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Rewa Bus Accident: महज 3 सेकेंड ने बचा ली जिंदगी, यात्रियों से खचाखच भरी थी बस

Rewa Bus Accidentरीवा के सोहागी बस हादसे में 15 यात्रियों की दर्दनाक मौत हो गई जबकि 35 यात्री घायल हो गए। खतरा भांप कर महज 3 सेकंड के अंदर संजीत ने फैसला लेते हुए मुसाफिरों को पीछे की तरफ भागने के लिए कहा और खुद भी भागे।

By Jagran NewsEdited By: Babita KashyapUpdated: Thu, 27 Oct 2022 08:51 AM (IST)
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रीवा के सोहागी बस हादसे में 15 यात्रियों की दर्दनाक मौत हो गई
रीवा, जागरण आनलाइन डेस्‍क। ऐसा कहा जाता है कि भगवान हर शख्‍स को जीवन में काल से जिंदगी को बचाने का मौका अवश्‍य देते हैं। हाल ही में इसका एक उदाहरण देखने को मिला। रीवा के सोहागी बस हादसे में 15 यात्रियों की दर्दनाक मौत हो गई जबकि 35 यात्री घायल हो गए। इन घायलों में एक शख्स है जो मौत के मुंह से निकला है।

इसे पढ़कर आप एक कहानी की तरह महसूस कर रहे होंगे। लेकिन संजीत शाह इसका उदाहरण हैं। मुजफ्फरपुर का रहने संजीत दिवाली की खुशियां बांटने हैदराबाद से अपने घर जा रहा था। रीवा जिले के सोहागी में बस का एक्सीडेंट हो गया।

इस भीषण टक्कर में नेशनल हाईवे 30 पर बस ट्रेलर से टकरा गई, बस के परखच्चे उड़ गए। बस में सवार 15 यात्रियों की दर्दनाक मौत हो गई। जबकि बस सवार अन्य यात्री बुरी तरह से घायल हो गए। मौत भी भयानक थी। कई शवों को काटकर बस में से निकालना पड़ा।

बस चालक की बगल में बैठा था संजीत

घायल संजीत ने आपबीती सुनाते हुए कहा कि मैं बस में आगे चालक के बगल में बैठा था। रात करीब 11 बजे खाना खाकर सभी यात्री गंतव्य की ओर चले। इसी बीच अचानक मुझे बस के इंजन में खराबी की आवाज सुनाई दी। पेशे से ड्राइवर होने के कारण संजीत ने हादसे को भांप लिया।

संजीत के पास समय कम था, लेकिन मुश्किलें अधिक थीं। महज 3 सेकेंड के अंदर संजीत ने फैसला लेते हुए यात्रियों को पीछे की ओर दौड़ने को कहा और खुद भी दौड़ पड़े। बस खचाखच भरी हुई थी, जिस कारण वह केवल तीन कदम पीछे थी। संजीत पीछे के गेट पर पहुंचकर बस से कूदना चाहता था, लेकिन इससे पहले बस की टक्कर हो गई।

तीन सेकेंड के फैसले ने बचा ली जान

इस दर्दनाक बस हादसे में संजीत के सभी साथियों की जान चली गई और संजीत के पैर में गंभीर चोट आई है। संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल के सर्जरी वार्ड में उनका इलाज चल रहा है और ऑपरेशन के बाद वह पूरी तरह से ठीक हो जाएंगे। महज तीन सेकेंड में लिए गए अहम फैसले से उनकी जान बच गई। परन्तु जिन्होंने उसकी नहीं सुनी, वे मौत के आगोश में चले गए। संजीत अपनी जान बचने पर खुश तो है लेकिन साथियों की मौत से सदमें में भी है।

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