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Bhopal Gas Tragedy: भोपाल गैस त्रासदी के 40 साल... आज भी दिख रहा असर, डॉक्टर ने किए चौंकाने वाले खुलासे

एक पूर्व सरकारी फोरेंसिक डॉक्टर ने कहा है कि 40 साल पहले मध्य प्रदेश के भोपाल में यूनियन कार्बाइड कारखाने से लीक हुई जहरीली गैसों का प्रभाव त्रासदी से बचे लोगों की अगली पीढ़ियों पर देखा गया था। 2 और 3 दिसंबर 1984 की मध्यरात्रि को शहर में कीटनाशक कारखाने से जहरीली गैस के रिसाव के बाद कम से कम पांच लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए।

By Jagran News Edited By: Shubhrangi Goyal Updated: Sun, 24 Nov 2024 04:29 PM (IST)
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भोपाल गैस कांड पर पूर्व फॉरेंसिक डॉ ने खोले कई राज (फाइल फोटो)
पीटीआई, भोपाल: दुनिया की सबसे भीषण औद्योगिक दुर्घटनाओं में से एक की त्रासदी भोपाल शहर ने सन 1984 में 2-3 दिसंबर की रात में झेली थी। भोपाल गैस कांड एक ऐसा हादसा है, जिसे सुन आज भी लोगों का दिल दहल जाता है। इसको लेकर अब एक पूर्व सरकारी फोरेंसिक डॉक्टर का बयान सामने आया है।

एक पूर्व सरकारी फोरेंसिक डॉक्टर ने कहा है कि 40 साल पहले मध्य प्रदेश के भोपाल में यूनियन कार्बाइड कारखाने से लीक हुई जहरीली गैसों का प्रभाव त्रासदी से बचे लोगों की अगली पीढ़ियों पर देखा गया था।

2 और 3 दिसंबर, 1984 की मध्यरात्रि को शहर में कीटनाशक कारखाने से जहरीली गैस के रिसाव के बाद कम से कम 3,787 लोग मारे गए और पांच लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए।

त्रासदी के पहले दिन 875 पोस्टमार्टम किए

शनिवार को गैस त्रासदी से बचे लोगों के संगठनों की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए, भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज के फोरेंसिक विभाग के पूर्व प्रमुख डॉ. डीके सत्पथी ने कहा कि उन्होंने त्रासदी के पहले दिन 875 पोस्टमार्टम किए और अगले दिन 18,000 शव टेस्ट किए।

गर्भवती महिलाओं के खून के सैंप्लस की जांच

सत्पति ने दावा किया कि यूनियन कार्बाइड ने जीवित बची महिलाओं के अजन्मे बच्चों पर जहरीली गैसों के प्रभाव के बारे में सवालों से इनकार कर दिया था और कहा था कि प्रभाव किसी भी हालत में गर्भ में प्लेसेंटल पर कोई असर नहीं डालेगा।

उन्होंने कहा कि त्रासदी में मरने वाली गर्भवती महिलाओं के रक्त के सैंपल्स की जांच की गई और यह पाया गया कि मां में पाए जाने वाले 50 प्रतिशत जहरीले पदार्थ उसके गर्भ में पल रहे बच्चे में भी पाए गए। सत्पति ने दावा किया और सवाल किया कि जीवित माताओं से पैदा हुए बच्चों के शरीर में जहरीले पदार्थ होते हैं और इससे अगली पीढ़ी के स्वास्थ्य पर असर पड़ता है और सवाल उठाया कि इस पर रिसर्च क्यों रोक दिया गया। उन्होंने कहा, ऐसे प्रभाव पीढ़ियों तक जारी रहेंगे।

कार्यक्रम के दौरान किए कई खुलासे

सत्पति ने कहा कि ऐसा कहा गया था कि यूनियन कार्बाइड संयंत्र से एमआईसी गैस लीक हुई और जब यह पानी के संपर्क में आई, तो हजारों गैसें बनीं और इनमें से कुछ ने कैंसर, रक्तचाप और लीवर को नुकसान पहुंचाया।

भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा ने कहा कि सत्पति, जिन्होंने सबसे अधिक शव परीक्षण किए और 1984 की आपदा में अन्य प्रथम उत्तरदाताओं, जिनमें आपातकालीन वार्ड के वरिष्ठ डॉक्टर और सामूहिक दफन में शामिल व्यक्ति शामिल थे ने कार्यक्रम के दौरान अपने अनुभव सुनाए।

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