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MP Cabinet: क्या भाजपा अपनाएगी नो रिपीट फॉर्मूला? पूर्व मंत्री बेचैन, 47 नए चेहरों में से 34 बने विधायक

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव जीतने वाले 18 पूर्व मंत्री इन दिनों बेचैन हैं। इसकी वजह मंत्रिमंडल में स्थान मिलने को लेकर बड़ा संशय है। भाजपा ने इस चुनाव में 47 नए चेहरे उतारे थे इनमें से 34 विधायक बने। नए विधायकों की विधायक दल में हिस्सेदारी 22 प्रतिशत है इसे देखते हुए नई कैबिनेट में कम से कम सात-आठ नए चेहरे शामिल किए जाने का विचार बन रहा है।

By Jagran NewsEdited By: Anurag GuptaUpdated: Fri, 15 Dec 2023 11:19 PM (IST)
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क्या भाजपा अपनाएगी नो रिपीट फॉर्मूला? (फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, भोपाल। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव जीतने वाले 18 पूर्व मंत्री इन दिनों बेचैन हैं। इसकी वजह मंत्रिमंडल में स्थान मिलने को लेकर बड़ा संशय है। दरअसल, भाजपा के बड़े नेता बार-बार यह संकेत दे रहे हैं कि मध्य प्रदेश में भी पार्टी गुजरात मॉडल लागू कर सकती है। ऐसे में कई पूर्व मंत्री परेशान हैं कि उन्हें अब शायद ही मंत्री बनने का अवसर मिले।

इधर, ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में आने वाले कई पूर्व मंत्रियों को भी चिंता सता रही है कि पिछली बार तो कमलनाथ सरकार गिराने के एवज में वह मंत्री बन गए थे, लेकिन इस बार भाजपा के ऐतिहासिक बहुमत के बाद उन्हें मंत्री बनाना आवश्यक नहीं है।

क्या नो रिपीट फॉर्मूले पर होगा जोर?

बता दें कि गुजरात में वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले सितंबर, 2021 में भाजपा सरकार का पुनर्गठन हुआ था। इसमें नए मुख्यमंत्री भूपेंद्रभाई पटेल के साथ मंत्रियों के मामले में 'नो रिपीट' फॉर्मूले पर जोर दिया गया था। 25 मंत्रियों की कैबिनेट में से केवल तीन ही पहले मंत्री रह चुके थे, बाकी नए थे।

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गुजरात को भाजपा की राजनीतिक प्रयोगशाला माना जाता है। इस प्रयोग के बाद हुए विधानसभा चुनाव-2022 में पार्टी को गुजरात में प्रचंड जीत मिली थी। गुजरात के सफल 'नो रिपीट' फार्मूला को देखते हुए भाजपा मध्य प्रदेश में भी यह प्रयोग आजमाने पर विचार कर रही है।

47 नए चेहरों में से 34 ने दर्ज की जीत

गौरतलब है कि भाजपा ने इस विधानसभा चुनाव में 47 नए चेहरे उतारे थे, इनमें से 34 विधायक बन गए। नए विधायकों की विधायक दल में हिस्सेदारी 22 प्रतिशत है, इसे देखते हुए नई कैबिनेट में कम से कम सात-आठ नए चेहरे शामिल किए जाने का विचार बन रहा है। भाजपा नए चेहरों को अधिक संख्या में शामिल कर प्रदेश में पीढ़ी परिवर्तन का संदेश भी देना चाहती है। पार्टी संगठन में पहले ही पीढ़ी परिवर्तन कर चुकी है।

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चार कार्यकाल से जमे हैं कुछ मंत्री

भाजपा के कई नेता ऐसे हैं, जो पिछले चार कार्यकाल से कैबिनेट में अपना स्थान बनाए हुए हैं। ऐसा भी नहीं कि ये मंत्री श्रेष्ठ प्रदर्शन कर सुशासन की छाप छोड़ रहे हों, बल्कि इनमें से कई हमेशा विवाद और आरोपों से भी घिरे रहे हैं। विजय शाह आदिवासी वर्ग से आते हैं और पिछले चारों कार्यकाल में मंत्री रहे हैं। गोपाल भार्गव तो विधानसभा के सबसे वरिष्ठ सदस्य हैं, वह भी मंत्री रहने के साथ कांग्रेस की 15 महीने की सरकार में नेता प्रतिपक्ष भी रहे हैं। संभावना यह भी है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ पार्टी में आए ज्यादातर मंत्रियों को भी इस बार कैबिनेट में स्थान नहीं मिल पाएगा।

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