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CM शिवराज के संघर्ष की कहानी बयां कर रहा 'जैत' गांव, पिता की डांट के बावजूद करते थे मजदूरों के हक की बात

नर्मदा के किनारे बसा हुआ जैत गांव मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बचपन की कहानियां बयां कर रहा है। जैत में दाखिल होते ही सामने विद्यालय दिखाई देता है और थोड़ी ही दूर पर एक मंदिर स्थित है। कहा तो यहां तक जाता है कि शिवराज सिंह चौहान जब जैत आते हैं तो अक्सर इस मंदिर में दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं।

By Anurag GuptaEdited By: Anurag GuptaUpdated: Thu, 07 Sep 2023 05:09 PM (IST)
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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का पैतृक गांव जैत (जागरण ग्राफिक्स)

भोपाल, ऑनलाइन डेस्क। राजधानी भोपाल से तकरीबन 70 किमी दूर 'जैत' नामक एक गांव है। 'जैत' की अपनी एक अलग पहचान है, क्योंकि यह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का पैतृक गांव है और यह बुधनी विधानसभा के अंतर्गत आता है। यह शिवराज सिंह चौहान की सीट है, यहां से उन्होंने अपनी किस्मत की आजमाइश की और प्रदेश की सत्ता में काबिज हुए।

नर्मदा के किनारे बसे छोटे से गांव 'जैत' में दाखिल होते ही विद्यालय दिखाई देता है और थोड़ी ही दूर पर एक मंदिर स्थित है। कहा तो यहां तक जाता है कि शिवराज सिंह चौहान जब 'जैत' आते हैं तो अक्सर इस मंदिर में दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। मंदिर के सामने ही मुख्यमंत्री शिवराज के परिवार का एक घर है, जहां पर वह जाया करते हैं, लेकिन उनका पुश्तैनी मकान गांव के बीचो-बीच स्थित है।

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ऐसे में जैत गांव के लोगों के मन का हाल जानेंगे और मुख्यमंत्री शिवराज के परिवार से रूबरू होंगे।

'75 साल पुराना है CM का पुश्तैनी मकान'

ग्राम सचिव के मुताबिक, मुख्यमंत्री शिवराज का पुश्तैनी मकान तकरीबन 75 साल पुराना है और उनकी प्राथमिक शिक्षा-दीक्षा गांव में ही हुई है। पुश्तैनी मकान में साल में दो बार शिवराज सिंह चौहान पूजा-अर्चना करने के लिए जरूर आते हैं, यहां पर कुल देवी-देवताओं की पूजा होती है। पुश्तैनी मकान में बड़े भईया राघवेंद्र सिंह चौहान रहते हैं और खेती किसानी से जुड़े हुए हैं।

'मजदूरों को प्रोत्साहित करते थे शिवराज'

मुख्यमंत्री के छोटे भाई राघवेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि शिवराज सिंह चौहान ने काफी संघर्ष किया है और मजदूरों के हक की लड़ाई भी लड़ी। मुख्यमंत्री के भीतर बचपन से ही नेतृत्व क्षमता दिखाई देने लगी थी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज साल में दो-चार बार अपने पुश्तैनी गांव आ जाते हैं।

राघवेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि मजदूरों को मजदूरी बढ़वाने के लिए शिवराज प्रोत्साहित करते थे। हालांकि, इसकी वजह से चाचाजी और पिताजी उन्हें डांटा करते थे। इसके बावजूद वह मजदूरों को लेकर रात के समय मंदिर में बैठक भी किया करते थे।

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घाट का हो रहा नवीनीकरण

ग्राम सचिव ने बताया कि जैत गांव में स्थित नर्मदा घाट में तकरीबन 50 गांव के लोग अमावस्या, पूर्णिमा, संक्रांति जैसे विशेष पर्वों पर स्नान करने के लिए आते हैं। इसलिए घाट के नवीनीकरण का निर्णय लिया गया। इसके अतिरिक्त घाट का कटाव भी हो रहा। हालांकि, सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए नवीनीकरण कार्य हो रहा है।

जैत निवासी मुन्नूलाल ने बताया कि वो मुख्यमंत्री को बचपन से जानते हैं और उन्होंने बचपन से उन्हें (शिवराज सिंह चौहान) मेहनत करते देखा है। वहीं, एक अन्य व्यक्ति ने कहा,

किसान और सिंचाई को लेकर सरकार बहुत बढ़िया काम कर रही है। मौजूदा समय में किसानों की आय दोगुनी हो गई, फसलों की अच्छी कीमत मिल रही है। एक अन्य बुजुर्ग ने मुख्यमंत्री शिवराज की सान में कसीदे पढ़े।

उन्होंने कहा कि बिजली, पानी और मकान की सुविधा मिल रही है।

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CM के बचपन की कहानियां बयां कर रहा 'जैत'

नर्मदा के किनारे बसा हुआ 'जैत' गांव शिवराज सिंह चौहान के बचपन की कहानियां बयां कर रहा है। साथ ही यहां के लोगों के साथ उनका एक अनूठा रिश्ता भी है और तमाम लोग मुख्यमंत्री के साथ की पुरानी यादें ताजा करते हुए दिखाई दिए।

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