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Kamal Nath: कभी इंदिरा ने कहा था कमलनाथ को तीसरा बेटा, कांग्रेस लिए हमेशा बने संकटमोचक; पढ़ें दिलचस्प किस्से

कमल नाथ का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर में हुआ लेकिन उनके 44 वर्ष के सियासी सफर का साक्षी मध्य प्रदेश रहा। दरअसल कमल नाथ और संजय गांधी दून स्कूल में एक साथ पढ़े थे। वहीं से दोनों की मित्रता हुई। आपातकाल के बाद जब संजय गांधी को जेल भेजा जा रहा था तो कमल नाथ न्यायाधीश से भिड़ गए थे।

By Jagran NewsEdited By: Jeet KumarUpdated: Sun, 18 Feb 2024 06:15 AM (IST)
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कभी इंदिरा ने कहा था कमलनाथ को तीसरा बेटा, हमेशा बने कांग्रेस के संकटमोचक

राज्य ब्यूरो,भोपाल। कमल नाथ यानी एक ऐसा नाम, जिसे मध्य प्रदेश ही नहीं, देश में कांग्रेस का पर्याय माना जाता है। गांधी परिवार का सबसे करीबी और वफादार नेता। गांधी परिवार की तीन पीढ़ियों (इंदिरा, राजीव और राहुल) के साथ जिसने समन्वय बिठाकर काम किया। हमेशा गांधी परिवार और कांग्रेस के संकटमोचक बने रहे। पार्टी में इतने ताकतवर थे कि जो वे कहें, वही अंतिम आदेश।

वैसे तो कमल नाथ का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर में हुआ, लेकिन उनके 44 वर्ष के सियासी सफर का साक्षी मध्य प्रदेश रहा। दरअसल, कमल नाथ और संजय गांधी दून स्कूल में एक साथ पढ़े थे। वहीं से दोनों की मित्रता हुई। आपातकाल के बाद जब संजय गांधी को जेल भेजा जा रहा था तो कमल नाथ न्यायाधीश से भिड़ गए थे। तब उन्हें भी जेल भेज दिया गया था। यहीं से दोनों की दोस्ती और गाढ़ी हो गई।

1968 में युवा कांग्रेस से राजनीतिक सफर शुरू किया

वाणिज्य में स्नातक करने के बाद उन्होंने राजनीतिक सफर की शुरुआत पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के मार्गदर्शन में की। इंदिरा गांधी उन्हें राजीव और संजय गांधी के अलावा तीसरा पुत्र मानती थीं। कमल नाथ ने 1968 में युवा कांग्रेस से राजनीतिक सफर शुरू किया।

इंदिरा गांधी ने 1980 में उन्हें छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से टिकट दिया था। जब वे प्रचार करने आईं तो कमल नाथ को अपना तीसरा बेटा बताते हुए वोट मांगे। यहां से वह नौ बार सांसद रह चुके हैं और मध्य प्रदेश में अभी यही एक मात्र लोकसभा सीट ऐसी है, जो कांग्रेस के खाते में है। वर्तमान उनके पुत्र नकुल नाथ सांसद हैं। मात्र एक लोकसभा चुनाव में कमल नाथ को हार का सामना करना पड़ा था।

2000 से 2018 तक कांग्रेस के महासचिव कमलनाथ

वर्ष 1996 के लोकसभा चुनाव से पहले कमल नाथ हवाला केस में घिर गए थे। तब उन्होंने छिंदवाड़ा से पत्नी अलका नाथ को चुनाव लड़वाया था। वे जीत भी गईं। कमल नाथ जैसे ही आरोपमुक्त हुए तो अलका नाथ ने इस्तीफा दे दिया। वर्ष 1997 में उपचुनाव हुआ, तब भाजपा ने सुंदरलाल पटवा को प्रत्याशी बनाया और वे चुनाव जीत गए। वे वर्ष 2000 से 2018 तक कांग्रेस के महासचिव भी रहे।

वन एवं पर्यावरण मंत्री के रूप में काम किया

पीवी नरसिंह राव से लेकर मनमोहन सरकार में कई मंत्रालयों के मंत्री भी रहे। केंद्रीय शहरी विकास, सड़क परिवहन, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय का दायित्व संभाला। वन एवं पर्यावरण मंत्री के रूप में कमल नाथ को विश्व व्यापी पहचान मिली।

वर्ष 1991 में पृथ्वी सम्मेलन रियो डी जेनेरियो में प्रतिनिधित्व करने पर संसद में कमल नाथ को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया था। केंद्र में यूपीए सरकार जाने के बाद वर्ष 2018 में कमल नाथ पहली बार मध्य प्रदेश की राजनीति में आए और मप्र कांग्रेस अध्यक्ष बनकर सरकार बनाने में भी सफल रहे।

कमल नाथ मुख्यमंत्री बने

वर्ष 2018 में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 15 साल बाद सत्ता में वापसी की और कमल नाथ मुख्यमंत्री बने, लेकिन करीब 15 महीने बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थक मंत्री, विधायकों के सरकार और पार्टी से अलग होने के कारण मार्च 2020 में कमल नाथ को सत्ता गंवानी पड़ी। 2023 के विधानसभा चुनाव का नेतृत्व भी कमल नाथ ने किया, लेकिन कांग्रेस को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद से ही कमल नाथ और राहुल गांधी के बीच दरार पैदा हुई, जिसके चलते उन्हें कांग्रेस छोड़ने पर विचार करना पड़ा।

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