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Maha Ashtami 2023: उज्जैन में चैत्र नवरात्री की धूम, महामाया और महालया ​​​​​​​माता को लगाया मदिरा का भोग

उज्जैन नगर वासियों की सुख समृद्धि की कामना को लेकर चैत्र माह की नवरात्र की महाअष्टमी पर 24 खंबा स्थित माता महामाया और महालया में पूजा-अर्चना की गई। इस दौरान महामाया और महालया ​​​​​​​माता को मदिरा का भोग लगाया गया।(जागरण फोटो)

By Jagran NewsEdited By: Preeti GuptaUpdated: Wed, 29 Mar 2023 10:41 AM (IST)
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महामाया और महालया ​​​​​​​माता को लगाया मदिरा का भोग
उज्जैन, ऑनलाइन डेस्क। उज्जैन नगर वासियों की सुख समृद्धि की कामना को लेकर चैत्र माह की नवरात्र की महाअष्टमी पर 24 खंबा स्थित माता महामाया और महालया में पूजा-अर्चना की गई।

श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी द्वारा माता महामाया व महालया को मदिरा का भोग लगाकर नगर पूजा की शुरुआत की।

2000 से अधिक सालों से चली आ रही है परंपरा

वहीं, इसके बाद पूरे जोश के साथ सभी श्रद्धालू ढोल और नगाड़े के साथ शहर के 40 से अधिक देवी व भैरव मंदिरों में पूजा-अर्चना के लिए रवाना हो गया।

नगर में करीब 27 किलोमीटर मार्ग पर मदिरा की धार लगाई जाएगी। मान्यता है कि सम्राट विक्रमादित्य नगर की सुख-समृद्धि के लिए नगर पूजा करते थे। यह परंपरा दो हजार से अधिक सालों से चली आ रही है।

माता महामाया को लगाया मदिरा का भोग

श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी की ओर से नगर पूजा कर चौबीस खंभा माता महामाया को मदिरा का महाभोग लगाया जाएगा।

साथ ही नगर के सभी देवी मंदिरों और भैरव मंदिरों में भी मदिरा की धार चढ़ाएगी। बता दें कि यहां मान्यता है कि सम्राट विक्रमादित्य नगर की सुख-समृद्धि के लिए नगर पूजा करते थे।

यह परंपरा दो हजार से अधिक सालों से चली आ रही है।

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सभी देवी और भैरव मंदिरों में चढ़ेगी मदिरा

उज्जैन नगर वासियों की सुख समृद्धि के लिए की जा रही नगर पूजा में 27 किलोमीटर के लंबे रास्ते पर मदिरा से धार लगाई जाएगी।

समूह में शामिल दल तांबे के पात्र में मदिरा भर कर चलेंगे। उसमें एक छोटा-सा छिद्र होगा। जिसके द्वारा मदिरा की धार निरंतर बहती रहती है।

इसी तरह से रास्ते में आने वाले प्रमुख देवी मंदिर और भैरव मंदिरों में मदिरा की धार अर्पित की जाएगी।

चैत्र नवरात्र में होती है यह अनूठी परंपरा

साथ ही सभी मंदिरों में नए ध्वज और चोला चढ़ाया जाएगा। अंकपत मार्ग स्थित हांडी फोड़ भैरव पर रात 8 बजे यात्रा का समापन होगा।

यात्रा में बैंड बाजों के साथ भक्तगण माता के जयकारे लगाते चल रहे हैं। परंपरा अनुसार चैत्र नवरात्री में माता महामाया व महालया को मदिरा का भोग लगाकर नगर पूजा की शुरुआत की जाती है।

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