छत्तीसगढ़ के पूर्व डीजीपी के बेटे ने गला काटकर की आत्महत्या, पुलिस कर रही जांच
छत्तीसगढ़ के पूर्व डीजीपी श्रीमोहन शुक्ला के इकलौते बेटे तुषार शुक्ला ने शनिवार को खुद का गला काटकर खुदकुशी कर ली। 54 वर्षीय तुषार शुक्ला पिछले दो वर्षों से डिप्रेशन से जूझ रहे थे। काफी दिनों से उन्होंने खुद को घर में कैद कर लिया था। इससे पहले भी वह दो बार हाथ की नस काटने की कोशिश कर चुके थे।
जागरण डेस्क, भोपाल। छत्तीसगढ़ के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) श्रीमोहन शुक्ला के बेटे तुषार शुक्ला ने भोपाल स्थित अपने घर पर खुद का गला काटकर खुदकुशी कर ली। तुषार के पास प्रतिष्ठा, पैसा और परिवार सब था, लेकिन उन्होंने जिंदगी से उम्मीद छोड़ दी थी। लंबे समय से बेरोजगार तुषार पिछले कुछ वर्षों से गंभीर अवसाद से जूझ रहे थे।
कमलानगर थाना प्रभारी निरूपा पांडे ने बताया कि शनिवार की शाम तुषार छत पर बने एक टीन शेड के कमरे में थे। इस दौरान परिवार के अन्य सदस्य नीचे थे। शाम करीब छह बजे स्वजनों को तुषार की चीख सुनाई दी। वे दौड़ते हुए छत पर पहुंचे तो तुषार के गले में कट था और खून बह रहा था। साथ ही बाएं हाथ की कलाई पर भी कट के निशान थे।
स्वजन तुषार को हजेला अस्पताल ले जा रहे थे, लेकिन रास्ते में ही उन्होंने दम तोड़ दिया। अस्पताल में डाक्टरों ने भी उनको मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने मर्ग कायम कर जांच शुरू की है। रविवार को उनका पोस्टमार्टम कराया जाएगा। पूर्व डीजीपी के परिवार को इस हादसे ने तोड़ दिया है।
पुलिस ने कहा कि अभी परिवार की हालत को देखते हुए आत्महत्या के कारणों के संबंध कोई पूछताछ नहीं हो पाई है। तुषार के पिता परिवार में माता-पिता, पत्नी और एक बेटा है। तुषार के पिता छत्तीसगढ़ की स्थापना के बाद एक नवम्बर 2000 को पहले डीजीपी बनाए गए थे। उन्होंने 26 मई 2001 तक पुलिस बल का नेतृत्व किया।
सेवानिवृत्ति के बाद वे भोपाल के वैशाली नगर में ही रहते थे।परिवार में भी अकेले हो गए थेपुलिस के अनुसार 54 वर्षीय तुषार शुक्ला पिछले दो वर्षों से गंभीर अवसाद से जूझ रहे थे। उनका उपचार चल रहा था। इस दौरान वे ज्यादा न तो बाहर आते-जाते थे और न ही बाहरी लोगों से मिलते थे।
एक तरह से उन्होंने खुद को घर में कैद कर लिया था। वे परिवार के बीच भी खुद को अकेला महसूस कर रहे थे। दो बार पहले भी खुदकुशी की कोशिश कर चुके थेतुषार शुक्ला का अवसाद इस हद तक आत्मघाती हो चुका था कि वे जान देने की बार-बार कोशिश करते थे।
पिछले दो वर्षों में उन्होंने दो बार अपने हाथ की नस काटी थी। स्वजनों ने समय पर उनको देखकर अस्पताल पहुंचा दिया, जिससे उनकी जान बच गई। लेकिन परिवार उन्हें अवसाद से नहीं बचा पाया। अंत में इसी अवसाद ने उनकी जान ले ली।
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