Madhya Pradesh: सतपुड़ा की पहाड़ी पर इतिहास, रोमांच और प्रकृति दर्शन का अद्भुत संगम
देश में स्थित कई किले महल भवन इसका जीवंत उदाहरण हैं और इन्हीं में से एक है असीरगढ़ का किला। मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले में स्थित यह किला करीब पांच सदी पुराना है और यहां की यात्रा मात्र इतिहास से साक्षात्कार नहीं कराती है बल्कि प्रकृति दर्शन के साथ उस समय की समृद्ध इंजीनियरिंग और सोच से भी भेंट कराती है।
संदीप परोहा, बुरहानपुर। भवन निर्माण में वास्तुकला के साथ इंजीनियरिंग का उपयोग निरंतर बढ़ रहा है और नित नई तकनीकें सामने आ रही हैं, लेकिन यह भी सत्य है कि हम इस कला में सदियों पहले से आधुनिकता और चकित करने वाले कौशल का प्रदर्शन करते रहे हैं।
देश में स्थित कई किले, महल, भवन इसका जीवंत उदाहरण हैं और इन्हीं में से एक है असीरगढ़ का किला। मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले में स्थित यह किला करीब पांच सदी पुराना है और यहां की यात्रा मात्र इतिहास से साक्षात्कार नहीं कराती है, बल्कि प्रकृति दर्शन के साथ उस समय की समृद्ध इंजीनियरिंग और सोच से भी भेंट कराती है।
किले की अभेद्य संरचना
बुरहानपुर आज देश में केला उत्पादन और हैंडलूम के लिए ख्यात है। अतीत में यह क्षेत्र दक्षिण का द्वार कहा जाता था और इसकी वजह था असीरगढ़ का अजेय दुर्ग। इतिहासकारों के अनुसार, अभेद्य संरचना के कारण इस किले को जीतना लगभग असंभव था। इतिहासकारों के अनुसार किले को आसा अहीर नामक राजा ने 15वीं सदी में बनवाया था जिस पर बाद में मुगलों ने कब्जा कर लिया।वर्ष 1760 से 1819 तक यह मराठों के कब्जे में रहा और वर्ष 1904 से अंग्रेजों ने इसे जेल के रूप में प्रयोग करना शुरू कर दिया था। समुद्र तल से करीब 250 फीट की ऊंचाई पर सतपुड़ा की पहाड़ी के शिखर पर तीन किलोमीटर के क्षेत्र में फैले इस किले का भ्रमण एक अलग ही अनुभव है। किले के प्रारंभ में बड़ा प्रवेश द्वार और चारों ओर तोप के गोले से भी नहीं टूटने वाले पत्थरों की दीवार है। इसमें मुगलों व अंग्रेजों के जमाने का बारूदखाना, बंदीगृह, अस्तबल, टकसाल, फांसी घर, न्यायालय, विश्राम गृह, तालाब और सेना के ठहरने के स्थान हैं।
शिव मंदिर और पांडवकालीन धरोहर
इतिहास के जानकार मेजर डा. एमके गुप्ता व होशंग हवलदार के अनुसार किले के पूर्व में स्थित शिव मंदिर अतिप्राचीन है। मान्यता है कि यहां हर सुबह गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा भगवान शिव का पूजन करने आते हैं।कुछ वर्ष पूर्व पुरातत्व विभाग द्वारा किले के भीतर शिव मंदिर के सामने स्थित कुएं की सफाई के दौरान यहां पांडवकालीन गुफाएं मिली थीं। इन गुफाओं में सात द्वार भी हैं जो किले की तलहटी की ओर खुलते हैं। इन गुफाओं पर अब भी शोध-अध्ययन जारी है। इस स्थान पर नीचे एक भूमिगत भवन भी है। जर्जर होने के कारण पर्यटकों के लिए बंद कर दिया गया है।
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