नामीबिया से 12 घंटे की उड़ान भर भारत पहुंचे चीते, पीएम मोदी के जन्मदिन पर देश को तोहफा
Cheetah in MP चीते 75 साल बाद देश के दिल मध्य प्रदेश की धरती पर पहुंच गए हैं। राजमाता विजयाराजे सिंधिया विमानतल पर बोइंग 747 विमान 8 चीते लेकर उतरा। सभी चीतों का स्वास्थ्य परीक्षण होगा और उसके बाद वायुसेना के हेलीकाप्टरों से कूनो के लिए रवाना होंगे।
By Babita KashyapEdited By: Updated: Sat, 17 Sep 2022 09:55 AM (IST)
श्योपुर, जागरण आनलाइन डेस्क। Project Cheetah MP: 17 सितंबर 2022 का दिन भारतीय इतिहास में एक नया अध्याय लिखने जा रहा है। करीब 75 साल बाद चीता एक बार फिर भारत की धरती पर अपनी रफ़्तार भर पाएगा। तीन नर और पांच मादा तेंदुओं को लेकर एक बोइंग 747 विमान अफ्रीकी देश नामीबिया से शनिवार सुबह 8 बजे राजमाता विजयाराजे सिंधिया हवाई अड्डे पर उतरा।
कुछ देर बाद यहां आठ चीतों का स्वास्थ्य परीक्षण होगा। इसके बाद वायुसेना के तीन हेलीकॉप्टरों से उन्हें कूनो नेशनल पार्क ले जाया जाएगा। यहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 10.45 बजे छह अलग-अलग बाड़ों में चीतों को रिहा करेंगे। पीएम मोदी अपने जन्मदिन पर देश को ये तोहफा दे रहे हैं।
cheetah in mp: नामीबिया से आए विशेष विमान के ग्वालियर महाराजपुरा एयरपाेर्ट पर लैंड हाेने के बाद चीताें के कैज काे विमान से बाहर निकाला गया। यहां से इन कैज काे हेलिकाप्टर में शिफ्ट कर श्याेपुर के कूनाे के लिए रवाना किया जाएगा। pic.twitter.com/aEpUPhffsx
— NaiDunia (@Nai_Dunia) September 17, 2022
योजना में हुआ बदलाव
गौरतलब है कि पहले नामीबिया से चीतों को लेकर विशेष विमान जयपुर हवाईअड्डे पर पहुंचने वाला था, लेकिन गुरुवार को अचानक इस योजना में परिवर्तन किया गया है। अतिरिक्त वन महानिदेशक (प्रोजेक्ट टाइगर) औरराष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के सदस्य सचिव डॉ. एसपी यादव ने बताया, पहले चीतों को ले जाने वाला विशेष विमान जयपुर में उतरने वाला था, लेकिन अब इसे ग्वालियर हवाई अड्डे पर उतारा गया है। डॉ. यादव के अनुसार ग्वालियर से कुनो की दूरी कम है। इसलिए योजना में बदलाव किया गया है।
आखिरी चीते का शिकार राजा सिंहदेव के हाथों हुआ
चीता को भारत में आखिरी बार 1947 में कोरिया राज्य छत्तीसगढ़ में देखा गया था। यहां राजा रामानुज प्रताप सिंहदेव ने बैकुंठपुर से लगे जंगल में तीन चीतों का शिकार किया था। ये देश के आखिरी चीते थे। कहा जाता है कि 1947 में वह एक रात बैकुंठपुर से सटे सलखा गांव के जंगल में शिकार करने गए थे।ग्रामीणों ने बताया था कि कोई जंगली जानवर वहां के लोगों पर लगातार हमला कर रहा था। इससे लोगों में दहशत थी। इसी बीच अचानक पेड़ों के बीच नजर पड़ी, महाराज निशाना साध रहे थे। उन्होंने उसी दिशा में एक के बाद एक दो गोलियां चलाईं। लक्ष्य सटीक था। कुछ देर बाद उसे वहां जाकर देखा तो तीन तेंदुए पड़े हुए थे।
तीनों नर चीते थे और पूरी तरह से वयस्क भी नहीं थे। यह तस्वीर उनके निजी सचिव ने बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी को भेजी थी और रिकॉर्ड के लिए बताया था कि महाराज ने तीन चीतों को मार डाला था। इसके बाद देश में कहीं भी चीते नहीं दिखे। भारत सरकार द्वारा 1952 में चीता प्रजाति को विलुप्त घोषित किया गया था।
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