भोपाल : नई पीढ़ी के सुनहरे भविष्य का आधार गढ़ रहा सरकारी स्कूल
सरकारी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई और नई पीढ़ी के सुनहरे भविष्य का आधार निर्मित करने में जुटे गुरुजनों से मिलना हो तो भोपाल के शासकीय सुभाष उत्कृष्ट विद्यालय आइए। झारखंड का नेतरहाट बोर्ड की मेरिट और प्रतियोगी परीक्षाओं में विद्यार्थियों की सफलता का पर्याय बन चुका है उसी तरह भोपाल के इस स्कूल ने भी प्राचार्य सुधाकर पाराशर के निर्देशन और शिक्षकगण के संकल्प से अपनी यह छवि गढ़ी है।
अंजलि राय, नईदुनिया, भोपाल : सरकारी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई और नई पीढ़ी के सुनहरे भविष्य का आधार निर्मित करने में जुटे गुरुजनों से मिलना हो तो भोपाल के शासकीय सुभाष उत्कृष्ट विद्यालय आइए। जिस तरह झारखंड का नेतरहाट बोर्ड की मेरिट और प्रतियोगी परीक्षाओं में विद्यार्थियों की सफलता का पर्याय बन चुका है, उसी तरह भोपाल के इस स्कूल ने भी प्राचार्य सुधाकर पाराशर के निर्देशन और शिक्षकगण के संकल्प से अपनी यह नई छवि गढ़ी है।
विद्यार्थियों की सफलता के मामले में इस स्कूल ने कई बड़े निजी स्कूलों को पीछे छोड़ दिया है। इस स्कूल में नौवीं कक्षा में परीक्षा के तहत और 11वीं में मेरिट के आधार पर प्रवेश होते हैं।
यहां से पांच साल में 711 विद्यार्थी इंजीनियरिंग, मेडिकल और सीए बनने के लिए आयोजित प्रतियोगी परीक्षा में चयनित हुए हैं। स्कूल के करीब 58 विद्यार्थी सीए बन चुके हैं। हर साल करीब 150 से अधिक विद्यार्थी जेईई मेंस, एडवांस, नीट और क्लैट की परीक्षाओं में पास करते हैं।
यही नहीं, यहां के करीब 10 से 15 विद्यार्थी हर साल मप्र माध्यमिक शिक्षा मंडल (माशिमं) की 10वीं-12वीं बोर्ड परीक्षा के परिणाम में राज्य स्तरीय मेधावी सूची में शामिल होते हैं। बता दें कि इस स्कूल में नौवीं से 12वीं कक्षा तक में करीब 2400 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं।
निजी स्कूलों की तरह सर्वसुविधायुक्त
यह स्कूल निजी स्कूलों की तरह ही सर्वसुविधायुक्त भी है। यहां सुपर-100 योजना के तहत विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी और निश्शुल्क छात्रावास की सुविधा दी गई है। इसके अलावा बैडमिंटन व बाक्सिंग कोर्ट, बास्केटबाल ग्राउंड, स्मार्ट कक्षाएं, सुसज्जित लायब्रेरी सहित अन्य सुविधाएं भी हैं। यहां पर एक-एक विद्यार्थी पर शिक्षकों का फोकस होता है। विद्यार्थियों का लगातार मूल्यांकन किया जाता है। यहां हर साल सीटों की तुलना में करीब पांच गुना आवेदन आते हैं। इनमें आधे से अधिक आवेदन निजी स्कूलों के विद्यार्थियों के होते हैं।
विशेष कक्षाएं भी लगती हैं
इस स्कूल में हर साल कमजोर व तेज विद्यार्थियों को चिह्नित किया जाता है। इनमें कमजोर विद्यार्थियों के लिए अलग से विशेष कक्षाएं भी लगाई जाती हैं। शिक्षक भी बच्चों के लिए 24 घंटे उपलब्ध रहते हैं। विशेष कक्षाओं में विद्यार्थियों को प्रश्न पूछने का अवसर दिया जाता है, ताकि वे बेहतर प्रदर्शन कर सकें। प्रतियोगी परीक्षा पास कर चुके पुराने विद्यार्थियों के नोट्स भी शेयर किए जाते हैं। इसके साथ ही मेधावी सूची में शामिल विद्यार्थियों की उत्तरपुस्तिकाओं को दिखाकर उन्हें प्रोत्साहित भी किया जाता है।
मासिक टेस्ट लेकर किया जाता है मूल्यांकन
नौवीं से 12वीं तक की कक्षाओं में मासिक टेस्ट लिया जाता है। सभी का मूल्यांकन कर उत्तरपुस्तिकाओं को दिखकर प्रश्नवार विद्यार्थियों से चर्चा की जाती है। उत्तर लिखने की सही तकनीक सिखाने के उद्देश्य से ब्लूप्रिंट आधारित तैयारी कराई जाती है और फिर विद्यार्थियों का मूल्यांकन किया जाता है। स्कूल के पूर्व टापर्स को बुलाकर उनसे मार्गदर्शन दिलाया जाता है। साथ ही करियर काउंसलिंग भी कराई जाती है। तिमाही, छमाही परीक्षाओं की गलतियों को परखकर उन्हें सही उत्तर देने के लिए प्रेरित किया जाता है।
पांच साल में प्रतियोगी परीक्षा में चयनित विद्यार्थियों का आंकड़ा
वर्जन
नौवीं से 12वीं कक्षा के एक-एक विद्यार्थियों पर फोकस किया जाता है। इसमें शिक्षकों का सहयोग बहुत महत्वपूर्ण है। शिक्षक भी एक-एक विद्यार्थियों को उनकी क्षमता के अनुसार मार्गदर्शन देते हैं।
सुधाकर पाराशर, प्राचार्य, शासकीय उत्कृष्ट उमावि
सीएम राइज और पीएमश्री स्कूलों को भी अब सर्वसुविधायुक्त बनाया जा रहा है। उत्कृष्ट विद्यालय की तरह अन्य सरकारी स्कूलों में शैक्षणिक गुणवत्ता पर फोकस कर रहे हैं। डा. संजय गोयल, सचिव, मप्र स्कूल शिक्षा