बारिश के मौसम में वरदान साबित होगा 50 वर्ष पुराना जलस्रोत, अमृत सरोवर योजना से किया गया कायाकल्प
मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले की जनपद पंचायत कुंडम की ग्राम पंचायत बघराजी में मानसून आने को लेकर उत्साह चरम पर है। गांव की नालियों के मिलने के कारण अनुपयोगी हो चुके जलस्रोत को अमृत सरोवर योजना के अंतर्गत जिला पंचायत ने ऐसी जलसंरचना में परिवर्तित कर दिया है जो हमेशा प्रदूषणमुक्त होकर ग्रामीणों तथा पशुओं के लिए उपयोगी होगा।
ग्रामीणों और पशुओं के लिए उपयोगी होगा सरोवर
तालाब के पुनर्जीवित करने में लगा इतना समय
तालाब के पुनर्जीवन के कार्य में महज महीने भर का समय लगा। सबसे पहले इसके प्रदूषित पानी को निष्कासित (डिवाटरिंग) किया गया। इसके बाद नीचे जमी गाद को आस-पास के किसान ले गए जिससे तालाब की सतह साफ और गहरी हो गई। गांव के उत्सर्जित पानी को स्वच्छ करने डिवाट्स तकनीक बनाई गई है, जो तीन चरणों में पानी को बिना किसी रसायन के स्वच्छ कर तालाब के पहले लगून तक पहुंचाएगी।तालाब के आस-पास पौधारोपण करने की भी है योजना
तीन चरणों में तीन चैंबर करेंगे पानी साफ
तालाब के निकट बन रहे डीवाट्स स्ट्रक्चर से तीन चरणों में तालाब में मिलने वाली नालियों का पानी साफ होकर तालाब में मिलेगा। बगैर किसी रसायन के उपयोग कर पानी को स्वच्छ करने विकेंद्रीकरण उपचार प्रक्रिया अपनाई जाएगी। प्रायमरी, सेंकडरी और टर्सरी टैंक पानी को स्वच्छ करेंगे।निस्तार के लिए बनाए तालाब में बनाए गए तीन कुंड
तालाब में तीन लगून (कुंड) बनाए गए हैं जिनका अलग-अलग उपयोग होगा। इन तीनों का पानी आपस में नहीं मिलेगा। पहले कुंड में बारिश और नालियों का साफ किया गया पानी भरेगा जिसका उपयोग पशुओं के लिए होगा। दूसरे कुंड का उपयोग ग्रामीण कपड़े धोने, नहाने आदि के लिए करेंगे और तीसरे कुंड का उपयोग मूर्ति विसर्जन किया जाएगा। इस प्रकार मुख्य जल स्रोत स्वच्छ रहेगा जिसका इसका मत्स्य पालन और सिंघाड़ा उत्पादन आदि में किया जाएगा।रानी दुर्गावती से मिली प्रेरणा
गोंडवाना काल की वीरांगना रानी दुर्गावती ने जल संरक्षण के लिए काफी कार्य किए हैं जबलपुर के आस-पास तालाब इस बात के उदाहरण हैं। आदिवासी बाहुल्य कुंडम क्षेत्र के बघराजी का इतिहास भी गौरवपूर्ण है यह 70 से अधिक स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का गांव है अत: यहां के तालाब को सर्वप्रथम पुनर्जीवित करने का कार्य किया गया। इस तालाब के पुनर्जीवन के लिए लेक मैन ऑफ इंडिया आनंद मल्लिगावड की तकनीक अपनाई गई साथ ही स्थानीय स्तर पर कुछ प्रायोगिक परिवर्तन किए गए। बारिश में बघराजी तालाब अलग स्वरूप में दिखाई देगा।- जयति सिंह, सीईओ, जिला पंचायत जबलपुर