Atal Bihari Vajpayee: अटल बिहारी वाजपेयी मानते थे अनुशासित युवा ही दे सकता है देश को नई दिशा
Atal Bihari Vajpayee Death Anniversary पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी देश निर्माण में युवाओं की भूमिका को बहुत महत्वपूर्ण मानते थे। अटलजी का स्पष्ट विचार था कि अनुशासित युवा ही देश को नई दिशा दे सकता है।
By Sachin Kumar MishraEdited By: Updated: Tue, 16 Aug 2022 09:11 AM (IST)
ग्वालियर, जोगेंद्र सेन। पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) देश निर्माण में युवाओं की भूमिका को बहुत महत्वपूर्ण मानते थे। उनका स्पष्ट विचार था कि अनुशासित युवा ही देश को नई दिशा दे सकता है। इस बात को याद करते हुए ग्वालियर के जाने-माने साहित्यकार जगदीश तोमर भावुक हो जाते हैं। अटलजी से उनकी मुलाकात युवावस्था में ही हुई थी। अटलजी की मंगलवार को चौथी पुण्यतिथि है।
अटलजी के सहयोगी रहे साहित्यकार जगदीश तोमर ने सुनाए संस्मरण जगदीश तोमर बताते हैं कि एक बार युवाओं का जुलूस निकल रहा था। एक युवा के हाथ में तख्ती थी कि स्कूल, कालेज में हाजिरी नहीं लगनी चाहिए, फीस नहीं लगनी चाहिए। परीक्षाएं भी नहीं होनी चाहिए। मैं भी उसमें शामिल था। अटलजी ने मुझसे पूछा कि आगे क्या करने का विचार है। मैंने कहा कि अभी कुछ सोचा नहीं है। उन्होंने कहा कि एमए प्रथम वर्ष के छात्र हो। अभी तक दिशा ही तय नहीं की। कुछ समय राष्ट्र के लिए भी निकालो। आप लोग ही देश को दिशा दे सकते हो।
एक ही चुनाव में तीनों अनुभव हो गए थे जगदीश तोमर, अटलजी के एक रोचक किस्से को याद करते हुए बताते हैं कि मैं उस समय एमएलबी कालेज ग्वालियर में अध्ययनरत था। अटलजी इसी कालेज के छात्र रह चुके थे, इसलिए लोकसभा का पहला चुनाव जीतने के बाद उन्हें सम्मान के लिए आमंत्रित किया गया था। सम्मान समारोह में अटलजी से हम लोगों से संवाद किया। कम उम्र में चुनाव जीतने पर उन्होंने हंसते हुए कहा कि एक ही चुनाव में तीनों अनुभव हो गए। पार्टी ने उन्हें तीन संसदीय क्षेत्रों से चुनाव लड़ाया था। एक जगह से जमानत जब्त हो गई। दूसरे लोकसभा क्षेत्र में हार गया और तीसरे से जीतकर आप लोगों के बीच में हूं। तोमर बताते हैं 1957 के लोकसभा चुनाव में अटलजी ने मथुरा, लखनऊ और बलरामपुर से चुनाव लड़ा था। मथुरा में उनकी जमानत जप्त हुई थी, लखनऊ में हार गए थे और बलरामपुर से वह चुनाव जीत गए थे।
चाचाजी, जो साड़ी लेकर आए थे, उसे अब तक रखा है सहेजकर अटल बिहारी वाजपेयी के बड़े भाई सदाबिहारी वाजपेयी की बेटी कांति मिश्रा की आंखें अटलजी की यादों को टटोलते ही चमक उठती हैं। ग्वालियर के कमल सिंह का बाग स्थित अटलजी के पुश्तैनी मकान में रहने वाली कांति मिश्रा (जिन्हें सभी कांति बुआ के नाम से पुकारते हैं) बताती हैं कि बात 2004 की है। उस समय चाचाजी (अटल बिहारी वाजपेयी) प्रधानमंत्री थे। चार मई को मेरे बेटे पंकज मिश्रा की शादी थी। नाते-रिश्तेदारों में इस बात की चर्चा थी कि अटलजी काफी व्यस्त हैं, ऐसे में वह विवाह समारोह में शामिल होने नहीं आ पाएंगे। उनकी व्यस्तताओं को देखते हुए हम लोगों को भी उनके आने की कम ही आशा थी। इस बीच, एक दिन पीएम हाउस से फोन आया कि अटलजी ग्वालियर आ रहे हैं। हम लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। हम सब लोग शहर के सर्किट हाउस पहुंच गए। अटलजी सबसे आत्मीयता से मिले। समधी ने अटलजी की काफी आव-भगत की। अटलजी ने विश्राम गृह में उपहारस्वरूप मेरे हाथ पर साड़ी व उस पर 10 हजार रुपये रखे। वह साड़ी अब भी उनकी यादों के साथ सहेज कर रखी है। गौरतलब है कि अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ था। 16 अगस्त, 2018 को उन्होंने आखिरी सांस ली थी।
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