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बीजेपी विधायक राहुल सिंह लोधी को SC से मिली राहत, निवार्चन शून्य किए जाने को लेकर पहुंचे थे कोर्ट

टीकमगढ़ जिले की खरगापुर विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक राहुल सिंह लोधी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। विधायक राहुल सिंह लोधी के निर्वाचन को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने शून्य घोषित किया था। सुप्रीम कोर्ट ने राहुल सिंह को सशर्त स्टे दिया है।

By Jagran NewsEdited By: Piyush KumarUpdated: Fri, 16 Dec 2022 06:08 PM (IST)
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बीजेपी विधायक राहुल सिंह लोधी को SC से मिली राहत, निवार्चन शून्य किए जाने को लेकर पहुंचे थे कोर्ट

मध्य प्रदेश, भोपाल: टीकमगढ़ जिले की खरगापुर विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक राहुल सिंह लोधी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है । बता दें कि विधायक राहुल सिंह ने निर्वाचन शून्य किए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए याचिका दायर की थी जिस पर सुनवाई करते हुए शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने राहुल सिंह को सशर्त स्टे दिया है। विधायक राहुल सिंह लोधी के निर्वाचन को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने शून्य घोषित किया था।

सुप्रीम कोर्ट ने राहुल सिंह को सशर्त स्टे दिया

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ विधायक राहुल सिंह सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे, जहां से उन्हें थोड़ी राहत मिली। चंदा रानी गौर के बेटे और टीकमगढ़ के पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष दिग्विजय सिंह ने बताया कि राहुल लोधी को कोर्ट ने सशर्त स्टे दिया है। मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राहुल लोधी को सशर्त स्टे दिया है। कोर्ट ने जो सशर्त स्टे दिया है उसके मुताबिक राहुल लोधी को विधानसभा में होने वाली किसी भी प्रकार की वोटिंग का अधिकार नहीं होगा और न ही वो अविस्ताव प्रस्ताव के दौरान वोट कर पाएंगे।

नियमविरुद्ध तरीके से नामांकन का आरोप

राहुल सिंह लोधी मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी की वरिष्ठ नेता उमा भारती के भतीजे हैं। वह पहली बार विधायक बने हैं। 2018 में उनके खिलाफ चुनाव हारने वाली कांग्रेस प्रत्याशी चंदा रानी गौर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें निर्वाचन अधिकारी पर नियमविरुद्ध तरीके से नामांकन स्वीकार करने और सरकारी ठेका प्राप्त करने वाली निजी कंपनी में पार्टनशिप होने की बात छिपाने का आरोप लगाया था।  ़चुनाव के वक्त राहुल सिंह लोधी ने दो बार नामांकन पत्र दाखिल किया था। पहले नामांकन में उन्होंने बताया था कि उनका आरएस कंस्ट्रक्शन कंपनी में भागीदार हैं जिसका मप्र राज्य ग्रामीण सड़क अधिकरण से अनुबंध है। लेकिन दूसरे नामांकन पत्र में उन्होंने लिखा कि उनकी और उनके परिवार की किसी भी कंपनी में भागीदारी नहीं है।

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