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जानलेवा कैंसर से बच सकते हैं 80 प्रतिशत मरीज, सतर्क रहने की है जरूरत

कैंसर विशेषज्ञ डा. स्वाति पटेल जैन का कहना है कि कैंसर का यदि ठीक समय पर पता चल जाए तो 70 से 80 प्रतिशत बच्‍चे स्‍वस्‍थ हो सामान्‍य जीवन जी सकते हैं। देश में केवल 34 प्रतिशत बाल कैंसर मरीजों का ठीक समय पर इलाज हो पाता है।

By Babita KashyapEdited By: Updated: Mon, 05 Sep 2022 03:07 PM (IST)
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कैंसर के 70 से 80 प्रतिशत बच्‍चे स्‍वस्‍थ हो सामान्‍य जीवन जी सकते हैं।

इंदौर, जागरण आनलाइन डेस्‍क। अमेरिका में हुई एक स्‍टडी में सामने आया है कि कैंसर का यदि ठीक समय पर पता चल जाए तो 70 से 80 प्रतिशत बच्‍चे स्‍वस्‍थ हो सामान्‍य जीवन जी सकते हैं।

श्री अरबिंदो अस्पताल में चाइल्डहुड कैंसर अवेयरनेस मंथ के उद्घाटन के अवसर पर कैंसर विशेषज्ञ डा. स्वाति पटेल जैन ने ये महत्‍वपूर्ण साझा किया।

जल्‍द करें डाक्‍टर से संपर्क

डा. स्वाति का कहना है कि बच्‍चों में कैंसर के लक्षणों की पहचान जितनी जल्‍दी होगी उतना ही उनका इलाज करना आसान होगा। इसलिए बच्‍चों के स्‍वास्‍थ्‍य के प्रति माता-पिता को बेहद सतर्क रहने की जरूरत है। ऐसे किसी भी प्रकार का लक्षण दिखे तो तुरंत डाक्‍टर से संपर्क करें।

भारत में बच्‍चों में कैंसर को लेकर स्थिति बेहद खराब है। आइसीएमआर की स्टडी के मुताबिक देश में केवल 34 प्रतिशत बाल कैंसर मरीजों का ठीक समय पर इलाज हो पाता है। 50 प्रतिशत मामलों में इस खतरे के बारे में काफी देर से पता चलता है तो कई बच्‍चे आर्थिक, सामाजिक एवं अन्य वजहों से इलाज नहीं करवा पाते हैं।

बुजुर्ग नहीं बच्‍चों का जीवन है जरूरी

अस्‍पताल के फाउंडर चेयरमैन डा. विनोद भंडारी ने बताया कि कैंसर से ग्रसित बुजुर्ग की जगह बाल कैंसर मरीज की जान बचाना अधिक महत्‍वपूर्ण है। बुजुर्ग तो अपनी जिंदगी जी चुका है परंतु बच्‍चे के सामने तो अभी पूरा जीवन पड़ा है।

बच्‍चा यदि स्‍वस्‍थ हो जाता है तो देश के लिए अनेकों कार्य कर सकता है। भंडारी ने कहा कि इसके लिए हमने अवेयरनेस कैंप भी लगाये हैं। इससे हजारों बच्‍चों का जीवन बचाया जा सकता है।

इंदौर के अस्‍पताल में जांच की सुविधा

कैंसर मरीजों के जांच और इलाज के लिए अत्‍याधुनिक मशीनों का प्रयोग किया जाता है। इंदौर के अरबिंदो अस्‍पताल में ये मशीनें उपलब्‍ध हैं। पहले अधिकांश मामलों में मुंबई व अन्‍य बड़े शहरों में जांच के नमूने भेजे जाते थे लेकिन अब ये सब जांच यहीं हो जाती है। इससे मरीज की हालत का पता चल जाता है और जल्‍द ही इलाज शुरू हो जाता है।

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