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विद्यार्थियों को अवसाद से निकाल रही एक सरकारी स्कूल की प्रयोगशाला, बच्चों को दिखा रहे नई राह

इस प्रयोगशाला को 2021 में कोविड के बाद विद्यार्थियों में अवसाद और मनोविज्ञानी चुनौतियों से निपटने के लिए बनाया गया था। अब तक करीब सात हजार विद्यार्थियों की काउंसलिंग की जा चुकी है। 100 से अधिक विद्यार्थियों को गंभीर अवसाद से उबार चुके हैं। इस स्कूल ने सभी विद्यार्थियों की केवाइएस( नो योर स्टूडेंट) प्रोफाइल बनाई है। इसमें विद्यार्थी और उसके परिवार का पूरा ब्यौरा दर्ज है।

By Jagran News Edited By: Narender Sanwariya Updated: Sun, 03 Nov 2024 05:53 PM (IST)
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विद्यार्थियों की काउंसलिंग करतीं काउंसलर शबनम खान (File Photo)
अंजली राय, भोपाल। राजधानी का एक सरकारी स्कूल विद्यार्थियों को मदद पहुंचाने में बड़ी लकीर खींच रहा है। भोपाल के टीटी नगर स्थित माडल हायर सेकेंडरी स्कूल ने अपने यहां एक मनोविज्ञान प्रयोगशाला बनाई है। प्रदेश में अपने तरह की इस पहली प्रयोगशाला में विद्यार्थियों की मनोवैज्ञानिक चुनौतियों की पहचान कर मदद पहुंचाई जाती है।

पढ़ाई में तालमेल

यह प्रयोगशाला स्कूल के विद्यार्थियों को गंभीर अवसाद से बचा रही है। स्कूल प्रबंधन ने बताया कि कोविड के दौरान उनके एक विद्यार्थी के पिता की मौत हो गई। वह परिवार की जिम्मेदारी और पढ़ाई में तालमेल नहीं बैठा पाया और फेल हो गया। इसकी वजह से वह अवसाद से घिर गया। उसके मन में आत्महत्या के विचार आने लगे।

मनोवैज्ञानिक प्रयोगशाला

नियमित परीक्षण के दौरान मनोवैज्ञानिक प्रयोगशाला में उसकी समस्या को पहचाना गया। उसकी और उसके स्वजन की काउंसलिंग की। एक साल बाद वह विद्यार्थी अपनी कक्षा का टॉपर बनकर निकला। ऐसे दर्जनों केस हैं जब आत्महत्या के विचार रखने वाले विद्यार्थी को स्कूल की इस कोशिश ने बचा लिया।

उपकरणों के जरिये पर्सनालिटी टेस्ट

कक्षा में खराब प्रदर्शन या कोई विचलन देखने पर शिक्षक विद्यार्थी की यही प्रोफाइल देखते हैं। अगर उनको बच्चे में कोई परेशानी दिखी तो उन्हें प्रयोगशाला में भेजा जाता है। प्रयोगशाला में 50 से अधिक उपकरणों के जरिये पर्सनालिटी टेस्ट, इंट्रेस्ट टेस्ट, एप्टीट्यूड टेस्ट, डिप्रेशन टेस्ट, डवलपमेंट टेस्ट किया जाता है। प्राचार्य रेखा शर्मा ने बताया कि 10वीं बोर्ड परीक्षा के परिणाम आने के बाद विद्यार्थियों व अभिभावकों के लिए विषय चयन में भी इस प्रयोगशाला की मदद ली गई है।

ऐसे मामलों में भी मदद पहुंची

कक्षा 10वीं के एक छात्र पर उसके स्वजन टापर बनने का दबाव बना रहे थे। छमाही परीक्षा में उसका परिणाम अच्छा नहीं रहा तो वह अवसाद में चला गया। काउंसलिंग के बाद उसने फिर से लय पकड़ी और बेहतर प्रदर्शन किया।

11वीं में एक छात्रा को कला संकाय लेना था, लेकिन माता-पिता ने उसे विज्ञान लेने का दबाव बनाया। छात्रा काफी तनाव में थी। उसके माता-पिता को बुलाकर उनकी काउंसलिंग की गई।

पर्सनल काउंसलिंग कर अब तक कई ऐसे बच्चों को अवसाद से उबारा गया है,जो आत्मघाती विचारों से घिर गए थे। अब वे सामान्य हैं और पढ़ाई में भी अच्छा कर रहे हैं।

रेखा शर्मा, प्राचार्य, माडल स्कूल

-विद्यार्थियों की काउंसलिंग में यह महसूस हुआ है कि माता-पिता अपने बच्चों से बड़ी उम्मीद लगा बैठते हैं। इसे पूरा करने के दबाव में बच्चा अवसाद में चला जाता है। इस मनोविज्ञान प्रयोगशाला में परीक्षण करने से विद्यार्थियों को काफी फायदा मिला है।

शबनम खान, काउंसलर

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