वन विभाग ने फायर सीजन के लिए कसी कमर, जरूरत पड़ने पर एसडीआरएफ के उपकरणों का भी होगा इस्तेमाल
उत्तराखंड के वनों को आग से होने वाले नुकसान की रोकथाम के प्रयास शुरू हो गए हैं। वन विभाग ने 15 फरवरी से शुरू हो रहे फायर सीजन के लिए कमर कस ली है। इस बार वनों को आग से बचाने के लिए एसडीआरएफ का भरपूर सहयोग लिया जाएगा।
जागरण संवाददाता, देहरादून। उत्तराखंड के वनों को आग से होने वाले नुकसान की रोकथाम के प्रयास शुरू हो गए हैं। वन विभाग ने 15 फरवरी से शुरू हो रहे फायर सीजन के लिए कमर कस ली है। इस बार वनों को आग से बचाने के लिए स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स (एसडीआरएफ) का भरपूर सहयोग लिया जाएगा। जरूरत पड़ने पर वन विभाग एसडीआरएफ के उपकरण भी इस्तेमाल करेगा।
पिछले कुछ वर्षों से फायर सीजन में वन संपदा का बड़े पैमाने पर नुकसान होता रहा है। ऐसे में यह भी अक्सर सामने आता रहा है कि वन विभाग के पास पर्याप्त संसाधन न होने के कारण आग की रोकथाम में भी दिक्कतें पेश आ रही हैं। ऐसे में इसे गंभीरता से लेते हुए सरकार के निर्देश पर वन विभाग गंभीरता से आग की रोकथाम को कार्ययोजना बनाने में जुटा है। विभाग ने फायर लाइन खींचने से लेकर वनों से पिरुल हटाना शुरू कर दिया है। इसके अलावा ग्रामीणों को भी वनों में आग लगने के कारणों से रूबरू कराया जा रहा है। हालांकि, इस सबके बावजूद वनों में आग की आशंका बनी रहती है। ऐसे में सभी फ्रंट लाइन फॉरेस्ट कर्मियों को उपकरणों के साथ सक्रिय कर दिया गया है।
प्रमुख मुख्य वन संरक्षक (हॉफ) राजीव भरतरी ने कहा किइस बार सरकार की ओर से फायर सीजन के लिए बजट भी बढ़ा दिया गया है, जिसे उपकरण जुटाने और वन संपदा के नुकसान की भरपाई में लगाया जाएगा। संसाधनों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए एसडीआरएफ से उपकरण लिए जाएंगे।
एसडीआरएफ से लिए जाएंगे यह उपकरण
फायर फाइटिंग इक्युपमेंट, हैंड टूल्स, इंडिविज्युअल किट, पर्सनल प्रोटेक्टिंग गियर, माउंट्रेन रेस्क्यू इक्युपमेंट, मेडिकल फर्स्ट रिस्पांस किट, बॉडी हारनेस, फ्लैश लाइट, रोप, बैटरी आदि।
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