर से इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका विचाराधीन है।

कोर्ट ने बिल्डर के खिलाफ कोई कार्रवाई न करने का आदेश दे रखा है। इसके बावजूद बोर्ड बैठक में प्रस्ताव रखकर यह फैसला किया गया। न्यायालय की अवमानना में कार्रवाई से बचने के लिए प्राधिकरण ने यह कदम उठाया है। बोर्ड को गलत सूचना देने के लिए विधि विभाग पर भी कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।

इसलिए आवंटन रद्द करने का लिया था फैसला

यमुना प्राधिकरण ने बकाया भुगतान न करने व अमिताभ कांत समिति की सिफारिशों का लाभ लेने के लिए आवेदन करने पर सन वर्ल्ड इंफ्रास्ट्रक्चर व सुपरटेक टाउनशिप सेक्टर 22 डी में घर खरीदारों के हिस्से को छोड़ते हुए शेष आवंटन रद्द करने का फैसला किया था।

बोर्ड की 81वीं बैठक में यह निर्णय लिया गया, लेकिन अब प्राधिकरण ने अपने ही फैसले पर रोक लगा दी है। सुपरटेक ने अतिरिक्त मुआवजा राशि की प्राधिकरण की मांग के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इसके साथ ही शून्यकाल का लाभ की भी मांग की थी।

विधि विभाग ने बोर्ड को दी थी गलत सूचना

इसके अलावा न्यायालय के आदेश पर एक प्रकरण प्रमुख सचिव औद्योगिक विकास के यहां भी विचाराधीन है। दोनों बिल्डरों के खिलाफ बोर्ड के फैसले से न्यायालय की अवमानना का सामना करना पड़ सकता था।

सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह ने बताया कि दोनों की बिल्डर के मामले में याचिका न्यायालय में विचाराधीन होने के कारण आवंटन निरस्तीकरण के फैसले को रोक दिया गया है। विधि विभाग की ओर से बोर्ड को गलत सूचना दी गई थी। विधि विभाग में तैनात विधि अधिकारी, प्रबंधक, सहायक प्रबंधक के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।

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