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Exclusive : पीएम मोदी देश के 'लीडर' और राहुल गांधी 'डीलर', CM शिवराज सिंह चौहान की कांग्रेस को खरी-खरी

CM Shivraj Singh Chouhan Exclusive Interview मध्य प्रदेश में नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव परिणाम को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आत्मविश्वास से भरे हैं। वे पूरे विश्वास से कहते हैं प्रदेश में सरकार तो भाजपा की ही बनेगी। इसका गणित समझाते हुए वे कहते हैं कि पिछले चार वर्षों में भाजपा ने अपना आधार मजबूत किया है।

By Jagran NewsEdited By: Yogesh SahuUpdated: Sat, 12 Aug 2023 07:41 PM (IST)
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Exclusive : पीएम मोदी देश के 'लीडर' और राहुल गांधी 'डीलर', CM शिवराज सिंह चौहान की कांग्रेस को खरी-खरी
CM Shivraj Singh Chouhan Interview : धनंजय प्रताप सिंह, भोपाल (नई दुनिया)। मध्य प्रदेश में नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव परिणाम को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आत्मविश्वास से भरे हैं।

वे पूरे विश्वास से कहते हैं 'प्रदेश में सरकार तो भाजपा की ही बनेगी। इसका गणित समझाते हुए वे कहते हैं कि पिछले चार वर्षों में भाजपा ने अपना आधार मजबूत किया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रधानमंत्री आवास, उज्ज्वला गैस और आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं से भाजपा का जनाधार बढ़ा है। जिस वर्ग को भाजपा विरोधी वोट माना जाता था, अब वह पार्टी के साथ है।

मैं जहां भी जाता हूं, भारी भीड़ और उनका स्नेह प्रमाण है कि सरकार भाजपा की ही बनेगी।' मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव का शंखनाद होने को है। सियासी हलचल तेज है।

भाजपा और कांग्रेस अपनी-अपनी जीत के दावे कर रही हैं। दैनिक जागरण के सहयोगी प्रकाशन नईदुनिया के भोपाल ब्यूरो प्रमुख धनंजय प्रताप सिंह ने प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से इन मुद्दों पर विस्तृत बातचीत की। प्रस्तुत हैं उस बातचीत के प्रमुख अंशः

वर्ष 2018 में सरकार नहीं बन पाई, तब क्या कमियां रह गई थीं। इस बार क्या मजबूती है?

- कांग्रेस ने झूठे वादे किए थे। किसानों और स्वयंसेवी समूहों की कर्जमाफी सहित 900 वचन दिए थे। लोग भ्रम में आ गए थे।

दूसरी बात एंटी बीजेपी वोट हमेशा बंटता रहा है, लेकिन चार अप्रैल 2016 की घटना (एट्रोसिटी एक्ट के खिलाफ हुए आंदोलन) से समाज में खाई बनी, तो बसपा सहित अन्य पार्टियों को मिलने वाले वोट कांग्रेस को चले गए।

सिर्फ लोकप्रियता ही नहीं, बल्कि समीकरणों से भी परिणाम पर प्रभाव पड़ते हैं। वर्ष 2008 में भाजपा को 38.5 प्रतिशत वोट मिले और सीटें मिली थीं 143, जबकि 2018 में वोट शेयर 41 प्रतिशत से आगे चला गया, लेकिन सीटें 109 ही मिलीं।

तब 2018 और अब 2023 की स्थिति में कोई खास बदलाव दिख नहीं रहा है। इस बार ऐसी कौन सी जादुई छड़ी है?

