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Dengue in Gwalior: ग्‍वालियर में बढ़ते जा रहे हैं डेंगू के मामले, अपनाएं मच्‍छरों से बचाव के ये उपाय

Dengue in Gwalior ग्‍वालियर में डेंगू के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। संक्रमितों की संख्‍या अब 324 तक पहुंच चुकी हैं। यहां हम आपको डेंगू से बचाव के कुछ उपाय भी बता रहें हैं लेकिन सबसे जरूरी हैं कि आप खुद सतर्क रहें और बच्‍चों का भी ध्‍यान रखें।

By Jagran NewsEdited By: Babita KashyapUpdated: Tue, 01 Nov 2022 10:42 AM (IST)
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Dengue in Gwalior: डेंगू का डंक परेशानी का सबब बनता जा रहा है।

ग्‍वालियर, जागरण आनलाइन डेस्‍क। Dengue in Gwalior: डेंगू का डंक परेशानी का सबब बनता जा रहा है। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक डेंगू का शिकार होते जा रहे हैं। सोमवार को 14 लोग डेंगू की चपेट में आए। जिससे डेंगू के मामले बढ़कर 324 हो गए। इनमें 49 केस दीगर जिले के और 275 ग्वालियर जिले के हैं।

दवाई का छिड़काव, लार्वा सर्वे और फॉगिंग ठीक तरह से न होने की वजह से डेंगू के केस बढ़ते ही जा रहे हैं। थमने का नाम नहीं ले रहा है। लोग बीमार होकर अस्पताल जा रहे हैं। फिलहाल निजी और सरकारी अस्पतालों समेत दो दर्जन से ज्यादा मरीजों को भर्ती कर इलाज किया जा रहा है।

ये निकले डेंगू संक्रमित

ग्वालियर में रहने वाली 5 महीने की हर्षित, 50 साल की गुलजारी, 24 साल की नेहा, तीन महीने की देवराज, मुरैना का 60 साल का माला, 10 साल का अमित, 12 महीने की मयंक, 14 साल की विभु, 20 साल की शिवानी

कुशवाहा, 6 साल बूढ़ा का निशांत, भिंड का 13 साल का शैलेंद्र, 22 साल की तनु, 15 साल की प्रणव, 6 साल का प्रियांसी का काफी दिनों तक इलाज कराने के बाद भी बुखार नहीं उतरा तो डाक्‍टर के कहने पर टेस्ट करवाया जिसमें डेंगू संक्रमित होने का पता चला।

8 बच्चे डेंगू की चपेट में

सोमवार को आठ बच्चों समेत 14 लोग डेंगू की चपेट में आए। इन बच्चों की उम्र 3 माह से लेकर 14 साल तक बतायी जा रही है। छोटे बच्‍चे डेंगू का आसानी से शिकार बन रहे हैं। इस जिले के 130 बच्चे अब तक डेंगू की चपेट में आ चुके हैं।

डा विनोद दौनारिया ने बताया कि का बच्चों की त्‍वचा कोमल होने की वजह से डेंगू का मच्छर उन्हें आसानी से अपना शिकार बना लेता है। इसलिए बच्चों को मच्छरों से बचाना जरूरी है। बच्चों को पूरी बाजू के कपड़े पहनाएं और घर में साफ पानी एकत्रित न होने दें और मच्छरों से बचाव के उपाय अपनायें।

इस तरह करें मच्‍छरों से बचाव

गेंदा - गेंदे के फूल लगाने पर उसकी गंध से मच्छर नहीं आते।

सिट्रोनेला ग्रास- सिट्रोनेला घास का तेल एक एंटी-फंगल के रूप में कार्य करता है। इसके इस्तेमाल से मच्छर कमरे में नहीं रहते।

नीम का पेड़- नीम के पेड़ की पत्तियों को उबालकर उसका पानी छिड़कने से मच्छर, मक्खियां और कीड़े नहीं आते हैं।

लेमन ग्रास- लेमन ग्रास का इस्तेमाल किचन में किया जाता है, लेकिन इसकी महक के कारण मच्छर घर में प्रवेश नहीं करते हैं, इसे बालकनी में लगा सकते हैं।

लैवेंडर का फूल- कमरे में लैवेंडर का तेल छिड़कें, इसकी सुगंध से मच्छर दूर रहते हैं।

नीलगिरी का तेल - नीलगिरी के तेल को नींबू के रस में समान मात्रा में मिलाकर शरीर पर लगाये इससे मच्छर नहीं काटेंगे।

मलेरिया विभाग की टीम पर लार्वा सर्वे पर काम किया जा रहा है। लेकिन इससे ज्‍यादा जरूरी ये है कि लोग सतर्क रहें और साफ पानी को घर और बाहर जमा न होने दें क्योंकि साफ पानी में डेंगू मच्‍छर का लार्वा पनपता है। घर के दरवाजे और खिड़कियों में जाली जरूर लगाएं और सोते समय भी मच्छरदानी का प्रयोग करें।

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