आजमगढ़ की डा. गीता सिंह को मिला ‘मदन मोहन मालवीय विश्वविद्यालयस्तरीय’ सम्मान, 19 पुस्तकें प्रकाशित

आजमगढ़ की साहित्यिक पहचान और स्त्री विमर्श लेखिका डा. गीता सिंह को उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान ने उनके साहित्यिक अवदान पर ‘मदन मोहन मालवीय विश्वविद्यालयस्तरीय’ सम्मान प्रदान किया है। इस सम्मान में इन्हें एक लाख रुपये की राशि पुरस्कार स्वरूप दी जाएगी।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Sat, 02 Oct 2021 01:43 PM (IST) Updated:Sat, 02 Oct 2021 01:43 PM (IST)
आजमगढ़ की डा. गीता सिंह को मिला ‘मदन मोहन मालवीय विश्वविद्यालयस्तरीय’ सम्मान, 19 पुस्तकें प्रकाशित
आजमगढ़ की साहित्यिक पहचान और स्त्री विमर्श लेखिका डा. गीता सिंह

जागरण संवाददाता, आजमगढ़। जिले की साहित्यिक पहचान और स्त्री विमर्श लेखिका डा. गीता सिंह को उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान ने उनके साहित्यिक अवदान पर ‘मदन मोहन मालवीय विश्वविद्यालयस्तरीय’ सम्मान प्रदान किया है। इस सम्मान में इन्हें एक लाख रुपये की राशि पुरस्कार स्वरूप दी जाएगी।

डा. गीता सिंह वर्तमान में डीएवीपीजी कालेज में एसोसिएट प्रोफेसर एवं अध्यक्ष स्नातकोत्तर हिंदी विभाग के पद को सुशोभित कर रहीं हैं। इनके उच्च शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट साहित्यिक योगदान से उत्तर प्रदेश सरकार से 2017 में "शिक्षक श्री"सम्मान मिल चुका है, जिसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उच्च शिक्षा मंत्री डा. दिनेश शर्मा ने प्रदान किया था। इन्हें भारतीय डाक विभाग की "प्रिय बापू आप अमर हैं’ पत्र लेखन प्रतियोगिता में राष्ट्रीय स्तर पर द्वितीय पुरस्कार प्राप्त हो चुका है। इनकी महत्त्वपूर्ण आलोचना पुस्तक प्रसाद ‘साहित्य में स्त्री चेतना'को डा. रामविलास शर्मा पुरस्कार प्राप्त हो चुका है। इनकी कुल 19 पुस्तकें प्रकाशित हैं। अब तक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छह दर्जन से ज्यादा शोध पत्र विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं, शोध जर्नल व पुस्तक में प्रकाशित हो चुके हैं। सात पुस्तकें केंद्रीय विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षा पाठ्यक्रम और तीन पुस्तकें राज्य स्तरीय विश्वविद्यालय पाठ्यक्रम में अनुमोदित हैं। इनके संपादन में आजमगढ़ से निकल रही ‘अखिल गीत शोध दृष्टि'अंतरराष्ट्रीय शोध अद्धवार्षिक जर्नल का अब तक 15 अंक प्रकाशित हो चुका है।यह शोध जर्नल भारत के 23 राज्य और विश्व के चार देशों कनाडा,नेपाल, मारीशस, जापान तक अपने लेखकीय प्रसार के साथ भारत का नेतृत्व कर रहा है। इनके प्रधान संपादन में ‘शोध अमृत'अंतरर्राष्ट्रीय शोध पत्रिका का छह अंक भी प्रकाशित हैं।

महाविद्यालय स्तर की छह पत्रिकाओं का भी संपाद किया है। एक अंतरराष्ट्रीय और चार राष्ट्रीय साहित्यिक संगोष्ठी का संयोजन भी किया है। इन संगोष्ठियों में डा. ओम प्रकाश सिंह जेएनयू नई दिल्ली,प्रोफेसर अमरनाथ कोलकाता, प्रोफेसर नरेश मिश्र हरियाणा,प्रोफेसर परशुराम पाल लखनऊ, प्रोफेसर पूनम सिन्हा बिहार, प्रोफेसर त्रिभुवन नाथ शुक्ला, प्रोफेसर आशारानी मध्यप्रदेश ,डा. भानु प्रताप सिंह उत्तराखंड, प्रोफेसर नीरज खरे,प्रोफेसर प्रभाकर सिंह बीएचयू आदि विद्वानों का आगमन हुआ है। इनके शोध निर्देशन में नौ शोध छात्रों को पीएच-डी की उपाधि मिल चुकी है और तीन शोध छात्रों ने अपना शोध प्रबंध जमा किया है।वर्तमान में चार शोध छात्र शोध के लिए पंजीकृत हैं। आकाशवाणी से इनकेअनेक वार्ता एवं परिचर्चा प्रसारित हो चुके हैं।

chat bot
आपका साथी