Uttarakhand Transport Department में वीवीआइपी नंबर 0005 का मामला, चार-चार लाख की लगी बोली, लेकिन 40 हजार में बिका

VVIP number Bid मनपसंद नंबर पाने के लिए वाहन स्वामियों में अक्सर दिलचस्पी देखने को मिलती है। इसलिए परिवहन विभाग भी चुनिंदा नंबरों को आनलाइन बोली में रखता है। यूके 04 एएन सीरिज में 0005 नंबर को लेकर अनोखा मामला सामने आया। पहली बोली में एक वाहन स्वामी ने चार लाख से ज्यादा में नंबर लिया। लेकिन आखिर में नंबर 40 हजार में बिका।

By govind singh Edited By: Nirmala Bohra Publish:Wed, 03 Jul 2024 03:54 PM (IST) Updated:Wed, 03 Jul 2024 03:57 PM (IST)
Uttarakhand Transport Department में वीवीआइपी नंबर 0005 का मामला, चार-चार लाख की लगी बोली, लेकिन 40 हजार में बिका
VVIP number Bid: यूके 04 एएन सीरिज में 0005 नंबर को लेकर अनोखा मामला

HighLights

  • दो बोलीदाताओं की 25-25 हजार की सिक्योरिटी राशि हुई जब्त
  • पहली बार 25 मई आनलाइन नीलामी में शामिल किया गया 0005

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी। VVIP number Bid: आनलाइन सिस्टम शुरू होने के बाद से वीवीआइपी नंबरों को पाने के लिए वाहन स्वामी खूब बोली लगा रहे हैं। लेकिन यूके 04 एएन सीरिज में 0005 नंबर को लेकर अनोखा मामला सामने आया है। पहली बोली में एक वाहन स्वामी ने चार लाख से ज्यादा में नंबर लिया। लेकिन पैसे जमा न करने पर दोबारा नीलामी हुई।

यहां फिर से नंबर चार लाख से ज्यादा में छूटा। मगर तय समय में इस बार भी पैसे जमा नहीं हुए। इसके बाद तीसरी बारी में 40 हजार में यह नंबर बिका है। हालांकि, पहले दो मामलों में 25-25 हजार की सिक्योरिटी राशि जब्त हो चुकी है।

चुनिंदा नंबरों की आनलाइन बोली

मनपसंद नंबर पाने के लिए वाहन स्वामियों में अक्सर दिलचस्पी देखने को मिलती है। इसलिए परिवहन विभाग भी चुनिंदा नंबरों को आनलाइन बोली में रखता है। ताकि ज्यादा से ज्यादा राजस्व मिल सके। हर नंबर का अलग-अलग न्यूनतम मूल्य होता है।

यूके 04 एएन सीरिज में 0005 नंबर के लिए पहली बार 25 मई आनलाइन नीलामी में शामिल किया गया था। तब अधिकतम 4.11 लाख बोली लगी। लेकिन निर्धारित समय दो दिन में पैसे जमा नहीं किया। जिस वजह से बोलीदाता की 25 हजार की सिक्योरिटी राशि जब्त कर ली गई।

इसके बाद छह जून को दोबारा प्रक्रिया शुरू हुई। इस बार ये नंबर 4.73 लाख में छूटा। लेकिन इस वाहन स्वामी ने भी तय समय में पैसे जमा नहीं किए। जिस पर सिक्योरिटी के 25 हजार और परिवहन विभाग के खाते में चले गए। इसके बाद तीसरी बारी में यह नंबर 40 हजार रुपये में ही छूट गया।

पहली दो बोली में चार-चार लाख से ज्यादा की बोली लगी थी। लेकिन दोनों बार ही बोली के पैसे जमा नहीं हुए। जिस पर तीसरी बार नीलामी करवाई गई।

- संदीप सैनी, आरटीओ प्रशासन

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