MP News: बेटियों की गवाही सुन पिता को मिला तलाक, मां के लगाये आरोप बेबुनियाद
Family Court Order अदालत ने बेटियों की गवाही सुन मां द्वारा पिता पर लगाये आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए तलाक की मांग को स्वीकार कर लिया है। 12 मार्च 1980 को हिंदू रीति रिवाज से इनकी शादी हुई थी और चार बेटियां और एक बेटा है।
By Jagran NewsEdited By: Babita KashyapUpdated: Thu, 17 Nov 2022 10:59 AM (IST)
जबलपुर, जागरण आनलाइन डेस्क। कुटुंब न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश ममता जैन की अदालत ने बेटियों की गवाही के आधार पर पिता द्वारा की गई तलाक की मांग को स्वीकार कर लिया। अदालत में मां ने अपना पक्ष मजबूत करने के लिए तरह-तरह की दलीलें पेश कीं, लेकिन बेटियों की गवाही ने साफ कर दिया कि पिता पर जो भी आरोप लगाये गए थे वो बेबुनियाद हैं और सारी गलती मां की है।
1996 से रह रहे थे अलग
जबलपुर के रहने वाले मुन्नालाल ने आशा बाई से तलाक का मुकदमा दर्ज कराया था। दोनों की शादी 12 मार्च 1980 को हिंदू रीति रिवाज से हुई थी। इसके बाद चार बेटियां और एक बेटा पैदा हुआ। आवेदक मुन्नालाल ने अपने सभी बच्चों की शादी करा दी। पत्नी आशा बाई से विवाद के चलते वह 1996 से अलग रह रहे हैं।
बिना बताए घर से चली गयी आशा
दरअसल, शादी के 10 साल बाद तक आशा बाई का व्यवहार अच्छा रहा लेकिन इसके बाद वह छोटी-छोटी बातों पर बहस करने लगी। उसने बच्चों की भी देखभाल नहीं की समझाने पर भी वह नहीं मानती थी। 28 मार्च 1996 को वह बिना बताए घर से निकल गई। पति को लगा कि वह अपने मायके चली गई होगी।लेकिन ऐसा नहीं हुआ उसकी तलाश की गई, न मिलने पर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई। एक महीने बाद पता चला कि वह रांझी में भूपत नाम के शख्स के साथ रह रही है। घर जाने के लिए कहने पर उसने कहा कि उसने भूपत से दूसरी शादी कर ली है और अब वह उसके साथ रहेगी। पांचों बच्चों की गुहार पर भी उसका दिल जरा सा भी नहीं पसीजा।
तलाक देने से किया इनकार
इधर, आशा बाई और भूपत के वैवाहिक संबंध से दो बेटों का जन्म हुआ। जब आवेदक की बेटियों की शादी हुई तो उसने उनकी मां आशा बाई को आमंत्रित किया, लेकिन वह नहीं आईं। उसने साफ तौर पर कहा कि वह जब चाहेगा तब तलाक दे देगी। इस पर भरोसा करते हुए आवेदक को राहत मिली।लेकिन उसने 15 जून, 2016 सहित बार-बार अनुरोध करने के बाद भी तलाक देने से इनकार कर दिया। दूसरी ओर, आशा बाई ने आरोप लगाया कि मुन्नालाल ने जो भी आरोप लगाये हैं वे झूठे हैं। उसने घर नहीं छोड़ा बल्कि देवकी बाई नाम की एक महिला को घर ले आया और उसे बेदखल कर दिया।
उसने अपनी पहली पत्नी को तलाक दिए बिना देवकी से पुनर्विवाह कर दंडनीय अपराध किया है। वह जिन दो बच्चों को दूसरे पति से पैदा होने की जानकारी दे रहा है, वे उसके नहीं हैं।इस झूठ को बेनकाब करने के लिए आवेदक ने स्कूल के दस्तावेज कोर्ट में दिखाये जिससे उसका पक्ष मजबूत हो गया। जिससे साफ हो गया कि आशा बाई सच नहीं बोल रही हैं। उसके गर्भ से पैदा हुई बेटियों की गवाही भी उसके खिलाफ और जैविक पिता के पक्ष में गई।
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