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'विरोधियों को छोड़ते नहीं, अपनों से मुंह मोड़ते नहीं'; शिवराज सरकार में नंबर दो नरोत्तम मिश्रा का राजनीतिक सफर

मध्य प्रदेश में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाला है। ऐसे में भाजपा और कांग्रेस ने अपनी-अपनी रणनीतियां बनाना शुरू कर दिया है। ऐसे में आज हम बात करेंगे सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने वाले भाजपा के कद्दावर नेता नरोत्तम मिश्रा की।

By Anurag GuptaEdited By: Anurag GuptaUpdated: Thu, 25 May 2023 07:43 PM (IST)
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मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा (जागरण ग्राफिक्स)

भोपाल, ऑनलाइन डेस्क। मध्य प्रदेश में कांग्रेस को बर्बाद करने के लिए दो ही डीके काफी हैं... बाहर के डीके आ जाएंगे तो अंजाम कांग्रेस क्या होगा? मध्य प्रदेश के गृह मंत्री और भाजपा के कद्दावर नेता नरोत्तम मिश्रा ने यह टिप्पणी की। इस बीच, उन्होंने डीके का मतलब भी समझाया। दरअसल, डी का मतलब दिग्विजय सिंह और के का मतलब कमलनाथ है।

मध्य प्रदेश में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाला है। ऐसे में भाजपा और कांग्रेस ने अपनी-अपनी रणनीतियां बनाना शुरू कर दिया है। साथ ही एक-दूसरे पर जमकर निशाना साध रहे हैं। ऐसे में आज हम बात करेंगे सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने वाले भाजपा के नेता नरोत्तम मिश्रा की, जो विपक्षियों पर निशाना साधने का कोई भी मौका नहीं छोड़ते हैं।

कौन हैं नरोत्तम मिश्रा?

मध्य प्रदेश के ग्वालियर में 15 अप्रैल, 1960 को जन्में नरोत्तम मिश्रा ने प्रदेश में ही शिक्षा दीक्षा ग्रहण की। उन्होंने ग्वालियर के जीवाजी विश्वविद्यालय से एमए और पीएचडी की डिग्री हासिल की। इस बीच, उनका जुड़ाव छात्र संघ से हो गया था और देखते ही देखते 1977 में उन्हें छात्र संघ का सचिव बना दिया गया।

  • साल 1978 से 1980 के बीच में नरोत्तम मिश्रा मध्य प्रदेश भाजयुमो के राज्य कार्यकारी निकाय के सदस्य बन गए।
  • नरोत्तम मिश्रा ने डबरा सीट से साल 1993, 1998 और 2003 का विधानसभा चुनाव लड़ा। हालांकि, 1993 के चुनाव में उन्हें जीत नहीं मिली थी।
  • नरोत्तम मिश्रा पहली बार साल 2003 में बाबूलाल गौर सरकार में राज्यमंत्री बने। हालांकि, तब से लेकर अभी तक कई अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। जिनमें कानून, शिक्षा, आवास, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, जल संसाधन और जनसंपर्क सहित शामिल है।
  • साल 2005 में शिवराज सिंह चौहान ने पहली बार जब मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की थी तब नरोत्तम मिश्रा को संसदीय कार्य मंत्री का जिम्मा सौंपा गया था।
  • मध्य प्रदेश में भाजपा का ब्राह्मण चेहरा माने जाने वाले नरोत्तम मिश्रा की हैसियत 'शिवराज सरकार' में नंबर दो की हैं।

कब सुर्खियों में आए थे नरोत्तम मिश्रा?

नरोत्तम मिश्रा लगातार सुर्खियों में बने रहते हैं, लेकिन एक किस्सा ऐसा भी है जब चुनाव आयोग ने उन्हें चुनावी मैदान में उतरने से रोक दिया था। हालांकि, हाई कोर्ट ने उन्हें राहत दे दी थी। जिसकी बदौलत उन्होंने साल 2018 का विधानसभा चुनाव लड़ा।

दरअसल, नवबंर 2008 में 'तो इसलिए सबसे अलग हैं नरोत्तम' शीर्षक के साथ कुछ स्थानीय समाचार पत्रों में एक समान रिपोर्ट छपी थी। जिसे चुनाव आयोग ने कथित तौर पर कानून का उल्लंघन माना था और 2017 में उन्हें चुनाव लड़ने से रोक दिया था।

हालांकि, हाई कोर्ट से राहत मिलने के बाद 2018 में उन्होंने चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमाई थी। छह बार के विधायक नरोत्तम मिश्रा ने 2018 के विधानसभा चुनाव में महज 2,600 वोट से विजयी हुए थे।

ऑपरेशन लोटस में निभाई थी अहम भूमिका

2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल की और कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाया गया। हालांकि, मार्च 2020 में महज 14 महीने के अंतर में ही कमलनाथ सरकार गिर गई थी, क्योंकि ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके वफादार विधायकों ने कांग्रेस को अलविदा कहते हुए भाजपा का दामन थाम लिया था।

दरअसल, ज्योतिरादित्य सिंधिया समेत कांग्रेस के 3 दर्जन से अधिक विधायकों को भाजपा में शामिल कराने के लिए 'ऑपरेशन लोटस' चलाया गया था और इसकी सफलता में नरोत्तम मिश्रा ने अहम भूमिका अदा की थी।

तो क्या भाजपा के ब्राह्मण चेहरे हैं नरोत्तम मिश्रा?

नरोत्तम मिश्रा की बढ़ती लोकप्रियता ने उन्हें मध्य प्रदेश में ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी एक महत्वपूर्ण ब्राह्मण चेहरे के तौर पर स्थापित किया है। तभी तो 2019 के लोकसभा चुनाव के दरमियां भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के नेतृत्व में उन्हें ब्राह्मण वोटबैंक को ध्यान में रखते हुए कानपुर सीट का प्रभार सौंपा गया था और इसके बाद वह मध्य प्रदेश से भाजपा के प्रमुख नेताओं में शुमार हो गए।