- सरकार बनने पर कांग्रेस की वादा खिलाफी…, पांच दें या सात गारंटी, अब उनकी विश्वसनीयता खत्म हो गई है। सवा साल का भयानक दौर था।

मंत्रालय को दलालों का अड्डा बना दिया था। उनके करीबियों के यहां छापे पड़े, खूब पैसा निकला। जनकल्याणकारी योजनाएं रोक दी गईं।

केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ गरीब परिवारों को नहीं लेने दिया। प्रधानमंत्री आवास लौटा दिए। जल जीवन मिशन शुरू ही नहीं किया। लाखों किसान भी केंद्र की किसान सम्मान निधि से वंचित रह गए।

आपकी सर्वाधिक लोकप्रिय लाड़ली बहना योजना के सामने कांग्रेस नारी सम्मान योजना लेकर आई है। इसका जनता पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

- देखिए, उनका लक्ष्य कल्याण नहीं, बल्कि चुनावी लाभ की मंशा है। वे झूठ बोल रहे हैं। लोग जानते हैं कि पहले कभी वादे पूरे नहीं किए, तो अब क्या करेंगे? जबकि हमारे लिए महिला सशक्तीकरण एक संकल्प है।

मैंने पहली बार मुख्यमंत्री बनते ही लाड़ली लक्ष्मी योजना और कन्या विवाह योजना शुरू की थी। प्रदेश में लिंगानुपात 912 बालिका प्रति हजार बालक था, जो इस योजना के प्रभाव से अब 956 है।

हमने पुलिस में 30 प्रतिशत और शिक्षक भर्ती में 50 प्रतिशत सहित स्थानीय चुनावों में 50 प्रतिशत महिलाओं को आरक्षण दिया है।

इस बार चुनाव में क्या एंटी बीजेपी वोट फिर से बसपा और अन्य के बीच बंट जाएगा?

- भाजपा ने अपना बेस बढ़ाया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रधानमंत्री आवास, उज्जवला गैस और आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं से भाजपा का जनाधार बढ़ा है।

कभी गरीबों का जो वर्ग एंटी बीजेपी वोट माना जाता था, अब भाजपा के साथ है। मैं जहां भी जाता हूं, भारी भीड़ और उनका स्नेह प्रमाण है कि भाजपा की सरकार ही बनेगी।

आप हर वर्ग को खुश करने में जुटे हैं, लेकिन भाजपा नेताओं में जीत के प्रति आश्वस्त होने का भाव नहीं झलक रहा है?

- ऐसा बिल्कुल नहीं है। जीत के प्रति पूरी भाजपा आश्वस्त है। 2003 में कांग्रेस की सरकार में प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय 11 हजार रुपये थी, जो अब बढ़कर एक लाख 40 हजार रुपये हो गई है।

जीएसडीपी का साइज 71 हजार करोड़ था, जो अब करीब 15 लाख करोड़ है। प्रदेश का बजट था करीब 23 हजार करोड़, जो अब तीन लाख 14 हजार करोड़ है।

देश की जीडीपी में प्रदेश का योगदान करीब तीन प्रतिशत था, अब 4.6 प्रतिशत है। पहले गड्ढों में सड़कें थीं, लेकिन अब ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कें जोड़ लें तो पांच लाख किमी से ज्यादा सड़कें हमने बनाई हैं।

पहले केवल 2,900 मेगावाट बिजली बनती थी, अब 28 हजार मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है। अंग्रेजों, राजाओं, नवाबों के जमाने और कांग्रेस सरकारों में प्रदेश में कुल 7.50 लाख हेक्टेयर सिंचाई का रकबा था।

हमने इसे बढ़ाकर 47 लाख हेक्टेयर किया और अब 65 लाख हेक्टेयर की तरफ बढ़ रहे हैं। सीएम राइज स्कूल, मेडिकल कालेज, मेट्रो रेल, ग्लोबल स्किल पार्क, निवेश व एक्सपोर्ट सहित आप किसी भी दिशा में देखें तो प्रदेश तेजी से आगे बढ़ रहा है।

आइएनडीआइए के नाम पर राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी एकता की कोशिशें जारी हैं। मध्य प्रदेश में इसे आप कितनी चुनौती मानते हैं?

