MP: इस खतरनाक बीमारी को जड़ से मिटाने में मध्य प्रदेश ने पेश की नजीर, दूसरे राज्यों के लिए बना आदर्श, ऐसे पाई सफलता
MP News जनजातीय समुदायों के बीच बेहद खतरनाक मानी जाने वाली बीमारी के उन्मूलन की दिशा में मध्य प्रदेश ने बेहतरीन काम किया है और पूरे देश में एक आदर्श राज्य बनकर उभरा है। अब दूसरे राज्य भी मप्र से सीख लेते हुए इन उपायों को अपना रहे हैं। जानिए क्या है ये बीमारी और मध्य प्रदेश ने कैसे इसे मिटाने के लक्ष्य में अहम योगदान दिया है।
शशिकांत तिवारी, भोपाल। सिकल सेल एनीमिया नामक बीमारी को जड़ से खत्म करने के अभियान में मध्य प्रदेश नजीर पेश करते हुए अन्य राज्यों के लिए आदर्श बना है। गौरतलब है कि यह बीमारी मूल रूप से आदिवासियों में पाई जाती है। इस बीमारी को जनजातीय समुदाय के लिए स्वास्थ्य की नजर से 10 विशेष समस्याओं में से एक माना गया है।
लेकिन मध्य प्रदेश ने इसे रोकने के लिए प्रभावशाली कदम उठाए हैं, जिससे बड़ी संख्या में लोगों के बीच इस बीमारी को चिन्हित करने, उसे फैलने से रोकने और इलाज में मदद मिली है। मध्य प्रदेश के इन उपायों से बाकी राज्य भी सीख ले रहे हैं और यही मॉडल अपना रहे हैं।
ऐसे की रोकथाम
सिकल सेल एनीमिया की रोकथाम के लिए किए गए उपायों में जेनेटिक काउंसलिंग कार्ड सबसे अहम कदम में से एक है। इसके तहत शादी से पहले लड़का और लड़की का कार्ड मिलाया जाता है और पता किया जा सकता है कि संतान सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित तो नहीं होगी। इसके लिए एक पोर्टल भी बनाया गया था, जिसका उपयोग अब पूरे देश में हो रहा है।सरकार ने रोगियों की पहचान के लिए बड़े स्तर पर स्क्रीनिंग अभियान भी चलाए, जिसका खूब लाभ मिला। प्रदेश में अब तक 29 लाख लोगों की स्क्रीनिंग की चुकी है, जिसके तहत 12000 पाजिटिव मरीज और 50000 से अधिक रोग वाहक की पहचान की जा चुकी है। इस स्तर पर स्क्रीनिंग के मामले में भी मप्र देश में सबसे आगे रहा है।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है, "सिकल सेल एनीमिया के रोगी की पहचान के लिए सबसे पहले बड़े स्तर पर स्क्रीनिंग गुजरात में साल 2016 में शुरू की गई थी, लेकिन बाद में मध्य प्रदेश ने तरक्की की और सबसे आगे निकल गया। यहां वर्ष 2022 में प्रयोग के तौर झाबुआ और आलीराजपुर के 12 ब्लाकों में 18 वर्ष से कम उम्र के लोगों और गर्भवती महिलाओं की जांच की गई थी।"
दोनों जिलों को मिलाकर कुल सवा 9 लाख से भी अधिक लोगों का परीक्षण किया गया था, जिसमें पाया गया था कि 1800 से अधिक लोग बीमारी से प्रभावित थे। इसके बाद प्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने बीमारी को जड़ से मिटाने के प्रयास शुरू किए। बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी वर्ष 2047 तक देश सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन का संकल्प लिया। उन्होंने जुलाई 2023 में मध्य प्रदेश के शहडोल जिले से इस मिशन की शुरुआत की थी। उसके बाद से सभी आदिवासी बहुल सभी राज्य इस अभियान में जुट गए।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।हासिल की ये उपलब्धियां
-पीड़ितों को दिव्यांग प्रमाण पत्र प्रदान किया गया, जिससे उन्हें सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ मिले।-बीमारी से पाजिटिव लोगों को जेनेटिक कार्ड दिए गए, जिससे वह शादी के पहले मिलान कर सुनिश्चित कर सकें कि उनकी होने वाली संतान बीमारी से सुरक्षित है या नहीं।-बीमारी के उपचार के लिए 22 जिला अस्पतालों में डे केयर सेंटर बनाए गए हैं।ये हैं आगे के लक्ष्य
अनूपपुर जिले के अमरकंटक में सिकल सेल एनीमिया पर शोध के लिए सेंटर आफ एक्सीलेंस बनाने की घोषणा की गई है। यह बीमारी पर शोध के लिए देश का सबसे बड़ा संस्थान होगा। इसके अलावा एम्स भोपाल में भी ऐसा ही केंद्र शुरू करने की योजना है। साथ ही, उपचार के लिए एम्स भोपाल में व्यवस्था भी कराई जा रही है।यहां शुरू है उन्मूलन मिशन
मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, झारखंड, छत्तीसगढ़, बंगाल, ओडिशा, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, असम, उत्तर प्रदेश, केरल, बिहार और उत्तराखंड।"हर गर्भवती महिला की सिकल सेल की जांच एचपीएलसी के माध्यम से कराई जाए और पीड़ित मिलने पर गर्भपात कराया जाए। सिर्फ स्क्रीनिंग से कुछ नहीं होगा। जिसकी शादी हो चुकी है उसकी जांच कराने का कोई मतलब नहीं। इसमें पैसे की बर्बादी है। जागरुकता अभियान लोगों की स्थानीय बोली में चलाए जाएं।"
- डा. राहुल भार्गव, प्रिंसिपल डायरेक्टर, हीमैटोलाजी फोर्टिस हास्पिटल, गुरुग्राम।