उद्योगपति बसंत कुमार बिरला की अस्थियां गंगा में विसर्जित, मणिकर्णिका घाट पहुंचीं बेटी जयश्री
देश के सुप्रसिद्ध उद्योगपति स्वर्गीय बसंत बिरला का अस्थिकलश लेकर उनकी पुत्री जयश्री मोहता बुधवार को सुबह 10 बजे वाराणसी के एलबीएल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पहुंची।
वाराणसी, जेएनएन। भारतीय उद्योग जगत की शीर्ष हस्तियों में शामिल स्व. बसंत कुमार बिड़ला की अस्थियां बुधवार को गंगा में विसर्जित कर दी गईं। उनकी बड़ी बेटी जयश्री मोहता सुबह 9.30 बजे निजी विमान से अस्थियां लेकर लाल बहादुर शास्त्री हवाई अड्डे पहुंचीं। सड़क मार्ग से भैंसासुर घाट आईं व मां गंगा को प्रणाम कर सज्जित बजड़े पर सवार हुईं।
मणिकर्णिका घाट पर विधि-विधान पूर्वक अस्थि कलश गंगा को समर्पित किया। दशाश्वमेध घाट होते बाबा दरबार गईं और पिता की आत्मा शांति की कामना से श्रीकाशी विश्वनाथ का दर्शन-पूजन किया। इस दौरान बाबा दरबार से गंगा तट तक बन रहे कॉरिडोर को देख उनके आश्चर्य का ठिकाना न रहा। उन्होंने संकट मोचन और बीएचयू स्थित विश्वनाथ मंदिर में भी मत्था टेका। करीब सात घंटे काशी प्रवास के बाद जयश्री मोहता शाम पांच बजे निजी विमान से कोलकाता प्रस्थान कर गईं। अनुष्ठान के दौरान भाजपा काशी क्षेत्र के मीडिया प्रभारी नवरतन राठी, चंद्रप्रकाश लड्ढा, सुमित लड्ढा, प्रेमा, भावना लड्ढा समेत माहेश्वरी समाज के लोग थे। होटल ताज में विश्राम के दौरान माहेश्वरी समाज का प्रतिनिधिमंडल उनसे मिलने पहुंचा और शोक संवेदना जताई।
सात साल में क्या से क्या हो गया बनारस : जयश्री मोहता बदलते बनारस की झलक देखकर चकित रहीं। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर से दर्शन कर निकल रहीं मोहता ने मीडिया से बातचीत में कहाकि वर्ष 2012 में काशी आना हुआ था, तब और अब में बड़ा बदलाव देखने को मिला। सड़कें चौड़ी और साफ सुथरी हो गईं, गंगा के घाटों की रंगत बदल गईं तो श्रीकाशी विश्वनाथ कॉरिडोर चकित करने वाला है। बाबतपुर हवाई अड्डे से शहर आने में एक क्षण तो विदेश आ जाने का आभास हुआ। उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी की कार्यशैली को सराहा। कहा, विगत वर्षों में देश के कई शहरों व विदेश जाने का मौका मिला। इसमें महसूस किया कि मोदी जी के नेतृत्व में काशी सहित पूरे देश में विकास की गति तेज हुई है। देश ने विश्व में मजबूत राष्ट्र के रूप में पहचान बनाई।