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Madhya Pradesh: CM शिवराज सिंह बोले- समाज का धनाढ्य वर्ग ही अपने बच्चों को नहीं पढ़ाना चाहता हिंदी, अंग्रेजी प्राथमिकता

Madhya Pradesh चुटकी लेते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे डाक्टरों को भी दवा लिखने से पहले अपने पर्चे में ऊपर श्रीहरी लिख कर नीचे हिंदी में ही दवा लिखनी चाहिए जैसे क्रोसिन। चिकित्‍सा शिक्षा मंत्री विश्‍वास सारंग और महापाैर मालती राय के अलावा के हिंदी के विद्वान शामिल भी हुए।

By Jagran NewsEdited By: Vinay Kumar TiwariUpdated: Sat, 15 Oct 2022 07:04 PM (IST)
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सीएम शिवराज सिंह चौहान ने शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित हिंदी की व्यापकता कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
भोपाल, राज्य ब्यूरो। Madhya Pradesh: सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि देश का एक बड़ा धनाढ्य वर्ग ही ये नहीं चाहता है कि बच्चों की शिक्षा का माध्यम हिंदी हो। ये वर्ग अपने बच्चों को बड़े इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ाता है इनको इस बात की अधिक चिंता रहती है कि बच्चा अगर हिंदी में पढ़ेगा तो उसका भविष्य कैसा होगा। इंग्लिश में पढ़ाई को ये ही वर्ग अधिक प्राथमिकता देता है और इन्हीं लोगों के बच्चे विदेशों में पढ़ने के लिए भी जाते हैं। मुख्यमंत्री ने यह बातें भारत भवन में हिंदी की व्यापकता पर आयोजित एक परिचर्चा में कहीं।

उन्होंने कहा कि कई बार हम देखते हैं कि कुछ डाक्टरों की लिखाई ऐसी होती है कि बाद में उनको भी उसे कुछ देर तक पढ़ना पड़ता है उसके बाद ही वो बता पाते हैं कि कौन सी दवा लिखी थी, या फिर उनका लिखा मेडिकल स्टोर वाले ही पढ़ पाते हैं। इस बात पर चुटकी लेते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे डाक्टरों को भी दवा लिखने से पहले अपने पर्चे में ऊपर 'श्रीहरी' लिख कर नीचे हिंदी में ही दवा लिखनी चाहिए जैसे क्रोसिन। इसमें चिकित्‍सा शिक्षा मंत्री विश्‍वास सारंग और महापाैर मालती राय के अलावा के हिंदी के जाने-माने विद्वान शामिल भी हुए।

उन्होंने कहा कि मेरे शब्दकोश में असंभव शब्द नहीं है और अंतत: यह संकल्प सिद्ध हो रहा है। मैं अंग्रेजी भाषा का विरोधी नहीं हूं, कोई भाषा के रूप में इसे सीखे, मुझे कोई आपत्ति नहीं है। हमारे बच्चों में प्रतिभा है, क्षमता है, योग्यता है। कोई कमी नहीं है, केवल अंग्रेजी भाषा नहीं जानने के कारण कुंठित हो जायें, कोई यह समझे कि मेरी जिंदगी बेकार है, तो मैं यह समझता हूं कि ऐसी अंग्रेजी को धिक्कार है।

उन्होंने महापौर मालती राय से यह भी कहा कि शहर में दुकानों के ऊपर लगे बोर्ड हिंदी में लिखे जाएं भले ही उसके नीचे दूसरी भाषा का उपयोग हो। उन्होंने कहा कि हिन्दी में मेडिकल की पढ़ाई के रूप में एक नये युग का प्रारंभ हो रहा है, वो भी भोपाल से हो रहा है। जहां चाह होती है वहां राह होती है।

प्रधानमंत्री ने मातृभाषा में शिक्षा का आव्हान किया। भोपाल में कई उल्‍लेखनीय कार्य हुए, स्वच्छता में भी भोपाल ने बाजी मारी, देश की सबसे स्वच्छतम राजधानी भोपाल है। हिंदी के बारे में व्यापक विमर्श करना चाहिए। इस विमर्श में आज पूरा भोपाल बैठा है, समाज का हर वर्ग बैठा है, इसमें हमारे चिकित्सक मित्र, अस्पताल और मेडिकल कॉलेज संचालक भी बैठे हैं।

हिन्दी विश्वविद्यालय, मध्यप्रदेश गीत और पाणिनी संस्कृत विश्वविद्यालय, विश्व हिन्दी सम्मेलन भोपाल में हो, यह हिन्दी के प्रति हमारे प्रेम का परिणाम है। आज मैं यह कहते हुए प्रसन्न हूं कि यह एक सामाजिक क्रांति है। प्रधानमंत्री जी ने जिम्मा सौंपा और हम पूरे समर्पण भाव के साथ जुट गए। मानस में इसका परिवर्तन दिखाई दे रहा है। मैंने जब हिन्दी में मेडिकल की पढ़ाई की बात कही, तो लोगों ने कहा कि असंभव है।

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