Gopashtami Festival: गोमाता के पैरों में बांधे जाते हैं घुंघरू, इसी दिन श्रीकृष्ण से इंद्र ने मांगी थी क्षमा
Gopashtami Festival 2022 गोमाता की पूजा के साथ-साथ इस दिन उनके बछड़ों को भी सुसज्जित किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि कार्तिक मास की प्रतिपदा को ब्रजवासियों की रक्षा के लिए भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाया था। अष्टमी तिथि को श्रीकृष्ण से भगवान इंद्र ने क्षमा मांगी थी।
By Jagran NewsEdited By: Babita KashyapUpdated: Sat, 29 Oct 2022 09:55 AM (IST)
जबलपुर, जागरण आनलाइन डेस्क। Gopashtami Festival 2022: गोपाष्टमी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनायी जाती है। ये पर्व गोमाता को समर्पित है इस दिन गायों को पूजा जाता है। मथुरा, वृंदावन और ब्रज में गोपाष्टमी बहुत उल्लास के साथ मनायी जाती है। गोमाता की पूजा के साथ-साथ इस दिन उनके बछड़ों को भी सुसज्जित किया जाता है।
कामधेनु ने अपने दूध से किया था श्रीकृष्ण का अभिषेक
ज्योतिषाचार्य सौरभ दुबे के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि कार्तिक मास की प्रतिपदा को ब्रजवासियों की रक्षा के लिए भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाया था। इसके आठ दिन बाद यानी अष्टमी तिथि को श्रीकृष्ण से भगवान इंद्र ने क्षमा मांगी थी और कामधेनु ने अपने दूध से भगवान श्रीकृष्ण का अभिषेक किया था। गोपाष्टमी का ये पर्व 01 नवंबर को मनाया जाएगा।
यह पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष 31 अक्टूबर की रात 3.06 बजे से कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि शुरू होगी। 01 नवंबर को दोपहर 12:45 बजे अष्टमी तिथि की समाप्ति होगी। गोपाष्टमी उदय तिथि अनुसार इस वर्ष 01 नवंबर 2022 को मनायी जाएगी।
गाय के पैरों में घुंघरू बांधे जाते हैं
इस दिन गाय के पैरों में घुंघरू बांधे जाते हैं और अन्य आभूषण भी पहनाएं जाते हैं। इसके बाद फिर उन्हें चराने के लिए बाहर ले जाया जाता है।- ग्वालों को गोपाष्टमी के दिन दान दिया जाता है।
- अधिकांश लोग ग्वालों को नये वस्त्र दे तिलक करते हैं।
- इस दिन जो लोग घर में गाय की पूजा नहीं कर पाते हैं वे गौशाला में जाकर गोमाता को पूजते हैं और उन्हें गंगाजल, फूल अर्पित करते हैं।
- इस दिन गाय को दीपक दिखा गुड़ खिलाया जाता है।
- शाम को जब गाय घर लौटती हैं तो उन्हें पूजा जाता है और अच्छा खाना दिया जाता है।
- गायों को इस दिन विशेष रूप से हरा चारा, मटर और गुड़ परोसा जाता है।
- गोमाता के भोजन के लिए इस दिन गोशाला में अन्य सामग्री का दान भी किया जाता है।