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Laxmi Pooja on Diwali 2022: एमपी का महालक्ष्मी मंदिर जहां हर दिवाली पीले चावल चढ़ाकर सुख-समृद्धि पाते हैं भक्त

हर वर्ष दीपावली पर पीले चावल देकर माता को सुख-समृद्धि की कामना से आमंत्रित करने के लिए 50 हजार से अधिक भक्त आते हैं। आमंत्रण देने के बाद उनके साथ होने के भाव लेकर घर पहुंचकर घर के मुख्यद्वार से कुम-कुम के पदचिह्न बनाकर घर में प्रवेश कराया जाता है।

By Jagran NewsEdited By: Shivam YadavUpdated: Mon, 24 Oct 2022 05:14 PM (IST)
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महिला-पुरुषों की एक किलोमीटर लंबी कतार सुबह से देर रात तक लगी रहती है।
इंदौर, जेएनएन। होलकरकालीन राजवाड़ा स्थित महालक्ष्मी मंदिर भक्तों के बीच आस्था का केंद्र है। यहां हर वर्ष दीपावली पर पीले चावल देकर माता को सुख-समृद्धि की कामना से आमंत्रित करने के लिए 50 हजार से अधिक भक्त आते हैं। आमंत्रण देने के बाद उनके साथ होने के भाव लेकर घर पहुंचकर घर के मुख्यद्वार से कुम-कुम के पदचिह्न बनाकर घर में प्रवेश कराया जाता है। यह परंपरा 200 साल से चली आ रही है।

इस वर्ष दीपावली के अगले दिन 25 अक्टूबर को खंडग्रास सूर्यग्रहण होने से मंदिर के पट भक्तों के लिए 24 की रात 3 बजे ही बंद हो जाएंगे। माता को आमंत्रित करने का क्रम 1833 में मंदिर के निर्माण के साथ ही शुरू हो गया था। यहां हर साल दीपावली पर महिला-पुरुषों की एक किलोमीटर लंबी कतार सुबह से देर रात तक लगी रहती है।

दीपावली के अगले दिन बंद रहेंगे मंदिर के पट

माता की सेवा कर रहे पांचवी पीढ़ी के पुजारी पंडित भानुप्रकाश दुबे बताते हैं कि मंदिर के निर्माण के बाद से यह पहला मौका है जब दीपावली के अगले दिन मंदिर के पट भक्तों के दर्शन के लिए बंद रहेंगे। दीपावली के बाद दूसरे दिन भी माता के दर्शन के लिए 40-50 हजार भक्त आते हैं। इस बार अगले दिन या मध्यरात्रि को पूजन के बाद आने वाले भक्त भी माता के दर्शन के लिए दीपावली के दिन ही आएंगे। इसके इस बार दीपावली पर दर्शानार्थियों की संख्या दुगनी होने का अनुमान लगाया जा रहा है।

भक्तों के बाद जरूरतमंदों में बांट दिए जाते हैं चावल

दीपावली पर माता को भक्त आमंत्रण करने के लिए चावल अर्पित करते हैं। जब वह 50 किलो से अधिक हो जाते हैं। इन चावल को बरकत के रूप में भक्त ले जाते हैं। इन चावल को कई व्यापारी अपनी तिजोरी में रखने के लिए ले जाते हैं। शेष बचे चावल जरूरतमंदों को बांट दिए जाते हैं।

राजा हर‍िराव होलकर ने कराया था मंदिर का निर्माण

यह मंदिर होलकर रियासत की श्रद्धा का प्रतीक है। इस मंदिर पर इंदौर वासियों की विशेष आस्था है। मंदिर का निर्माण राजा हरिराव होलकर ने कराया था। उस समय तीन मंजिला मंदिर था जो आगे से जर्जर हो गया था। 1942 में मंदिर का जीर्णोद्धार कराया गया। अब मंदिर ने नवीन स्वरूप ले लिया है।

दुनिया भर में वीडियो कांफ्रेंसिंग से दर्शन करते हैं भक्त

इंदौर से देश-विदेश में जाकर बसे भक्त जब भी इंदौर आते हैं तो माता के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। शहर से बाहर जाकर बसे ऐसे लोगों की संख्या दीपावली पर सैकड़ों में होती है। इसके अतिरिक्त हर दिन ऐसे कई भक्तों के फोन आते है जो वीडियों कांफ्रेंसिंग के जरिए माता के दर्शन करते हैं। इसके लिए वे अपने किसी नाते-रिश्तेदार और परिचित को भेजते हैं। माता के भक्त अमेरिका, दुबई, सिंगापुर, साउथ अफ्रीका में बसे हैं।

दो बार होगा श्रृंगार, लगेगा छप्पन भोग

दीपावली पर मंदिर में माता की 21 इंच की मूर्ति का दो बार श्रृंगार किया जाएगा। माता को स्वर्ण आभूषण पहनाए जाएंगे।इसके साथ ही छप्पन भोग लगेगा। दीपावली के दौरान तीन दिन मंदिर में विशेष आयोजन कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की रमा एकादशी, धनतेरस और दीपावली के दिन होते हैं।

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