मानवीय सेवा की ईमानदार प्रतिमूर्ति थे टाइगर जोगिन्दर सिंह, डाकू बुझारत को पकड़ा था जिन्दा
पूर्वांचल के लोग टाइगर को बड़े सम्मान से याद करते हैं और पुलिस अधिकारियों से टाइगर की तरह बनने का ख्वाब पालते हैं। टाइगर जोगिन्दर सिंह नहीं रहे लेकिन इस बात में जीने में क्या हर्ज है कि टाइगर होते तो ऐसा होता टाईगर होते तो वैसा होता।
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वाराणसी, जागरण संवाददाता। एक जमाने में घोड़े पर चढ़कर आतंक के पर्याय बने डाकू बुझारत को जिन्दा पकड़ने वाले दिलेर पुलिस अधिकारी जोगिन्दर सिंह को जनता ने टाईगर की उपाधि देकर अमर कर दिया। टाईगर जोगिन्दर सिंह की ईमानदारी और अपराधियों में टाईगर के खौफ की कहानियां आज भी प्रचलित हैं। आज भी पूर्वांचल के लोग टाइगर को बड़े सम्मान से याद करते हैं और पुलिस अधिकारियों से टाइगर की तरह बनने का ख्वाब पालते हैं। टाइगर जोगिन्दर सिंह नहीं रहे, लेकिन इस बात में जीने में क्या हर्ज है कि टाइगर होते तो ऐसा होता, टाईगर होते तो वैसा होता।
टाईगर जोगिन्दर सिंह की स्मृति में विशाल भारत संस्थान एवं टाईगर जोगिन्दर सिंह मेमोरियल सोसाइटी के संयुक्त तत्वावधान में सुभाष भवन, इन्द्रेश नगर, लमही में पुलिस एवं मानवीय सेवा विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि पूर्व परियोजना अधिकार, नेडा रणविजय सिंह, विशिष्ट अतिथि डा. निरंजन श्रीवास्तव, अध्यक्षता कर रहे विशाल भारत संस्थान के अध्यक्ष डा. राजीव श्रीवास्तव ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की मूर्ति एवं टाईगर जोगिन्दर सिंह की तस्वीर पर माल्यार्पण एवं दीपोज्वलन कर संगोष्ठी का शुभारम्भ किया।
संगोष्ठी में विचार व्यक्त करते हुये मुख्य अतिथ रणविजय सिंह ने कहा कि धार्मिक कट्टरपंथ पूरे विश्व की शांति के लिये खतरा है। दुनियां धर्म के नाम पर हो रही हिंसा से पीड़ित है, पूरी मानवता की धर्म के लिये बलि दी जा रही है। भारत धार्मिक हिंसा को कम करने की ताकत रखता है। सतर्कता बरतने और निगरानी रखने से धार्मिक हिंसा के खतरे को कम किया जा सकता है। पुलिस अपने थाना क्षेत्र में हिंसा फैलाने वालों की सूची तैयार करे और सरकार कट्टरपंथियों की आर्थिक ताकत तोड़े। पुलिस की बड़ी जिम्मेदारी है, इस खतरे से निबटने के लिए।
विशिष्ट अतिथि डा. निरंजन श्रीवास्तव ने कहा कि धार्मिक हिंसा पहले राज्य पोषित था जो अब सड़कों पर खुलेआम मानवता को कलंकित कर रहा है। तैमूर, नादिरशाह, बाबर सबने धर्म के नाम पर हिंसा को जायज ठहराकर शांति प्रिय भारत को कुचल दिया। आज पूरा यूरोप धार्मिक हिंसा की आग में झुलस रहा है। धार्मिक कट्टरपंथियों की वकालत भारत के सेकुलर बुद्धिजीवी करते हैं, जिससे उनके मंसूबे सफल हो रहे हैं। पुलिस बिना किसी भेदभाव के धार्मिक कट्टरपंथियों और उनके संरक्षकों, पक्षकारों को भी कानून के दायरे में लायें तभी इस समस्या का क्षेत्रीय हल निकल पायेगा। गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे विशाल भारत संस्थान के अध्यक्ष एवं इतिहासकार डा. राजीव श्रीवास्तव ने कहा कि धर्मगुरूओं को पुनः विचार करना चाहिये कि यदि धर्म शांति का मार्ग दिखाता है तो धर्म के नाम पर पूरी दुनियां में हिंसा क्यों हो रही है। धर्म के नाम पर कत्ल को जायज ठहराने वालों की जमात पूरी मानवता की दुश्मन है, इस जमात का पर्दाफाश जरूरी है।
स्थानीय स्तर पर पुलिस और खुफिया एजेंसियां ऐसे लोगों के नाम उजागर करे जो धार्मिक हिंसा फैलाते हैं, उनकी मदद करते हैं। हिंसा फैलाने वालों से भी ज्यादा उनके मददगार गुनहगार हैं। पुलिस देश बर्बाद करने का मंसूबा पालने वालों के प्रति कोई सहानुभूति न दिखाए। कार्यक्रम के संयोजक टाईगर जोगिन्दर सिंह मेमोरियल सोसाइटी के अध्यक्ष डीएन सिंह ने कहा कि टाईगर जोगिन्दर सिंह की स्मृति में प्रत्येक वर्ष पांच हजार रुपये का पुरस्कार धार्मिक कट्टरता से मुक्त कराने एवं मजहबी एकता स्थापित करने वाले किसी भी देश के नागरिक को दिया जाता रहेगा, ताकि टाईगर की स्मृति लोगों के जेहन में बनी रहे और पुलिस अधिकारी उनकी तरह बनने का प्रयास करें। संगोष्ठी का संचालन नजमा परवीन ने किया एवं धन्यवाद अर्चना भारतवंशी ने दिया। इस संगोष्ठी में डा. मृदुला जायसवाल, नाजनीन अंसारी, अशोक सहगल, खुशी रमन भारतवंशी, इली भारतवंशी, उजाला भारतवंशी, प्रभावति, सरोज देवी, गीता, किसुना, लीलावति, पार्वती, नगीन, प्रियंका, सीमा, कलावती, चन्दा, रीता, उर्मिला, शीला, किरन, किशुना, अर्चना, गीता, रेखा, पूनम आदि लोगों ने भाग लिया।