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कठिन मापदंड के बाद देशभर के 140 आयुर्वेद कॉलेजों की मान्यता पर संकट, इसी महीने से शुरू होगा निरीक्षण

आयुर्वेद कॉलेजों की मान्यता के लिए शैक्षणिक सत्र 2024-25 के मापदंड कठिन किए जाने के बाद देशभर के कई आयुर्वेद कॉलेजों की मान्यता पर संकट आ सकता है। इसकी वजह यह है कि भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग ने फैकल्टी की बायोमैट्रिक उपस्थिति वेतन को सीधा कोषालय से लिंक करने और एलाइड विषय को मूल विषय की फैकल्टी के रूप में मान्यता नहीं देने जैसे मापदंड लागू किए हैं।

By Jagran News Edited By: Devshanker Chovdhary Updated: Wed, 17 Jan 2024 07:16 PM (IST)
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कॉलेजों की मान्यता के लिए इसी माह से निरीक्षण शुरू होने वाला है। (फाइल फोटो)

शशिकांत तिवारी, भोपाल। आयुर्वेद कॉलेजों की मान्यता के लिए शैक्षणिक सत्र 2024-25 के मापदंड कठिन किए जाने के बाद देशभर के कई आयुर्वेद कॉलेजों की मान्यता पर संकट आ सकता है। इसकी वजह यह है कि भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग ने फैकल्टी की बायोमैट्रिक उपस्थिति, वेतन को सीधा कोषालय से लिंक करने और एलाइड विषय को मूल विषय की फैकल्टी के रूप में मान्यता नहीं देने जैसे मापदंड लागू किए हैं।

इसी महीने से शुरू होगा निरीक्षण

कॉलेजों की मान्यता के लिए इसी माह से निरीक्षण शुरू होने वाला है। 19 जनवरी तक कॉलेजों को अपने यहां उपलब्ध संसाधनों की जानकारी आयोग को देनी है। अभी तक कॉलेजों द्वारा आयोग को भेजी गई जानकारी के अनुसार देशभर के 140 कॉलेज मापदंड पूरा नहीं कर रहे हैं। इनमें से 95 प्रतिशत से अधिक निजी कॉलेज हैं।

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इन मापदंडों के चलते भी मान्यता को लेकर आएगी मुश्किल

बीएएमएस की 60 सीटों के लिए 30 चिकित्सा शिक्षक, 60 बिस्तर का अस्पताल, ओपीडी में प्रतिदिन 120 मरीज और भर्ती मरीजों की संख्या 24 होना आवश्यक है। इसी तरह से सौ सीटों के लिए 45 चिकित्सा शिक्षक, ओपीडी में प्रतिदिन दो सौ और एक समय पर भर्ती रागियों की संख्या 40 होना आवश्यक है।

यह मापदंड पहले से हैं, पर आयुर्वेद कॉलेजों की संख्या बढ़ने के कारण रोगी कई अस्पतालों में बंट जाते हैं, जिससे ओपीडी और भर्ती रोगियों का मापदंड पूरा करना भी चुनौती बन रहा है।

निर्धारित मापदंडों का पालन कराना आवश्यक

आयुष मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ.राकेश पाण्डेय ने कहा कि भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग द्वारा निर्धारित मापदंडों का पालन कराना आयुर्वेद चिकित्सा शिक्षा के गुणवत्ता बढ़ाने के लिए अति आवश्यक है। मापदंडों के पालन की अनिवार्यता में लापरवाही करने वाले निजी एवं सरकारी दोनों प्रकार के कालेजों की मान्यता पर संकट आना तय है। 

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