CBI अफसर बन दुबई के कारोबारी को 5 घंटे किया डिजिटल अरेस्ट, लाइव कॉल के बीच पुलिस पहुंची तो ठग हुए छूमंतर
Bhopal digital arrest case अब डिजिटल अरेस्ट के केस भी चिंता का विषय बनते जा रहे हैं। ऐसा ही एक मामला भोपाल से सामने आया जहां डिजीटल अरेस्ट के दौरान किसी को बचाने का अपनी तरह का पहला केस हुआ है। ठगों ने अरेरा कालोनी निवासी कारोबारी विवेक को फोन कर खुद को पुलिस अधिकारी बताया और फिर फर्जी मामलों में फंसाकर छह घंटे तक उसे डिजीटली अरेस्ट करके रखा।
जेएनएन, भोपाल। डिजिटल फ्रॉड के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। अब डिजिटल अरेस्ट के केस भी चिंता का विषय बनते जा रहे हैं। ऐसा ही एक मामला भोपाल से सामने आया, जहां डिजिटल अरेस्ट के दौरान किसी को बचाने का अपनी तरह का पहला केस हुआ है।
छह घंटे तक डिजिटल अरेस्ट में फंसा
ठगों ने अरेरा कालोनी निवासी कारोबारी विवेक ओबराय (68) को फोन कर खुद को पुलिस अधिकारी बताया और फिर फर्जी मामलों में फंसाकर छह घंटे तक उसे डिजिटली अरेस्ट करके रखा।
पुलिस ने इस तरह बचाया
इसके बाद उनसे मिलने पहुंचे एक परिचित को फ्रॉड का संदेह हुआ। उनकी सूचना के बाद पुलिसकर्मी कमांडो की तर्ज पर मौके पर पहुंचे और उद्यमी को डिजिटल अरेस्ट से मुक्त किया। साथ ही उसे करोड़ों की ठगी से बचाया।ऐसे बिछाया पूरा जाल
दोपहर करीब एक बजे उन्हें किसी ने काल कर खुद को ट्राई लीगल सेल का अधिकारी बताया और कहा कि आपके आधार कार्ड से कई सिम कार्ड खरीदकर फर्जी बैंक खाते खोले गए और मनी लांड्रिग हुई है। काल करने वाले ने मुंबई क्राइम ब्रांच का एक नंबर दिया।
उस नंबर पर कारोबारी ने काल की तो संबंधित व्यक्ति ने खुद को सब इंस्पेक्टर विक्रम सिंह बताया। उसने भी कहा कि आपके नाम के सिम कार्ड से केरल, महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में बैंक खाते खुले हैं और करोड़ों की मनी लांड्रिंग हुई है। इसे सुन विवेक के पैरों तले जमीन खिसक गई।
विक्रम सिंह नामक ठग ने उन्हें सीबीआइ अधिकारी से बात करने को कहा। इसके बाद उनसे किसी ने सीबीआइ के डीसीपी मनेश कलवानिया बनकर बात की और उन्हें मनी लांड्रिंग समेत कई मामलों में आरोपित बताया। पहली काल के करीब 20 मिनट बाद विक्रम रघुवंशी नाम के ठग ने वीडियो काल से पूछताछ शुरू की।
वीडियो काल में तीनों अपने-अपने कार्यालयों में यूनिफार्म में बैठे दिख रहे थे। उन्होंने हिदायत दी थी कि पूछताछ के बीच में कहीं नहीं जा सकते, खाने-पीने और टायलेट की भी अनुमति नहीं है। उनसे दरवाजा भी बंद करवा लिया गया। ठगों ने छह घंटे तक जानकारी लेने के बाद रुपये ऐंठने का प्रयास शुरू किया। एक ने रुपये लेकर मामला सेटल करने की बात कही।
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