बहस के बाद नीली रोशनी दूर करती है तनाव

विवाद के बाद खुद को शांत करने के लिए स्पेन की यूनिवर्सिटी ऑफ ग्रेनेडा के वैज्ञानिकों ने नीली रोशनी के नीचे बैठने का दिया सुझाव

By Srishti VermaEdited By: Publish:Wed, 15 Nov 2017 09:34 AM (IST) Updated:Wed, 15 Nov 2017 09:34 AM (IST)
बहस के बाद नीली रोशनी दूर करती है तनाव
बहस के बाद नीली रोशनी दूर करती है तनाव

लंदन (प्रेट्र)। क्या किसी दोस्त के साथ आपकी बहस हो गई है? यदि ऐसा है तो नीली रोशनी के नीचे बैठने से आप जल्दी शांत हो सकेंगे और मनोसामाजिक तनाव को कम कर सकेंगे। यह दावा वैज्ञानिकों द्वारा एक नवीन अध्ययन के बाद किया गया है। यह अध्ययन जिन वैज्ञानिकों द्वारा किया गया उनमें स्पेन की यूनिवर्सिटी ऑफ ग्रेनेडा के वैज्ञानिक भी शामिल थे। इन्होंने अध्ययन के लिए इलेक्ट्रोफिजियोलॉजिकल मापक का प्रयोग कर यह बताया कि पारंपरिक सफेद रोशनी की तुलना में नीली रोशनी में आपको आरामदेह स्थिति में लाने की प्रक्रिया तेज होती है।

क्या है मनोसामाजिक तनाव : वैज्ञानिकों के मुताबिक, मनोसामाजिक तनाव अल्पकालिक तनाव होता है, जो सामाजिक और पारस्परिक संबंधों के कारण उत्पन्न होता है। उदाहरणस्वरूप, किसी मित्र से बहस हो जाने पर या किसी व्यक्ति द्वारा किसी टास्क को निश्चित समय में पूरा करने के लिए आप पर दबाव डालने पर यह तनाव आपको घेर लेता है।

इस तरह किया अध्ययन : शोधकर्ताओं ने पाया कि मनोसामाजिक तनाव के कारण कुछ मनोसामाजिक प्रतिक्रियाएं उत्पन्न होती हैं, जिन्हें बायो सिग्नल्स के माध्यम से मापा जा सकता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक यह तनाव बहुत आम है और इसका मनुष्य के स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता पर नकारात्मक असर पड़ता है। प्लस वन नामक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, इसमें शोधकर्ताओं के अलावा 12 वॉलेंटियर भी शामिल हुए, जिन्होंने मनुष्यों में तनाव के कारण जानने वाली विधि एमआइएसटी का प्रयोग किया। सत्र के दौरान सभी प्रतिभागियों को एक समान तनाव दिया गया। तीन मिनट की इस अवधि के बाद छह मिनट के लिए एमआइएसटी चली। इसके बाद प्रतिभागियों को किसी भी तरह से प्रोत्साहित किए बिना कमरों में लेटने को कहा गया। एक कमरे में नीली रोशनी थी और दूसरे में सफेद।

यह आया परिणाम : विविध बायो-सिग्नल्स जैसे हृदय गति, मस्तिष्क की सक्रियता आदि को पूरे सत्र के दौरान इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम और इलेक्ट्रोइंसाफ्लोग्राम द्वारा क्रमश: मापा जाता रहा। इसमें सामने आया कि सफेद रोशनी वाले कमरे की तुलना में जो लोग नीली रोशनी वाले कमरे में लेटे थे उन्हें शांत होने में कम समय लगा और उनका तनाव जल्द खत्म हो गया।

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