देवास: पहाड़, नदी और झरने के बीच जंगल सफारी का उठाएं लुत्फ; 110 प्रजाति के पक्षियों का घर है खिवनी अभयारण्य
मप्र के देवास जिले से 87 किमी दूर स्थित खिवनी अभयारण्य है अद्भुत पर्यटन स्थल। सुरम्य पर्वतमाला की गोद में है बाघ-तेंदुआ चीतल का घर। बाल हनुमान मंदिर सूर्यास्त व इको प्वाइंट होल्कर राजवंश की शिकारगाह संग ऐतिहासिक धरोहरें भी। जंगल के बीच सुंदर काटेज ट्रेकिंग रूट करते रोमांचित।
By Jagran NewsEdited By: Yogesh SahuUpdated: Fri, 16 Jun 2023 06:52 PM (IST)
दीपक विश्वकर्मा, देवास। पर्वत श्रंखलाओं की गोद में बिखरी अकूत प्रकृतिक पुरा संपदा के बीच जंगल सफारी का लुत्फ लेना हो तो आप खिवनी अभयारण्य आइये।
इंदौर के समीप देवास जिले से 87 किलोमीटर दूर स्थित इस अभयारण्य में जहां आप बाघों को अटखेलियां करते देख सकते हैं।वहीं 110 प्रजातियों के पक्षियों की चहचहाट आपकी सुबह और शाम खुशनुमा बना देती है। सन सेट प्वाइंट, ईको प्वाइंट, होलकर राजवंश द्वारा बनवाई गई शिकार गाह के साथ क्षेत्र में बिखरी ऐतिहासिक धरोहरें पर्यटकों को रोमांचक यात्रा का लुत्फ देती हैं।
बाघों का घर है खिवनी
खिवनी में लगभग दस बाघ हैं। इसके अलावा तेंदुआ, लकड़बग्घा, भेड़िया, सियार, चिंकारा, चीतल, नीलगाय, जंगली सूअर, लंगूर आदि वन्य प्राणी स्वच्छंद विचरण करते हुए समय-समय पर देखे जा सकते हैं।खिवनी अभयारण्य के उत्तर में अनेक पहाड़ियां हैं। जामनेद नदी एवं अनेक छोटे-बड़े नाले नर्मदा बेसिन का भाग बनाते हैं।
डीएफओ प्रदीप मिश्रा के मुताबिक इस स्थान को पर्यटकों के लिए और अधिक सुविधाजनक बनाए जाने के लिए विभाग लगातार प्रयास कर रहा है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।कई प्रजातियों के पंछी
यहां इंडियन पेराडाइस फ्लाईकेचर प्राय: देखा जाता है। अन्य पक्षियों में मोर, पपीहा, उल्लू, बाज, राबिन, बगुला, सारस, चील, तीतर, नीलकंठ, फाक्ता, तोता, कोयल, कूका, कठफोड़ा, बिलबिला, ड्रंगो, कौआ, मैना, बुलबुल, बया, बवलर, दर्जिन, धोविन आदि मुख्य रूप से अभ्यारण्य के आकर्षण हैं।ये हैं आकर्षण का खास केंद्र
खिवनी में सन सेट प्वाइंट कलम तलाई, ईको प्वाइंट, होलकर वंश के समय की निर्मित शिकार गाह गोल कोठी, ओल्ड वाच टावर, बालगंगा नदी का उद्गम स्थल, बाल हनुमान मंदिर, जंगल सफारी आदि ऐसी चीजें हैं; जो पर्यटकों को आकर्षित करने के साथ-साथ उन्हें वन्य प्राणी संरक्षण के प्रति जागरूक भी करती हैं।घाटियों का सुहाना सफर
यह क्षेत्र ट्रेकिंग के लिए उपयुक्त है। सियाघाट से दौलतपुर, दौलतपुर से रूपादा, दौलतपुर से खिवनी, मोहाई से खिवनी व रीछीगेट से पटरानी आदि वन मार्ग अभयारण्य में आने-जाने के मुख्य रास्ते हैं। खिवनी दौलतपुर वन मार्ग स्थित व्यू प्वाइंट तथा कलम तलाई से अभयारण्य का अनुपम दृश्य दिखाई देता है।ऐसे पहुंचें खिवनी
सड़क मार्ग से उत्तर में सीहोर जिले के इच्छावर से, पश्चिम में आष्टा कन्नौद मार्ग के सियाघाट से, दक्षिण में आष्टा-कन्नौद मार्ग से कुसमानिया व बाद में भिलाई व औंकारा होकर खिवनी पहुंचा जा सकता है। इसके साथ ही कन्नौद एवं आष्टा से कुसमानिया होकर भी खिवनी अभयारण्य पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा रेल मार्ग से भी इंदौर, देवास और भोपाल होते हुए पहुंचा जा सकता है।हवाई मार्ग से आने वाले पर्यटक इंदौर और भोपाल एयरपोर्ट से खिवनी पहुंच सकते हैं। खिवनी अधीक्षक विकास माहोरे के मुताबिक यहां रुकने, ठहरने के लिए वन विभाग का गेस्ट हाउस है।इसके साथ ही विभाग ने यहां पर्यटकों के लिए सर्वसुविधायुक्त काटेज भी बनवाए हैं। इन कॉटेज के आसपास खुला मैदान, बहती नदी और वर्षों पुराना मंदिर और उसके आंगन में बहते झरने भी पर्यटकों को रोमांचित करेंगे। पर्यटकों को स्थानीय कला से परिचित करवाने के लिए आसपास के कलाकारों द्वारा तैयार उत्पादों की प्रदर्शनी लगाने जा रहे हैं।यह भी जानिए
- खिवनी मध्यप्रदेश के गठन के पूर्व वन्य प्राणियों एवं जैव विविधता की प्रचुरता के कारण तत्कालीन होलकर वंश के महाराजाओं की शिकार गाह हुआ करता था, जिसकी सीमा भोपाल स्टेट से लगी हुई थी।
- वर्तमान में अभयारण्य कुल 134.77 वर्ग किमी में देवास एवं सीहोर जिले में फैला वन्य प्राणियों का आश्रय स्थल है।
- अभयारण्य में दौलतपुर के पास जामनेर नदी पर स्थित शंकर खो झरना बारिश में कल-कल बहता है।