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Pitru Paksha 2022: पितृतृप्ति का 16 दिनी महापर्व आज से, 17 सितंबर को नहीं होगा किसी तिथि का श्राद्ध

Pitru Paksha 2022 16 दिवसीय श्राद्ध पक्ष 10 से 25 सितंबर तक रहेगा। 17 सितंबर को किसी भी तिथि का श्राद्ध नहीं होगा। 25 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या है। इस दिन सभी ज्ञात और अज्ञात दिवंगतों के श्राद्ध के साथ श्राद्ध पक्ष समाप्त होगा।

By Babita KashyapEdited By: Updated: Sat, 10 Sep 2022 07:45 AM (IST)
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Pitru Paksha 2022: 16 दिवसीय श्राद्ध पक्ष 10 से 25 सितंबर तक रहेगा।
इंदौर, जागरण आनलाइन डेस्‍क। पितरों की पूजा के लिए 16 दिवसीय श्राद्ध पक्ष 10 से 25 सितंबर तक रहेगा। ज्योतिषियों के अनुसार श्राद्ध पक्ष भले ही 16 दिनों का हो लेकिन 17 सितंबर को किसी भी तिथि का श्राद्ध नहीं होगा। ऐसा पंचांगों में 10 सितंबर को पूर्णिमा और प्रतिपदा श्राद्ध एक दिन होने के कारण हो रहा है।

25 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या है। इस दिन सभी ज्ञात और अज्ञात दिवंगतों के श्राद्ध के साथ श्राद्ध पक्ष समाप्त होगा। श्राद्ध पक्ष के दौरान शहर भर में सामूहिक तर्पण के कई कार्यक्रम होंगे। इसके साथ ही मोक्षदायिनी भागवत कथा का भी आयोजन किया जाएगा।

तर्पण विधि और महत्‍व

गरुण पुराण में कहा गया है कि पूर्वजों का नाम लेकर प्रतिदिन तर्पण किया जा सकता है। लेकिन यदि आप सर्व पितृ अमावस्या पर तर्पण करते हैं तो इसका खास महत्व होता है। यदि आप तर्पण को सही तरीके से नहीं कर सकते हैं, तो आप इसे एक योग्य ब्राह्मण से करवा सकते हैं।

तर्पण विधि करते समय हाथ में कुश की अंगूठी बनाई जाती है। तर्पण करने वाले व्यक्ति का दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके बैठना चाहिए। तर्पण में काले तिल, सफेद चंदन, सफेद फूल का प्रयोग किया जाता है। शास्त्रों में 6 प्रकार के तर्पण का उल्लेख है- इनमें दिव्य मानव तर्पण, दिव्य पितृ-तर्पण, देव तर्पण, ऋषि तर्पण, यम-तर्पण और मानव-पितृ तर्पण हैं।

23 साल में 20 ज्ञात और अज्ञात मृतकों की अस्थियों प्रवाहित की गई

देश की पवित्र नदियों में लगभग 20 हजार ज्ञात-अज्ञात मृतकों की अस्थियों को शास्त्र विधि के अनुसार प्रवाहित करने वाली संस्था श्रद्धा सुमन सेवा समिति के तत्वावधान में पिछले 23 वर्षों में इस वर्ष नि:शुल्क तर्पण अनुष्ठान का आयोजन किया जाएगा।

प्रतिदिन सुबह 8 से 10 बजे तक बड़ा गणपति पिलियाखाल स्थित प्राचीन हंसदास मठ में महामंडलेश्वर स्वामी रामचरणदास महाराज की उपस्थिति में शास्त्रों के अनुसार दिवंगत पूर्वजों एवं प्रियजनों के तर्पण की रस्म होगी।

अध्यक्ष मोहनलाल सोनी और संयोजक हरि अग्रवाल ने बताया कि पितृ मोक्षदायी भागवत कथा 18 से 24 सितंबर तक प्रतिदिन दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक होगी।

डिसक्लेमर

इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांगों/प्रवचनों/विश्वासों/ग्रंथों से एकत्रित कर यह जानकारी आपके लिए लाई है। हमारा उद्देश्य केवल सूचना प्रसारित करना है, इसके उपयोगकर्ता इसे केवल सूचना के रूप में लें। इसके अलावा, उपयोगकर्ता इसके किसी भी उपयोग के लिए स्वयं जिम्मेदार होगा।

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