अब अंगुलियों के इशारों ट्रेनों को कराया जाएगा पास
शुक्लागंज, संवाद सहयोगी : गंगाघाट रेलवे स्टेशन पर रविवार की देर रात से स्टेशन अधीक्षक ने अपने अंगुलि
शुक्लागंज, संवाद सहयोगी : गंगाघाट रेलवे स्टेशन पर रविवार की देर रात से स्टेशन अधीक्षक ने अपने अंगुलियों के इशारे पर ट्रेनों का संचालन शुरू कर दिया है। करीब डेढ़ साल की मेहनत के बाद स्टेशन पर आटो सिग्नल की व्यवस्था लागू कर हाईटेक बना दिया गया है। हालांकि, नई व्यवस्था को समझने में एसएस को समय लगने के कारण अभी सिग्नल फेल होने की समस्या बनी हुई है पर जल्द ही अधिकारी इस व्यवस्था के अनुसार अपने आप को ढाल लेंगे।
कानपुर व उन्नाव के बीच स्थित मुख्य रेलवे स्टेशन होने के कारण करीब डेढ़ साल पहले विभाग ने इसे हाइटेक करने की ओर प्रयास शुरू कर दिए। शुरुआती दौर में लापरवाही के कारण ठेकेदार ने सिग्नल भवन को निर्धारित समय में पूरा नहीं किया, जिस कारण स्टेशन पर इस व्यवस्था को लागू होने में समय लग गया। लखनऊ से आए सिग्नल एंड टेलीकाम के अधिकारियों ने इस पर ठेकेदार के पेंच कसे तो असने आनन फानन में भवन का निर्माण कर तैयार कर दिया। वर्ष 2016 की शुरुआत से ही लाइनों को बिछा कर आटो सिग्नल व्यवस्था को लागू करने का दिन रात प्रयास किया गया। हाल ही में मेगा ब्लाक लेकर आटो सिग्नल को अंतिम रूप देने के बाद रविवार की देर रात करीब एक बजे आटो सिग्नल के माध्यम से ट्रेनों का संचालन शुरू कर दिया गया। एसएनटी विभाग के डिप्टी चीफ इंजीनियर विकास श्रीवास्तव ने इस व्यवस्था का अपने हाथों से शुभारंभ किया।
करना पड़ा समस्याओं का सामना
गंगाघाट रेलवे स्टेशन पर तैनात स्टेशन मास्टर शुरुआत से ही मैनुअली सिग्नल सिस्टम के माध्यम से ही ट्रेनों का संचालन करते आए हैं। रविवार की देर रात नए व्यवस्था लागू होने के बाद उसकी आदत न होने के कारण कई बार सिग्नल गलती से फेल हुआ। इस दौरान ट्रेन के गुजर जाने के बाद भी उसी लाइन पर सिग्नल हरा ही बना रहा, जो किसी बड़े खतरे का सूचक बन सकता था। हालांकि, कर्मचारियों की पैनी नजर के कारण इस बात की जानकारी एसएस तक पहुंच गई, जिस पर उन्होंने बड़ी होशियारी के साथ ट्रेनों का संचालन जारी रखा।
अब एसएस की होगी मुख्य भूमिका
गंगाघाट रेलवे स्टेशन पर यह व्यवस्था लागू होने के बाद अब एसएस की ही मुख्य भूमिका ट्रेनों के संचालन में मानी जाएगी। जबकि, इससे पहले स्टेशन के दोनों ओर स्थित केबिन पर तैनात कर्मचारी भी सिग्नल देने या न देने में अहम भूमिका निभाते थे।
कम होगी दुर्घटना की संभावना
विभागीय अधिकारियों की मानें तो आने वाले समय में लगभग सभी स्टेशनों को आटो सिग्नल की व्यवस्था से लैस किया जाएगा। अधिकारियों के अनुसार एक ही काम को कई लोगों के सहयोग से किए जाने में गलती की संभावना ज्यादा होती है। जबकि, एक ही व्यक्ति द्वारा एक काम की पूरी जिम्मेदारी उठाने से यह संभावना कम हो जाती है।
तीन घंटे फेल रहा सिग्नल
रात भर ट्रेनों का संचालन ठीक से होता रहा। सोमवार की सुबह करीब पांच बजे अचानक सिग्नल फेल हो जाने के कारण ट्रेनों का संचालन ठप हो गया। एस एंड टी विभाग काफी देर तक तकनीकि खामी को पकड़ने का प्रयास करता रहा। बाद में बटनों की खामी का पता चलने पर मरम्मत कर सुबह आठ बजे दोबारा सिग्नल ठीक कर संचालन शुरू कर दिया गया। इस दौरान बालामऊ पैसेंजर, रायबरेली इंटरसिटी, झांसी इंटरसिटी सहित करीब आधा दर्जन ट्रेनें लेटलतीफी का शिकार हो गईं।
अब एक बटन से खुलेगी बेरीकेडिंग
आटो सिग्नल के साथ ही गेटमैन की मेहनत भी कम कर दी गई है। आटोमेटिक गेट लगने के बाद ट्रेनों के आने से पहले गेटमैन को सिर्फ एक बटन दबा कर बैरियर बंद करना होगा और दोबारा ऐसा करने पर ट्रेन गुजरने के बाद क्रा¨सग खुल जाएगी। इससे पहले गंगापुल रेलवे क्रा¨सग पर गेटमैन बार बार बंद खोल करने के झंझट से बचने के लिए बैरियर को घंटों बंद ही रखता था। यह व्यवस्था लागू होने के बाद से ट्रेनों का संचालन सुरक्षित होने के साथ ही राहगीरों का आवागमन भी सुगम होगा।