- नकली सूरत सामने आए, असली चेहरा छुपा रहे। शेर की खाल ओढ़कर भेड़िया शेर नहीं बन जाता। ये (आइएनडीआइए) वे लोग हैं, जिनकी विचारधारा एक नहीं है।

ये एक-दूसरे से हमेशा लड़ते रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि न खाऊंगा, न खाने दूंगा। कार्रवाई के डर से सभी एक होने लगे हैं।

देश में भाजपा के पक्ष में लहर चल रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश के लीडर हैं और राहुल गांधी डीलर हैं, जनता यह जान चुकी है।

मप्र में कांग्रेस सरकार बनाने का दावा कर रही है। भाजपा को कितनी टक्कर दे पाएगी?

- कांग्रेस अपना अस्तित्व खो चुकी है। अब जो दिखाई दे रहा है, वह दिल्ली में मां-बेटे की कांग्रेस है। इधर प्रदेश में कमल नाथ-नकुल नाथ और दिग्विजय-जयवर्धन यानी बाप-बेटों की कांग्रेस है। कांग्रेस में न विचारधारा है, न समर्पण, सिर्फ स्वार्थ है।

मध्य प्रदेश में सांस्कृतिक पुनरुत्थान का राजनीतिक लाभ क्या देखते हैं?

- हर विषय को राजनीतिक नजरिए से नहीं देखा जा सकता। आप भाजपा सरकार के माडल को देखिए। एक तरफ हमने गरीबों के कल्याण की योजनाएं शुरू कीं, लेकिन कैपिटल एक्सपेंडिचर कम नहीं होने दिया। हममें आगे बढ़ने की क्षमता है। हमने प्रदेश की अर्थव्यवस्था बहुत मजबूत की है।

महाकाल मंदिर में लगाए जा रहे कुछ शुल्क को लेकर विरोध के स्वर उभर रहे हैं। साधु, संतों ने भी अनुचित बताया है। आप क्या कहेंगे?

- मेरी जानकारी में आया है कि मंदिर समिति ने आनलाइन दर्शन और जिनके पास कम समय है, उनके लिए शुल्क की व्यवस्था की है। मैं इसे दिखवा रहा हूं। जो कुछ भी असंगत होगा, उस पर फिर से विचार किया जाएगा।

प्रदेश में सत्ता के लिहाज से निर्णायक आदिवासी वोट बैंक को लेकर भाजपा की क्या रणनीति है?

- हमारे लिए जनजातीय समाज श्रद्धा और सम्मान का विषय है। उनके अधिकारों की रक्षा के लिए हमने एक तरफ जहां पेसा एक्ट लागू किया, वहीं कल्याणकारी योजनाओं को गति दी है।

बैकलाग पदों पर भर्ती, शिक्षा, रोजगार और समानता के अवसर सहित विभिन्न माध्यमों से जनजातीय समाज को सशक्त करने का संकल्प हम सिद्ध कर रहे हैं।

अब जनजातीय समूह स्वयं तेंदूपत्ता तोड़ते और बेचते हैं। आदिवासी परिवारों के बच्चों को पढ़ने के लिए हम विदेश तक भेज रहे हैं।

पिछले चुनाव में आदिवासी वर्ग कांग्रेस के भुलावे और भ्रम में आ गया था, लेकिन इस बार हमें सर्वाधिक सीटें मिलेंगी। नगरीय निकाय के चुनाव में सारे आदिवासी क्षेत्र में भाजपा जीती है।

गरीब और आदिवासी कल्याण की चरण पादुका जैसी योजनाओं पर पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ की राय अलग होती है। एक मुख्यमंत्री के तौर पर आप क्या सोचते हैं?

- देखिए, कमल नाथ ने कभी गरीबी नहीं देखी है। तकलीफ, अभाव, पीड़ा क्या होती है, उन्हें नहीं पता। तेंदूपत्ता तोड़ने जा रही महिला के पैर में कांटा चुभता है, तो क्या पीड़ा होती है, मैं जानता हूं।

चरण पादुका योजना में मैंने आदिवासी महिलाओं को चप्पल पहनाई हैं। कमल नाथ सोने का चम्मच लेकर पैदा हुए हैं, गरीब का दर्द समझ ही नहीं सकते।

दिग्विजय सिंह की सरकार को गए 20 साल हो चुके हैं, लेकिन आज भी भाजपा के निशाने पर दिग्विजय सिंह ही रहते हैं?

