Bhojshala Survey: भोजशाला के गर्भगृह में पहली बार जीपीआर से हुआ सर्वे, खुदाई में मिला पाषाण अवशेष
ऐतिहासिक भोजशाला के गर्भगृह में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) की टीम में शनिवार को पहली बार ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) से सर्वे किया। यह कार्य जियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया (जीएसआइ) की टीम के सात सदस्यों की देखरेख में किया गया। इस सर्वे के माध्यम से जमीन में दबे पुरा साक्ष्यों की पड़ताल की जा रही है। यज्ञकुंड के पास सर्वे करने के लिए मार्किंग की गई है।
जेएनएन, धार। ऐतिहासिक भोजशाला के गर्भगृह में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) की टीम में शनिवार को पहली बार ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) से सर्वे किया। यह कार्य जियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया (जीएसआइ) की टीम के सात सदस्यों की देखरेख में किया गया।
इस सर्वे के माध्यम से जमीन में दबे पुरा साक्ष्यों की पड़ताल की जा रही है। यज्ञकुंड के पास सर्वे करने के लिए मार्किंग की गई है। इधर, उत्तरी भाग से खोदाई में पाषाण अवशेष मिला है। इस पर सूर्य के आठों प्रहर के चिह्न बने होने का दावा किया गया है।
उल्लेखनीय है कि 11 मार्च को मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने वैज्ञानिक सर्वे में जीपीआर और जीपीएस मशीन का उपयोग किए जाने का आदेश दिया था। 22 मार्च से शुरू किए गए सर्वे में अभी तक मशीन से कार्य नहीं हो पाया था।
ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) किया सर्वे
40 मजदूर और एएसआइ के 18 अधिकारी शनिवार को जब भोजशाला पहुंचे तभी ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) भी लाया गया। हैदराबाद से जीएसआइ की टीम पहुंची। इस टीम ने सबसे पहले गर्भगृह में छत के नीचे जहां वाग्देवी की प्रतिमा स्थापित थी, उस स्थान पर मशीन से सर्वे किया।
उल्लेखनीय है कि इस मशीन के माध्यम से पक्के फर्श के नीचे करीब आठ से 10 मीटर और कच्चे फर्श में 40 मीटर तक की गहराई तक की जानकारी ली जा सकती है। परिसर में जीपीआर मशीन से सर्वे करने के लिए कई ब्लॉक बनाए गए हैं।
तीन वर्ग फीट आकार का एक पाषाण अवशेष मिला
हिंदू पक्ष के गोपाल शर्मा ने दावा किया है कि भोजशाला में उत्तरी क्षेत्र में खोदाई के तहत करीब एक बाई साढ़े तीन वर्ग फीट आकार का एक पाषाण अवशेष मिला है। इस पर मंदिरों में बने चिह्नों की तरह कीर्ति चिह्न अंकित है।
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