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बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघों के मौत के पीछे अंतरराष्ट्रीय साजिश? वन विभाग ने अधिकारियों को भेजा नोटिस

Tiger Deaths in MP मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में लगातार हो रहे बाघों के शिकार के पीछे अब अंतरराष्ट्रीय साजिश का अंदेशा जताया गया है। वन विभाग ने यहां तैनात अधिकारियों को नोटिस भेजकर कई सवाल उठाए हैं। विभाग ने पूछा कि 34 बाघों की मौत में से 10 का पोस्टमार्टम क्यों नहीं कराया गया। साथ ही विभाग ने और भी कई सवाल पूछे हैं।

By Jagran News Edited By: Sachin Pandey Updated: Fri, 09 Aug 2024 11:07 PM (IST)
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विभाग ने जानना चाहा है कि बाघों की मौत के लिए कौन-कौन जिम्मेदार है। (File Image)
सौरभ सोनी, भोपाल। मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघों के शिकार की अंतरराष्ट्रीय साजिश का अंदेशा जताया गया है। वन मुख्यालय ने यहां तैनात वनाधिकारियों को नोटिस थमाया है। इसमें पूछा गया है कि तीन वर्ष में 34 बाघों की मौत के मामले में 10 बाघों के शवों का पोस्टमार्टम क्यों नहीं कराया गया? जबकि, नियमानुसार पोस्टमार्टम अनिवार्य होता है।

विभाग ने यह भी जानना चाहा है कि इसके लिए कौन-कौन जिम्मेदार है। बताया जाता है कि वन विभाग ने बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघों की मौत पर रिपोर्ट तैयार कर ली है। इसमें टाइगर रिजर्व के डाक्टर को दोषी बताया गया है, लेकिन वहां अलग-अलग समय में पदस्थ रहे फील्ड डायरेक्टरों को लेकर कोई बात नहीं की गई और न ही उन्हें दोषी माना गया है। इनमें से कई तो सेवानिवृत्त हो चुके हैं।

अंतर्राष्ट्रीय फंडिंग का संदेह

बाघों के शिकार में अंतर्राष्ट्रीय फंडिंग का संदेह जताया जा रहा है। टाइगर रिजर्व में बाघों की मौत सामान्य न होकर शिकार किए जाने की आशंका जताई जा रही है। वर्ष 2021 में 12 बाघों की मौत हुई, तो 2022 में नौ और 2023 में 13 बाघों की मौत हुई। सबसे अधिक मौतें मनपुर बफर जोन में हुईं। इस वर्ष सात माह में देशभर में 86 बाघों की मौत हुई। वहीं, मध्य प्रदेश में 30 बाघों की मौत हुई है। इनमें अधिकांश प्रकरण बाघ के शिकार के हैं। पांच साल में मप्र में 2,28,812 वन अपराध के प्रकरण दर्ज किए गए हैं।

जांच रिपोर्ट में सामने आए चौकाने वाले तथ्य

बांधवगढ़ में घटनाओं की जांच के दौरान घटना स्थलों की जांच में श्वान दल और मेटल डिटेक्टर प्रयोग में नहीं लाए गए । साक्ष्य भी सुरक्षित नहीं रखे गए, जिसके चलते शिकार की घोषित घटनाओं में भी न्यायालय में प्रकरण कमजोर होता रहा। बाघ की मौत के अधिकांश प्रकरणों में रिपोर्ट ही दर्ज नहीं की गई। पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी नहीं की गई है और न ही पोस्टमार्टम के दौरान डाक्टर मौजूद रहे, जिसके चलते मौत या हत्या की स्पष्टता नहीं हो सकी। शिकार वाले क्षेत्रों में सुरक्षा इंतजाम ही नहीं थे।

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघों की मौत के मामले में कार्रवाई चल रही है। वहां के अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस भेजा है। बाघों की मौत की रिपोर्ट भी तैयार की गए है। नोटिस का जवाब आने और सामने आए तथ्यों के आधार पर आगामी कार्रवाई करेंगे।

-शुभरंजन सेन, प्रभारी वाइल्ड लाइफ वार्डन मप्र वन

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