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Madhya Pradesh: राघौगढ़ किले पर आज धूमधाम से मनाया जाएगा 'हिल्ला', 200 साल पुरानी है ये परंपरा

राघौगढ़ किले पर आज (28 मार्च को) हिल्ला मनाया जाएगा। राघौगढ़ राजघराने द्वारा हर साल होली की तीज पर यह उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। इस आयोजन में हजारों लोगों की भीड़ उमड़ती है। सभी एक-दूसरे को अबीर-गुलाल लगाकर पर्व की बधाई और शुभकामनाएं देते हैं। राघौगढ़ राजघराने के प्रमुख सदस्य और कांग्रेस के राज्यसभा सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने एक वीडियो संदेश जारी गीत गाया है।

By Jagran News Edited By: Versha Singh Updated: Thu, 28 Mar 2024 10:51 AM (IST)
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राघौगढ़ किले पर आज धूमधाम से मनाया जाएगा 'हिल्ला'
ऑनलाइन डेस्क, गुना। राघौगढ़ किले पर आज (28 मार्च को) 'हिल्ला' मनाया जाएगा। राघौगढ़ राजघराने द्वारा हर साल होली की तीज पर यह उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। इस आयोजन में हजारों लोगों की भीड़ उमड़ती है। सभी एक-दूसरे को अबीर-गुलाल लगाकर पर्व की बधाई और शुभकामनाएं देते हैं।

राघौगढ़ राजघराने के प्रमुख सदस्य और कांग्रेस के राज्यसभा सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह इस आयोजन में शामिल होने वाले थे, लेकिन अब उनके आने का कार्यक्रम टल गया है। ऐसे में उन्होंने एक वीडियो संदेश जारी कर इस समारोह में शामिल न हो पाने के लिए लोगों से क्षमा मांगी और 'हिल्ला' पर गाया जाने वाला होली गीत भी गाया। आयोजन सुबह 11 बजे से होगा। पूर्व विधायक लक्ष्मण सिंह ‎और विधायक जयवर्धन सिंह इसमें ‎मौजूद रहेंगे।

दिग्विजय ने गुनगुनाया होली गीत

दिग्विजय सिंह ने अपने वीडियो संदेश में होली गीत गाया। “राजा बल के द्वार, मची री होली, रे मचे री होली। राजा बल के द्वार, मची री होली। के चढ़ आयो तो पे लख बंजारो। के चढ़ आयो तो पे लख बंजारो। के चढ़ आयो तो पे जय सिंह खीची। राजा बल के द्वार मची री होली...

कैसे हुई हिल्ला की शुरुआत?

हर साल होली की तीज पर इसे मनाया जाता है। इस उत्सव में राघौगढ़ ‎कस्बे के लोग पूर्व राजपरिवार के‎ सदस्यों के साथ होली खेलने किले पर पहुंचते हैं। इस परंपरा की शुरुआत 200 साल पहले हुई थी। ब्रिटिश हुकूमत के दौरान अंग्रेजों के सिपहसालार फ्रांसीसी कर्नल जॉन ने जब राघौगढ़ किले को फतह करने के लिए सन 1816 में हमला किया था, उस वक्त राघौगढ़ की सेना ने सूझबूझ के साथ ग्रामीणों की मदद से जॉन को बंदी बना लिया।

रियासत के खातीबाड़ा, धीरपुर, बिदोरिया समेत कई गांव के लोगों ने लड़ाई में राघौगढ़ के राजा का साथ दिया था। इसके बाद अंग्रेजों और राघौगढ़ रियासत के बीच समझौता हुआ, जिसके मुताबिक अंग्रेजों ने अपने कदम पीछे खींच लिए।

होली के तीसरे दिन जीती थी राघौगढ़ रियासत

राघौगढ़ रियासत ने ये लड़ाई होली के तीसरे दिन जीती थी। अंग्रेजों को खदेड़ने के बाद राघोगढ़ के तत्कालीन राजा जयसिंह ने बड़े वटवृक्ष के नीचे सेना की हौसला अफजाई की थी। तभी से इस पर्व को मनाने की परंपरा शुरू हुई थी, जो अब तक चलती आ रही है।

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