Indore Temple Accident: हादसे में शवों के लिए कम पड़े चादर और स्ट्रेचर, मासूमों का शव देख रो पड़े सेना के जवान
इंदौर के मंदिर में हुए हादसे में कई लोगों ने अपनों को खो दिया। राहत बचाव कार्य के लिए पहुंचे सेना के जवानों की आंखें भी नम हो गई जब उन्होंने मासूमों के शवों को देखा। शवों को ले जाने के लिए चादर और स्ट्रेचर भी कम पड़ गए।
By Versha SinghEdited By: Versha SinghUpdated: Fri, 31 Mar 2023 10:22 AM (IST)
इंदौर (मध्य प्रदेश)। इंदौर के बेलेश्वर मंदिर में हुए हादसे के बाद दिनभर की मशक्कत के बाद जब पुलिस और प्रशासन का बचाव दल थक गया तो रात को सेना की मेहर रेजीमेंट ने लोगों को बचाने का मोर्चा संभाला। जिनके परिजन मंदिर गए थे और नहीं लौटे, ऐसी हजारों आंखें टकटकी लगाए अपनों के इंतजार में बैठी थीं।
डीसीपी जोन-1 आदित्य मिश्रा ने मृतकों की पहचान के लिए उन परिवारों को दरवाजे पर बैठा दिया था, जिनके परिजन खो गए थे।
शवों के लिए कम पड़े चादर और स्ट्रेचर
एडिशनल डीजीपी अभिनय विश्वकर्मा ने शव ले जाने के लिए स्ट्रेचर और चादर इकट्ठा किए। सेना ने पहले बावड़ी में लगे सरिये काटे और रास्ता बनाया। फिर सैन्य अधिकारी अर्जुन सिंह कोंडल ने बचाव दल को क्रेन ट्रॉली से नीचे उतारा। रात करीब 12.30 बजे जवान चार शव लेकर ऊपर आए।हादसे के बाद वहां मौजूद लोगों की भीड़ अपनों को तलाशने के लिए शवों की ओर तेजी से दौड़ पड़ी। शव को जब एंबुलेंस में ले जाया गया, तो भीड़ ने वहां भी एंबुलेंस का पीछा किया। रात करीब 12.43 बजे दूसरी ट्राली फिर चार शव लेकर बाहर आई।
भारतीय सेना की आखें भी हुई नम
सैन्य अधिकारी अर्जुन सिंह ने ज्यादा शव लाने के लिए तीसरे राउंड में सैनिक कम कर दिए। अबकी बार बचाव दल 8 शव लेकर बाहर आया। इनमें 4 पुरुष, 2 महिलाएं और 2 बच्चे शामिल थे। एक साथ 8 शव को ढंकने के लिए चादर और ले जाने के लिए स्ट्रेचर कम पड़ गए।12 घंटे से पानी में होने से शव पूरी तरह गल चुके थे। बड़े-बड़े अभियान को अंजाम देने वाले जवानों के लिए बच्चों के शव सबसे भारी रहे। उनके हाथ कंपकपा रहे थे। बच्चों के शव देखकर सेना और बचाव दल सहित वहां मौजूद अन्य लोगों की आंखें भी नम हो गईं थी।
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