पहाड़ी किसानों के लिए बैलों का विकल्प बनी यह मशीन, खेती में अब रोड़ा नहीं श्रम संसाधन की कमी; हर फसल बुआई में है उपयोगी

जनपद उत्तरकाशी में कृषि विभाग 1161 पावर वीडर 80 प्रतिशत सब्सिडी पर दे चुका है। इसका उपयोग रोपाई के लिए खेत तैयार करने से लेकर हर फसल की बुआई के लिए किया जा रहा है। पावर वीडर यहां की विषम परिस्थितियों को ध्यान में रखकर खासतौर पर पहाड़ों के लिए बनाया गया है जो खेत जोतने के काम आ रहा है।

By Shailendra prasad Edited By: Riya Pandey Publish:Mon, 01 Jul 2024 10:30 PM (IST) Updated:Mon, 01 Jul 2024 10:30 PM (IST)
पहाड़ी किसानों के लिए बैलों का विकल्प बनी यह मशीन, खेती में अब रोड़ा नहीं श्रम संसाधन की कमी; हर फसल बुआई में है उपयोगी
पहाड़ी किसानों के लिए वरदान बना रहा पावर वीडर

HighLights

  • पहाड़ी इलाकों में खेती करना बेहद मुश्किल
  • खेत जोत में पावर वीडर तेजी से हो रहा लोकप्रिय
  • 1161 पावर वीडर 80 प्रतिशत सब्सिडी पर दे चुका विभाग

जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी। पहाड़ की छोटी जोत वाले किसानों में खेत जोतने के पावर वीडर तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। बैलों की जोड़ी न मिलने से खेती छोड़ने वाले किसानों के लिए मशीन बैल का विकल्प बन रही है। साथ ही श्रम संसाधनों की कमी भी अब खेती में आड़े नहीं आ रही।

जनपद उत्तरकाशी में कृषि विभाग 1161 पावर वीडर 80 प्रतिशत सब्सिडी पर दे चुका है। इसका उपयोग रोपाई के लिए खेत तैयार करने से लेकर हर फसल की बुआई के लिए किया जा रहा है।

उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में खेती करना काफी मुश्किल काम है। खेतों की जुताई से लेकर गुड़ाई करने में काफी समय और मैन पावर लगती है, जिसे देखते हुए पहाड़ों में आधुनिक कृषि यंत्रों को बढ़ावा दिया जा रहा है।

पहाड़ों के लिए बनाया गया है ये पावर वीडर

पावर वीडर यहां की विषम परिस्थितियों को ध्यान में रखकर खासतौर पर पहाड़ों के लिए बनाया गया है जो खेत जोतने के काम आ रहा है। पावर वीडर पहाड़ी क्षेत्रों के किसानों के लिए काफी मददगार साबित हो रहा है। इससे कम समय और कम मैन पावर के साथ खेत जोतने में काफी मदद मिल रही है।

साढ़े पांच हॉर्स पावर और तकरीबन 70-80 किलो वजनी पावर वीडर मशीन पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि के मशीनीकरण में बड़ा परिवर्तन ला रही है। उत्तरकाशी के मुख्य कृषि अधिकारी जेपी तिवारी ने बताया कि

पर्वतीय इलाकों में कम जोत वाले हैं किसान

पर्वतीय इलाकों में ज्यादातर कम जोत वाले किसान हैं। सबसे बड़ी समस्या श्रम संसाधनों की है, जिसमें खेत जोतने के लिए श्रमिक नहीं मिलते। अगर मिल भी गया तो मजदूरी काफी महंगी है। लेकिन अब किसानों को पावर वीडर के रूप में इस समस्या का एक समाधान नजर आया है।

उन्होंने कहा कि कृषि यंत्रों में सरकार की ओर से सब्सिडी भी दे रही हैं। एक पावर वीडर को खरीदने में 80 प्रतिशत की सब्सिडी की सुविधा किसानों को मिल रही है। पर्वतीय हल पर भी 80 प्रतिशत सब्सिडी है। जनपद में मोरी और पुरोला छोटे ब्लाक होने के बाद भी सबसे अधिक पावर वीडर खरीदे गए हैं। सब्सिडी में एक पावर वीडर किसानों को 18 से 20 हजार रुपये में पड़ता है।

इसके अलावा पावर वीडर के साथ पाटा और अन्य उपकरण भी उपलब्ध कराये जा रहे हैं। अब जल्द ही किसानों को सौर ऊर्जा से संचालित होने वाला पावर वीडर भी उपलब्ध हो जाएगा।

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