'महाकाल लोक' की तर्ज पर चल रहा 'देवी लोक' का निर्माण कार्य, माता के 9 स्वरूप और भव्य शिवलिंग के होंगे दर्शन
शिवराज सिंह चौहान सरकार टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए आस्था के केंद्रों का भी नवीनीकरण करा रही है। महाकाल लोक की तर्ज पर सलकनपुर धाम के नवीनीकरण का काम चल रहा है। तकरीबन 200 करोड़ रुपये की लागत से देवी लोक तैयार होगा। मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष महेश उपाध्याय ने कहा कि देवी लोक में चौसठ योगिनी नौ देवी और एक भव्य शिवलिंग की प्रतिमा स्थापित की जाएगी।
By Anurag GuptaEdited By: Anurag GuptaUpdated: Thu, 07 Sep 2023 07:04 PM (IST)
भोपाल, ऑनलाइन डेस्क। मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए आस्था के केंद्रों का भी नवीनीकरण करा रही है। महाकाल लोक की तर्ज पर राजधानी भोपाल से तकरीबन 70 किमी दूर सलकनपुर धाम के नवीनीकरण का काम चल रहा है। सरकार देवी मां के प्राचीन मंदिल को देवी लोक के तौर पर विकसित कर रही है। तकरीबन 200 करोड़ रुपये की लागत से सरकार सलकनपुर धाम को नया स्वरूप देगी।
देवी लोक में चल रहा विकास कार्य
मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष महेश उपाध्याय ने देवी लोक में हो रही विकास कार्यों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान महाकाल लोक की तर्ज पर सलकनपुर की भौगोलिक स्थित को देखकर देवी लोक के तौर पर विकसित करने का निर्णय लिया। इसी को ध्यान में रखकर महाकाल लोक का निर्माण करने वाली दिल्ली की टीम को यहां का जिम्मा सौंपा।
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उन्होंने कहा कि देवी लोक में चौसठ योगिनी, नौ देवी और एक भव्य शिवलिंग की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। इसके अतिरिक्त फव्वारे भी लगाए जाएंगे। इसके साथ ही यहां पर एक बड़ा रोप-वे भी प्रस्तावित है। जिसकी क्षमता तकरीबन एक घंटे में हजार लोगों को लाने-ले जाने की होगी। मुख्यमंत्री चाहते हैं कि सलकनपुर एक तीर्थ स्थल के तौर पर विकसित हो, जहां पर दूर-दूर से लोग दर्शन के लिए आए।
क्या है मंदिर की मान्यताएं?
महेश उपाध्याय ने बताया कि रक्तबीज नामक राक्षस से युद्ध के बाद माता जी जिस स्थान पर आकर विराजमान हुईं वह कालांतर में विजयासन या बिजासन के नाम से प्रसिद्ध हुआ। चूंकि विंध्य की पहाड़ियों में ही माता जी के समस्त स्थान है जिनमें मैहर, मिर्जापुर, सलकनपुर इत्यादि हैं। यहां से बहुत नजदीक मां नर्मदा जी का तीर्थ स्थान आंवली घाट भी है। उन्होंने कहा कि चार सौ-साढ़े चार सौ साल का इतिहास तो ज्ञात है, लेकिन उससे पहले से यह मंदिर कब से है? यह किसी को सही से ज्ञात नहीं है।
वहीं, 1988 से मंदिर की सेवा में कार्यरत पुजारी ने बताया कि चमत्कार की बात तो अपनी-अपनी भावनाओं और श्रद्धा से जुड़ी हुई है, क्योंकि हमारा सनातन धर्म श्रद्धा और विश्वास में टिका हुआ है। जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी।इसे भी पढ़ें: CM शिवराज ने सागर मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल का किया लोकार्पण, बोले- भगवान के बाद डॉक्टर्स का दूसरा स्थान
राजेश शर्मा नामक स्थानीय निवासी ने बताया कि यहां पर हमारी दुकान हुआ करती थी, अभी देवी लोक का काम चालू हुआ है। पिताजी बताते हैं कि यहां पर पहले एक छोटी सी माता जी की मढिया हुआ करती थी। यह क्षेत्र बुधनी विधानसभा के अंतर्गत आता है। जब से शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बने हैं और महेश उपाध्याय ट्रस्ट के अध्यक्ष बने हैं तब से यहां पर विकास की एक श्रृंखला लगी हुई है।उन्होंने कहा कि देवी लोक का कार्य शुरू हो गया है। इससे मेरे साथियों के लिए रोजगार के अवसर खुलेंगे। यहां पर दूर-दूर से लोग आते हैं। उन्होंने बताया कि पहले सीढ़ी मार्ग हुआ करता था, रोप-वे को आठ-दस से ज्यादा समय नहीं हुआ है। पहले दर्शनार्थी सीढ़ियों से ही आते-जाते थे, लेकिन मुख्यमंत्री के मोर्चा संभालने के बाद यहां पर रोड और रोप-वे की सुविधा मुहैया कराई गई।
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