Annakoot Mahotsav: इंदौर में निभायी जाएगी 403 साल पुरानी अन्नकूट की परंपरा, 56 पकवानों का लगेगा भोग
Annakoot Mahotsav इंदौर के राम मंदिर में 26 अक्टूबर को 403 साल से चली आ रही परंपरा का निर्वहन किया जाएगा। 500 से अधिक गायों की पूजा अर्चना की जाएगी। अन्नकूट महोत्सव में भगवान को नए अनाज से बने 56 तरह के पकवानों का भोग लगाया जाता है।
By Jagran NewsEdited By: Babita KashyapUpdated: Mon, 17 Oct 2022 08:55 AM (IST)
इंदौर, जागरण आनलाइनडेस्क। Annakoot Mahotsav: 26 अक्टूबर को इंदौर के पंचकुइया में स्थित राम मंदिर आश्रम में आयोजित अन्नकूट महोत्सव संतों की उपस्थिति में अयोध्या की तर्ज पर मनाया जाएगा। यहां 403 साल से चली आ रही परंपरा का निर्वहन किया जाएगा।
26 अक्टूबर को अन्नकूट महोत्सव का आयोजन
अन्नकूट महोत्सव के दौरान सुबह गोवर्धन पूजा होगी। गौशाला में गायों की पूजा के साथ-साथ गौ प्रसाद भी होगा। शाम को द्वारका धाम के रूप में भगवान टीकमजी के दर्शन होंगे। सैकड़ों दीपों से परिसर जगमगाएगा। 25 अक्टूबर अमावस्या को सूर्य ग्रहण के कारण 26 अक्टूबर को अन्नकूट महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है।
बैठक में तैयारियों को लेकर फैसला लिया गया। मंदिर के महामंडलेश्वर लक्ष्मणदास महाराज से मिली जानकारी के अनुसार 26 अक्टूबर को सुबह 8 बजे मंदिर में महिलाओं द्वारा गोवर्धन पूजा के साथ अन्नकूट महोत्सव की शुरुआत होगी। 500 से अधिक गायों की पूजा अर्चना प्राचीन गौशाला में वेद मंत्रों से की जाएगी।
108 दीपों से की जाएगी महाआरती
साथ ही गायों को भोजन कराया जाएगा। गायों का श्रृंगार भी होगा। मुख्य मेला शाम सात बजे से शुरू होगा। भगवान टीकमजी महाराज का विशेष श्रृंगार किया जाएगा और दरबार को द्वारका धाम के रूप में सजाया जाएगा। भगवान के फूल बंगले को भी सजाया जाएगा। छप्पन भोग भी लगेंगे। 108 दीपों से महाआरती की जाएगी।
इन पुरानी परंपराओं को समझना युवा पीढ़ी के लिए बेहद जरूरी है। अन्नकूट उत्सव में नए अनाज से बने 56 प्रकार के व्यंजन भगवान को चढ़ाए जाते हैं। जिसे अन्नकूट कहते हैं। 36 तरह की सब्जियों को मिलाकर सब्जी बनाई जाएगी।
अन्नकूट महोत्सव पंचकुइया में 402 साल से मनाया जा रहा है
महामंडलेश्वर लक्ष्मणदास महाराज ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी को हमारी पुरानी परंपराओं, संस्कृति, त्योहारों, विरासत, धर्म, मठ मंदिरों को समझना जरूरी है। अन्नकूट महोत्सव पंचकुइया में 402 साल से मनाया जा रहा है।
16वीं शताब्दी से मंदिर के पहले के पांच महंत और अब वर्तमान महामंडलेश्वर लक्ष्मणदास महाराज दीपावली के दूसरे दिन पड़वा पर अन्नकूट उत्सव का आयोजन कर परंपरा को निभा रहे हैं।
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