डीएचआर ट्रैक पर गाड़ी लगाई तो खैर नहीं-डीआरएम
- रेलवे ने की जब्त करने की तैयारी अतिक्रमण पर भी गाज -सहयोग के लिए राज्य सरकार के साथ ह
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- रेलवे ने की जब्त करने की तैयारी, अतिक्रमण पर भी गाज
-सहयोग के लिए राज्य सरकार के साथ होगी बातचीत
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : यूनेस्को से वर्ल्ड हेरिटेज दर्जा प्राप्त विश्व प्रसिद्ध दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे (डीएचआर) ट्रैक पूरी तरह से अतिक्रमण मुक्त रखने के लिए रेलवे प्रशासन कटिबद्ध है। ट्रैक पर गाड़ी लगी मिली तो रेलवे जब्त कर लेगी। उक्त बातें एनएफ रेलवे कटिहार डिवीजन के डीआरएम रविंद्र कुमार वर्मा ने कही है। वह एनजेपी से लेकर दार्जिलिंग तक ट्वॉय ट्रेन से किए गए मुकम्मल निरीक्षण के बाद मंगलवार को एनजेपी स्थित डीआरएम कार्यालय में संवाददाताओं से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बीते सोमवार को डीएचआर ट्रैक का मुकम्मल निरीक्षण ट्वॉय ट्रेन से किया गया। इस दौरान विभिन्न जगहों पर ट्रैक के आस-पास अतिक्रमण व गंदगी दिखी, उसे नोट कर लिया गया। उसकी फोटो भी ली गई है और वीडियो भी बनाया है। ट्रैक को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए एक्शन प्लान तैयार किया जा रहा है। इसके परिणाम भी 15-20 दिन के अंदर देखने को मिलने लगेंगे। हालांकि उन्होंने कहा कि डीएचआर ट्रैक पर व आस-पास जो भी अतिक्रमण व गंदगी है वह एनजेपी से सुकना तक ही है। डीएचआर ट्रैक के आस-पास अतिक्रमण भी 1999 से पहले की है। वर्ष 1999 में डीएचआर को वर्ल्ड हेरिटेज का दर्जा मिलने के बाद डीएचआर ट्रैक के पास अतिक्रमण नहीं होने दिया गया है। उन्होंने कहा कि दार्जिलिंग पार्वत्य क्षेत्र में डीएचआर ट्रैक के आस-पास अतिक्रमण की शिकायत नहीं है। डीआरएम वर्मा ने कहा कि घायाबारी व सोनादा स्टेशन का भी निरीक्षण किया गया। स्टेशन भवन के जीर्णोद्धार का काम चल रहा है। सितंबर तक काम पूरा कराकर इसे चालू कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि विश्व धरोहर डीएचआर के संरक्षण के लिए जो भी करना होगा, किया जाएगा। पश्चिम बंगाल सरकार के साथ बात की जाएगी। अतिक्रमण मुक्त कराने में सहयोग के लिए पहले जिला प्रशासन के साथ बात की गई थी, लेकिन अपेक्षित सहयोग नहीं मिलने की वजह से राज्य सरकार के उच्च स्तरीय अधिकारियों के साथ बात की जाएगी। सिर्फ डीएचआर ट्रैक के पास अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए ही नहीं, बल्कि रेलवे की जमीन खाली कराने के लिए बात की जाएगी। वर्मा ने कहा कि डीएचआर अब सिर्फ भारतीय धरोहर नहीं बल्कि विश्व धरोहर है।