- वह मिस्टर बंटाधार हैं। प्रदेश को तबाह व बर्बाद कर दिया। वह बर्बादी के प्रतीक हैं। वह स्वयं कहते हैं कि मेरा चेहरा देखकर जनता वोट नहीं देगी।

विधायकों के प्रति क्षेत्र में एंटी इनकम्बेंसी देखते हुए क्या भाजपा टिकट वितरण में पीढ़ी परिवर्तन को तवज्जो देगी?

- जनता किसी से नाराज है, यदि उसने काम नहीं किया है तो पार्टी उस पर विचार करेगी।\

आपको लगता है कि 2018 में चुनाव परिणाम में बेहद कम अंतर था, तो उसी वक्त भाजपा को सरकार बना लेना चाहिए थी ?

- नहीं। उस समय फैसला बिल्कुल सही था। वोट हमारे ज्यादा थे। बहुमत उनको भी नहीं मिला था, लेकिन सीटें उनकी ज्यादा थीं। मेरी अंतरात्मा ने कहा कि जिसकी सीट ज्यादा है, सरकार बनाने का मौका उसे ही मिलना चाहिए।

प्रदेश के हमारे कई नेता चाहते थे कि जो निर्दलीय और अन्य दलों के विधायक साथ आने को तैयार हैं, उन्हें लेकर हमें दावा पेश करना चाहिए, लेकिन मैंने मना कर दिया।

कई राज्यों में ऐसी स्थितियां बनीं तो भाजपा ने सरकार का गठन किया। मध्य प्रदेश में आपने ऐसी नैतिकता क्यों दिखाई?

- मेरा मानना था कि जिनकी सीटें ज्यादा हैं, उन्हें सरकार बनाने का मौका मिलना चाहिए। उन्होंने जोड़-तोड़कर सरकार बना भी ली, लेकिन चला न सके। प्रदेश को बर्बाद कर दिया। यदि ढंग से सरकार चलाते तो पूरी पांच साल चला सकते थे।

मप्र में केंद्रीय नेतृत्व ने चुनावी मोर्चा संभाल लिया है, जिससे संदेश जा रहा है कि प्रदेश में भाजपा कमजोर हो गई है। इसे आप कैसे देखते हैं?

- ऐसा नहीं है, भाजपा में हर राज्य में सभी मिल-जुलकर काम करते हैं। गुजरात में तो भाजपा की जीत पक्की थी, लेकिन पूरे देश से नेताओं को वहां लगाया गया।

वहां कांग्रेस दिखाई भी नहीं देती है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खुद लगे थे। हमारे सारे मुख्यमंत्री चुनाव में लगाए गए थे। अमित भाई लगे। हमारा नेतृत्व हमेशा मोर्चा संभालता है। सारे नेता कर्नाटक भी गए थे।

केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का कहना है कि प्रदेश में चुनाव में चेहरा शिवराज सिंह चौहान हैं। आप क्या कहेंगे?

- हम लोग चुनाव काहे (किस चेहरे) पर लड़ें, यह विचार नहीं करते, बल्कि कार्यकर्ता के नाते अपना सर्वश्रेष्ठ देते हैं। हम इस चक्कर में नहीं हैं कि कौन क्या है।

सब मिलकर पार्टी के लिए काम करते हैं और अपने उद्देश्यों के लिए आगे बढ़ते हैं। किसके चेहरे पर चुनाव होगा, यह महत्वपूर्ण नहीं है।

किन उद्देश्यों के लिए हम काम कर रहे हैं, यह ज्यादा महत्वपूर्ण है। हम देश को विश्वगुरु बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।

यह माना जाए कि आप पांचवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे?

- यह निश्चित है कि जीत भारतीय जनता पार्टी की ही होगी। सरकार हमारी ही बनेगी।

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