ओंकारेश्वर में बन रही आदि शंकराचार्य की 108 फीट की प्रतिमा, अद्वैत वेदांत के दर्शन का संदेश देगा 'एकात्म धाम'
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विजन और संत समाज के मार्गदर्शन में खंडवा के ओंकारेश्वर में स्थित ओंकार पर्वत पर अद्भुत और अलौकिक आध्यात्मिक लोक एकात्म धाम का निर्माण किया जा रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज का प्रदेश में धर्म संस्कृति को विकसित करने के प्रयास में इस प्रोजेक्ट को देखा जा रहा है। यह प्रोजेक्ट करीब 126 हेक्टेयर लैंड में फैला है।
इस प्रोजेक्ट के बारे में बताते हुए मध्य प्रदेश के पर्यटन और संस्कृति मंत्रालय के प्रमुख सचिव शिव शेखर शुक्ला ने कहा कि इस प्रोजेक्ट से न केवल पर्यटन बल्कि सरकार के द्वारा किया जा रहा सांस्कृतिक पुनरुद्धार का काम भी होगा। अद्वैत वेदांत के प्रति आस्था रखने वाले लोगों के लिए यह ज्ञान प्राप्त करने के लिए एक केंद्र के रूप में उभरेगा। यह स्थान आने वाले समय में देश-विदेश के लोगों को आकर्षित करेगा। जब काफी समय संख्या में बाहर से लोग यहां पर आएंगे तो निश्चित रूप से स्थानीय लोगों को आर्थिक रूप से फायदा होगा।आदि शंकराचार्य ने भारत को अपने परम वैभव पर पुनः स्थापित किया था। वे सनातक धर्म के पुनरोद्धारक हैं। आज हम जो भारत देख रहे हैं वे आचार्य शंकर की देन है। उन्होंने देश के चार कोनों में चार मठों की स्थापना की थी। उन्होंने कुंभ मेले को पुनर्जीवित किया। कई परंपराओं को शुरू किया। सिर्फ 32 वर्ष की आयु में उन्होंने सनातन धर्म और भारत का पुनरुद्धार किया। उन्होंने देश को पुनर्जाग्रत और व्यवस्थित किया। वे केरल से चलकर अपने गुरु की खोज में ओंकारेश्वर तक पैदल आए थे। इस घटना का हमारे लिए बड़ा महत्व है। इसी कारण से इस बड़े प्रोजेक्ट के लिए ओंकारेश्वर को चुना गया है। - असिस्टेंड प्रोग्राम ऑफिसर आशुतोष ठाकुर
एमपी के सांस्कृतिक विभाग के ऑफिस इंचार्ज डा शैलेंद्र मिश्रा ने कहा कि यह प्रोजेक्ट करीब 126 हेक्टेयर लैंड में फैला है। इसमें 12 हेक्टेयर में संग्रालहय बनेगा। 35 हेक्टेयर में आचार्य शंकर अंतरराष्ट्रीय अद्वैत वेदांत संस्थान है। पहले चरण में आचार्य शंकर की मूर्ति जिसे हमने 'स्टैच्यू और वननेस' कहा है। उसका निर्माण कार्य चल रहा है।शंकराचार्य की अखंड भारत की यात्रा ओंकारेश्वर से शुरू हुई थी। ओंकारेश्वर ऐसा धाम हैं जहां उनको गुरु पद प्राप्त हुआ। मध्य प्रदेश को यह गौरव प्राप्त हैं कि इसने ही एक ब्रह्मचारी को आदि शंकर के रूप में स्थापित किया। शंकराचार्य की अखंड भारत की यात्रा के स्थानों को चिन्हित किया जा रहा है और उनको जोड़ा जा रहा है। उन जगहों को चिन्हित करके सार्वभौमिक एकात्मता के संदेश को देकर अखंड भारत को जोड़ा रहा है। इसमें अखंड भारत के साथ ही साथ अखंड विश्व की संकल्पना भी शामिल है। - सागर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अंबिका दत्त शर्मा