Karwa Chauth 2022: करवा चौथ पर शुभ संयोग, रोहिणी नक्षत्र में चंद्रदेव को अर्घ्य देने से आएगी सुख-समृद्धि
Karwa Chauth 2022 करवा चौथ व्रत 13 अक्टूबर को रखा जाएगा। ऐसी मान्यता है कि सुहागिन महिलाएं इस व्रत को रखती हैं और पति की लंबी आयु की कामना करती हैं। ये व्रत निर्जला रखा जाता है और चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण किया जाता है।
By Jagran NewsEdited By: Babita KashyapUpdated: Tue, 11 Oct 2022 02:19 PM (IST)
जबलपुर, जागरण आनलाइन डेस्क। Karwa Chauth 2022: करवा चौथ के व्रत का हिंदू धर्म में खास महत्व है। करवा चौथ व्रत पर इस बार रोहिणी नक्षत्र का शुभ संयोग है, जिसकी वजह से इस व्रत का महत्व और बढ़ गया है। निर्जला रखा जाने वाला ये व्रत रात में चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत तोड़ा जाता है।
ऐसी मान्यता है कि सुहागिन महिलाओं के इस व्रत को करने से उनके पति की आयु लंबी होती है एवं सुख-समृद्धि की प्राप्ति भी होती है। बता दें कि इस बार करवा चौथ 13 अक्टूबर को मनायी जाएगी।
ज्योतिषाचार्य पंडित सौरभ दुबे के अनुसार करवा चौथ पर शाम 7 बजकर 24 मिनट तक कृतिका नक्षत्र रहेगा। इसके बाद 14 अक्टूबर को रात 09.11 बजे तक रोहिणी नक्षत्र रहेगा। चंद्रमा इस दिन वृष राशि में और सूर्य कन्या राशि में रहेगा।
रोहिणी नक्षत्र में चंद्रदेव को अर्घ्य
पुष्य 27 नक्षत्रों में से आठवां नक्षत्र है। यह नक्षत्र सभी नक्षत्रों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र का पसंदीदा नक्षत्र है, यह यहां सबसे लंबे समय तक रहता है। ऐसा कहा गया है कि करवा चौथ के दिन यदि रोहिणी नक्षत्र में चंद्रदेव को अर्घ्य दिया जाए तो इससे जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इस दिन रात्रि 8.10 बजे चंद्रोदय होगा।
मिट्टी के करवे की है अधिक मान्यता
करवा चौथ के व्रत में की पूजा सामग्री का सबसे अहम हिस्सा मिट्टी से बना करवा होता है। इसमें टोंटी के जैसा भाग बना होता है। इस पर ढकने के लिए मिट्टी की एक छोटी प्लेट और ऊपर मिट्टी का दीपक रखा जाता है। मिट्टी की जगह पीतल के करवे का प्रयोग भी महिलाएं करती हैं। लेकिन मिट्टी के करवे की मान्यता अधिक मानी गई है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।व्रत की विधि एवं पूजन सामग्री
- पूजा के लिए कुमकुम, चावल, अबीर, गुलाल, मेहंदी, मौली, हल्दी, फूल, फल, प्रसाद रखें।
- करवा माता का चित्र पूजा स्थान पर लगाये, जिसमें चन्द्रमा, शिव, पार्वती, कार्तिकेय आदि के चित्र बने होते हैं।
- करवा चौथ कथा की पुस्तक, धूप, दीप आदि रखें।
- सुहाग का सामान- मेहंदी, काजल, कंघा, सिंदूर, छोटा गिलास, बिंदी, चुनरी, चूड़ी मां को सामने रखें ।
- गणेश गौरी की पूजा करें।
- सुहाग का सामान मां गौरी को अर्पित करें
- इसके बाद करवा चतुर्थी व्रत की कथा सुनें या पढ़ें।
- कथा सुनने से पहले चावल के 13 दाने हाथ में लें। इन दानों को साड़ी के पल्ले में बांध लें।
- करवा चौथ पर तीन बार पूजा की जाती है।
- प्रात: चार बजे, दोपहर बाद और फिर रात्रि में चंद्रोदय से पहले पूजा करें।
- तीनों समय की पूजा के बाद रात्रि में चांद का इंतजार किया जाता है।
- रात में चन्द्रमा के उदय होने पर चन्द्र देव की आराधना करें, जल से अर्घ्य दें।
- साड़ी के अंत में बंधे चावल के 13 दाने निकालकर अर्घ्य सहित चंद्रमा को अर्पित करें।
- चन्द्रमा की आरती दीप से करें। फिर छलनी से पति का चेहरा देखें। इसके बाद पति के हाथ से जल पीकर व्रत तोड़ें और भोजन करें।
- पूजा में उपयोग किया हुआ करवा और सुहाग की सामग्री सास या सास के समान किसी सुहागिन महिला के पैर छूकर भेंट कर दें।