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Illegal Shelter Home Case: भोपाल के अवैध बालगृह से गायब 26 बच्चियां घर पर मिलीं, तीन अधिकारी निलंबित

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के परवलिया थाना क्षेत्र में बिना अनुमति के संचालित बाल गृह का राजफाश मध्य प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग की टीम ने किया है। आयोग की टीम दो दिन पहले जब निरीक्षण करने पहुंची तो बालगृह के उपलब्ध रिकॉर्ड के मुताबिक 26 बच्चियां मौके से गायब मिलीं। पुलिस ने बताया कि प्रारंभिक जांच में पाया गया है कि 26 बच्चियां अपने स्वजन के पास हैं।

By Jagran News Edited By: Devshanker Chovdhary Updated: Sat, 06 Jan 2024 10:58 PM (IST)
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भोपाल में अवैध बालगृह का खुलासा होने के बाद कार्रवाई। (फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के परवलिया थाना क्षेत्र में बिना अनुमति के संचालित बाल गृह का राजफाश मध्य प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग की टीम ने किया है। आयोग की टीम दो दिन पहले जब निरीक्षण करने पहुंची तो बालगृह के उपलब्ध रिकॉर्ड के मुताबिक 26 बच्चियां मौके से गायब मिलीं। गायब बच्चियों के बारे में बालगृह के लोग कोई जवाब नहीं दे पाए। रिकॉर्ड में 68 बच्चियों में से मात्र 41 ही मिलीं।

प्रियंक कानूनगो ने मुख्य सचिव को लिखा पत्र

इस पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने मुख्य सचिव वीरा राणा को पत्र लिखकर अवैध बाल गृह और वहां हो रही अनियमितताओं की जानकारी दी। इसके बाद प्रशासन हरकत में आया। संभागायुक्त डॉ. पवन कुमार शर्मा ने बाल विकास अधिकारी को (सीडीपीओ) बृजेंद्र प्रताप सिंह, कोमल उपाध्याय एवं सुपरवाइजर मंजूषा राज को निलंबित कर दिया है। बाल विकास विभाग के दो अधिकारियों को नोटिस देकर जबाव-तलब किया गया है।

जानकारी मिलने के बाद कलेक्टर और संभागायुक्त ने शनिवार को बालिकागृह का निरीक्षण किया। इस दौरान संचालक से छात्रावास की अनुमति संबंधी दस्तावेज मांगे गए तो वह कुछ नहीं दिखा सके। अवैध संचालन प्रमाणित होते ही वहां मिली 41 बच्चियों को पंजीकृत बालगृह में शिफ्ट कराया गया है। प्रशासन को रिकॉर्ड में 67 बच्चियों के आवेदन मिले, जबकि मौके पर मात्र 41 मिलीं। पुलिस का कहना है कि प्रारंभिक जांच में पाया गया है कि 26 बच्चियां अपने स्वजन के पास हैं।

वहीं, बाल आयोग ने इन बच्चियों के पते पुलिस से मांगे हैं, जिससे इन बच्चियों से बातचीत की जा सके। आयोग का कहना है कि बालगृह में मौजूद बच्चियों में से न तो कोई अपना नाम-पता बता पाईं और ना ही दस्तावेज ही दिखा पाईं। यही नहीं, उनका कोई पहचान-पत्र भी नहीं मिला। साथ ही यहां दो बच्चे अनाथ भी रह रहे हैं। बता दें कि यहां रह रहीं बच्चियों की जानकारी सीडब्ल्यूसी को नहीं दी गई थी।

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नहीं करने देते थे पूजा

आयोग की सदस्य डॉ. निवेदिता शर्मा ने बताया कि एक बालिका अपने साथ लड्डू गोपाल की मूर्ति रखे हुए थी। बालिका गृह के कर्मचारी ने मूर्ति साथ रखने से मना करते हुए उसे विसर्जित भी करवा दिया। बच्चियों को पूजा नहीं करने दिया जाता था। धीरे-धीरे उनका मतांतरण जारी था। यहां उनसे यीशू की आरती कराई जाती थी। इस तरह उन्हें मतांतरण के लिए तैयार किया जा रहा था।

पूर्व सीएम चौहान ने आयोग को घेरा

पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा कि बिना अनुमति संचालित बालगृह से 26 बालिकाओं के गायब होने का मामला मेरे संज्ञान में आया है। मामले की गंभीरता तथा संवेदनशीलता को देखते हुए सरकार से संज्ञान लेने एवं त्वरित कार्रवाई करने का आग्रह करता हूं।

इस पर राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने आरोप लगाया कि ये सभी बच्चियां सड़क व रेलवे स्टेशन से रेस्क्यू करके लाई गईं थी, जिनमें अनाथ बच्चियां भी थीं। जो एनजीओ या सरकारी एजेंसी चाइल्ड लाइन के रूप में बच्चों को रेस्क्यू कर रही थी, उसी ने बच्चों को गुपचुप ढंग से अवैध बालगृह में रखा था।

ऐसी संस्थाओं को काम सौंपा जाना खतरनाक है। विधानसभा चुनाव के पहले कुछ अकर्मण्य अधिकारियों ने इन्हीं संस्थाओं के हाथ में बच्चों के संरक्षण के लिए चाइल्ड लाइन संचालित करने का आदेश आपकी कैबिनेट से स्वीकृत करवा लिया था। मुझे विश्वास है कि आप उस आदेश को भी वापस लेने के लिए सरकार से आग्रह करेंगे।

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