Madhya Pradesh Assembly Election 2023: यूपी में करारी हार के बाद मप्र में जड़ें मजबूत करने में जुटी बसपा
Madhya Pradesh Assembly Election 2023 यूपी प्रदेश के विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद बसपा मध्य प्रदेश में जड़ें मजबूत करने में जुट गई है। पार्टी अध्यक्ष मायावती ने प्रदेश संगठन को चार जोन में बांट दिया है। 26 जिला प्रभारी और छह जिला अध्यक्ष बदले हैं।
By Sachin Kumar MishraEdited By: Updated: Mon, 18 Apr 2022 06:08 PM (IST)
भोपाल, वैभव श्रीधर। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद बहुजन समाज पार्टी (बसपा) मध्य प्रदेश में जड़ें मजबूत करने में जुट गई है। पार्टी अध्यक्ष मायावती ने बड़ा बदलाव करते हुए मप्र संगठन को चार जोन (भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और रीवा) में बांट दिया है। इसके साथ ही 26 जिला प्रभारी और छह जिला अध्यक्ष बदल दिए हैं। पार्टी का पूरा जोर इस बात पर है कि संगठन को वर्ष 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के मुकाबले के लिए तैयार किया जाए। इसके लिए अब जिला और ब्लाक स्तर पर गतिविधियां बढ़ाई जाएंगी। मध्य प्रदेश में बसपा की स्थिति दिनोंदिन कमजोर होती जा रही है। पार्टी ने वर्ष 1993 और 1998 के विधानसभा चुनावों में सर्वाधिक 11-11 सीटें जीतीं थीं। तब मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ एक राज्य हुआ करते थे। इसके बाद बसपा कभी इस स्थिति में नहीं पहुंच सकी। अलबत्ता ग्वालियर-चंबल और विंध्य क्षेत्र में पार्टी का खासा प्रभार बना रहा। पार्टी ने यहां भाजपा और कांग्रेस के खेल को बिगाड़ने का काम किया।
संगठन को चार जोन में बांटा, 26 जिला प्रभारी और छह जिला अध्यक्ष बदले
2018 के विधानसभा चुनाव में बसपा ने कांग्रेस को विंध्य तो ग्वालियर-चंबल में भाजपा को नुकसान पहुंचाया। पार्टी के सिर्फ दो प्रत्याशी भिंड से संजीव कुशवाह और पथरिया से रामबाई चुनाव जीतने में सफल हुई। उत्तर प्रदेश में मिली करारी शिकस्त के बाद बसपा ने मध्य प्रदेश में अपनी जड़ें मजबूत करने की कवायद शुरू की है। इसके तहत संगठनात्मक परिवर्तन करते हुए मध्य प्रदेश को चार जोन में बांटा गया है। प्रत्येक में 13-13 विधानसभा क्षेत्रों को रखा गया है। सबके अलग-अलग प्रभारी बनाए गए हैं। वहीं, जिला संगठन को सक्रिय करने के लिए 26 जिलों में नए प्रभारी बनाए गए हैं। छह जिलों में जिला अध्यक्षों को बदलकर संकेत दिए गए हैं कि जो काम नहीं करेगा, उसकी जगह दूसरे को मौका दिया जाएगा। प्रदेश कार्यालय सचिव सीएल गौतम ने बताया कि संगठन को चाकचौबंद बनाने के लिए राष्ट्रीय स्तर से परिवर्तन किया गया है। आने वाले समय में संगठन की गतिविधियां जमीन पर नजर आएंगी।
2018 के विधानसभा चुनाव में बसपा ने कांग्रेस को विंध्य तो ग्वालियर-चंबल में भाजपा को नुकसान पहुंचाया। पार्टी के सिर्फ दो प्रत्याशी भिंड से संजीव कुशवाह और पथरिया से रामबाई चुनाव जीतने में सफल हुई। उत्तर प्रदेश में मिली करारी शिकस्त के बाद बसपा ने मध्य प्रदेश में अपनी जड़ें मजबूत करने की कवायद शुरू की है। इसके तहत संगठनात्मक परिवर्तन करते हुए मध्य प्रदेश को चार जोन में बांटा गया है। प्रत्येक में 13-13 विधानसभा क्षेत्रों को रखा गया है। सबके अलग-अलग प्रभारी बनाए गए हैं। वहीं, जिला संगठन को सक्रिय करने के लिए 26 जिलों में नए प्रभारी बनाए गए हैं। छह जिलों में जिला अध्यक्षों को बदलकर संकेत दिए गए हैं कि जो काम नहीं करेगा, उसकी जगह दूसरे को मौका दिया जाएगा। प्रदेश कार्यालय सचिव सीएल गौतम ने बताया कि संगठन को चाकचौबंद बनाने के लिए राष्ट्रीय स्तर से परिवर्तन किया गया है। आने वाले समय में संगठन की गतिविधियां जमीन पर नजर आएंगी।
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