प्यार व डेटिंग मामलों में HC की सुनवाई, नाबालिग लड़कों की गिरफ्तारी पर जताई चिंता; केंद्र व राज्य सरकार से मांगा जवाब

जुबेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत ऐसे मामले में लड़के लड़कियों व स्वजनों की काउंसिलिंग की जानी चाहिये जबकि भारतीय दंड संहिता में 16 से 18 साल के अपराधी बच्चों को दंड देने के बजाय उनकी मानसिक स्थिति को जानने के लिए बोर्ड का गठन करने का प्रावधान है। इसके विपरीत पॉक्सो एक्ट के कुछ धाराओं में जेल भेज जाता है।

By Jagran NewsEdited By: Riya Pandey Publish:Mon, 01 Jul 2024 08:55 PM (IST) Updated:Mon, 01 Jul 2024 08:55 PM (IST)
प्यार व डेटिंग मामलों में HC की सुनवाई, नाबालिग लड़कों की गिरफ्तारी पर जताई चिंता; केंद्र व राज्य सरकार से मांगा जवाब
प्यार व डेटिंग के मामलों में लड़कों के ही गिरफ्तारी पर हाईकोर्ट गंभीर

HighLights

  • नाबालिग लड़कों की गिरफ्तारी पर HC गंभीर
  • प्यार व डेटिंग मामलों लड़के ही दोषी
  • जुबेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत ये है प्रावधान

जागरण संवाददाता, नैनीताल। हाई कोर्ट ने नाबालिग लड़के-लड़कियों के प्यार व डेटिंग के दौरान पकड़े जाने पर लड़के को गिरफ्तार किए जाने के विरुद्ध दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए केंद्र व राज्य सरकार से जबाव दाखिल करने को कहा है।

सोमवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति न्यायमूर्ति ऋतु बाहरी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ में अधिवक्ता मनीषा भंडारी की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई।

लड़के-लड़कियों के प्यार के मामले में दोषी होते हैं लड़के 

जिसमें कहा गया है कि नाबालिग लड़के-लड़कियों के प्यार के मामले में हमेशा दोषी लड़के को माना जाता है, जबकि कुछ मामलों में लड़की बड़ी होती है, तब भी लड़के को ही हिरासत में लिया जाता है और उसे अपराधी बनाकर जेल में डाल दिया जाता है जबकि उसकी गिरफ्तारी के बजाय काउंसिलिंग होनी चाहिए। जिस उम्र उसे स्कूल कॉलेज होना चाहिये था, वह जेल में होता है।

एक्ट के तहत ये है प्रावधान

जुबेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत ऐसे मामले में लड़के, लड़कियों व स्वजनों की काउंसिलिंग की जानी चाहिये जबकि भारतीय दंड संहिता में 16 से 18 साल के अपराधी बच्चों को दंड देने के बजाय उनकी मानसिक स्थिति को जानने के लिए बोर्ड का गठन करने का प्रावधान है, इसके विपरीत पॉक्सो एक्ट के कुछ धाराओं में जेल भेज जाता है। यह सोचनीय विषय है। इस पर विचार किया जाना आवश्यक है। नाबालिगों को सीधे जेल न भेजकर उनकी काउंसिलिंग की जानी चाहिए।

सुनवाई के दौरान कोर्ट के संज्ञान में आया कि हल्द्वानी जेल में आरोपियों में 20 के आसपास कम आयु के लड़के बंद मिले थे। मामले को गंभीरता से लेते हुए खंडपीठ ने केंद्र व राज्य सरकार से जबाव मांगा है।

यह भी पढ़ें- Haldwani: लापरवाही के 'धक्के' से गिरा आंधी-तूफान में अडिग 100 साल पुराना पेड़, था क्षेत्र की पहचान

chat bot
आपका साथी